
ललित गर्ग
पाकिस्तान भारत के अनेक लालची, शानोशौकत के आकांक्षी, देशद्रोही एवं देश के दुश्मन लोगों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ प्रचार और जासूसी गतिविधियों के लिए कर रहा था। ऐसे ही कुछ देश विरोधी तत्वों का पर्दाफाश होना चौंकाता भी है एवं चिन्ता में भी डालता है। ऐसे ही तत्वों में एक नाम है ज्योति मल्होत्रा, उस पर आरोप है कि वह न केवल सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की सकारात्मक छवि पेश कर रही थी, बल्कि उसने पाक खुफिया एजेंसी के एजेंटों से भारत से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां भी साझा कर रही थीं, जिनमें ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी गोपनीय जानकारियां भी थीं। वह एक खुफिया एजेंट के रूप में सीमा पार से चलाए जा रहे नेटवर्क का हिस्सा थी। देश की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत की मिट्टी पर छिपे गद्दार कितनी भी चालाकी से छिप जाएं, वे कानून की नजरों से नहीं बच सकते। उम्मीद है कि पूछताछ में ऐसे सबूत मिल सकते हैं जो भारत के खिलाफ बड़ी साजिशों का खुलासा कर सके। ‘ऑपरेशन ‘सिंदूर’ ने न सिर्फ सरहद पार बैठे दुश्मनों की नींद हराम कर दी है, बल्कि देश के भीतर बैठे गुप्त गद्दारों की भी कमर तोड़ दी है। हाल ही में लगातार ऐसे अनेक राष्ट्र-विरोधी जासूसों की गिरफ्तारी ने जता दिया कि भारत हर मोर्चें पर देश की सुरक्षा एवं संरक्षा के लिये प्रतिबद्ध है। ये गिरफ्तारियां अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण एवं यह भी पाक की एक करारी हार ही है।
पाक के लिए जासूसी करने के आरोप में हरियाणा के हिसार की यूट्यूबर और ट्रैवल ब्लॉगर ज्योति मल्होत्रा समेत छह लोगों की खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर की गयी गिरफ्तारी भारत की सतर्कता एवं सावधानी को तो दर्शाती ही है, इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इस चुनौती भरे समय में भीतर के दुश्मनों की शिनाख्त एवं उनकी धडपकड़ कितनी जरूरी है।
‘ट्रैवल विद जो’ नाम से यू-ट्यूब चैनल चलाने वाली ज्योति पर आरोप है कि वह पाक के कई उच्च अधिकारियों के संपर्क में थी और भारत से जुड़ी गुप्त सूचनाएं पाक तक पहुंचाती थी। पता यह भी चला है कि पाक यात्रा के दौरान उसकी मुलाकात पाक उच्चायोग के एक कर्मचारी दानिश से हुई, जिसके माध्यम से उसकी पहचान आइएसआइ के एजेंटों से हुई। ज्योति इन एजेंटों के साथ व्हाट्सएप, टेलीग्राम और स्नैपचौट के जरिये संपर्क में थी। कहते हैं कि उसने एक पाक खुफिया अधिकारी के साथ गहरे संबंध बनाये और उसके साथ बाली भी गयी थी। ज्योति एवं उसके सहयोगी बेखौफ भारत की अति-संवेदनशील एवं गोपनीय सूचनाओं को पाक से साझा करते हुए देश को नुकसान पहुंचा रहे थे। ये सभी आम नागरिकों की तरह जिंदगी जी रहे थे, लेकिन इनके इरादे राष्ट्रविरोधी थे। देश की कीमत पर सारे राष्ट्र-मूल्यों एवं निष्ठाओं को ताक पर रखकर धनार्जन की लालसा और मौज-मस्ती का लक्ष्य घिनौना एवं अक्षम्य अपराध है। राष्ट्र को इन विस्फोटक विसंगतियों से बचाना होगा।
भारत विरोधी शक्तियों के हाथ में खेलकर देश को मुश्किल में डालने का यह कृत्य परेशान एवं चिन्ता में डालने वाला है। बहुत संभव है कि जासूसी कांड में लिप्त ये भारतीय बड़े आर्थिक प्रलोभनों के लालच में पाक एजेंटों के जाल में फंसे हों। लेकिन बड़ा प्रश्न है कि कैसे कुछ लोग पैसे व शानोशौकत के लालच में देश की सुरक्षा व लोगों का जीवन भी दांव पर लगा सकते हैं? देश के भीतर के ये दुश्मन बाहरी दुश्मनों से ज्यादा घातक एवं नुकसानदेय हैं। पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई से ताल्लुक रखने पर पिछले दिनों हरियाणा, पंजाब व यूपी के इन लोगों की गिरफ्तारी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। लेकिन इनकी गहन जांच से और भी गंभीर खुलासे होने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता। ये एक गंभीर चुनौती है और हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और खुफिया संस्थाओं को अब इस चुनौती को गंभीरता से लेना होगा। इन लोगों के तार भीतर कहां-कहां जुड़े है, इसका पर्दाफाश होना ज्यादा जरूरी है। ये तत्व देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही सांप्रदायिक सद्भाव एवं आम-जनजीवन को भी खतरे में डाल सकते हैं।
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हरियाणा की ज्योति कथित तौर पर हाल के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी के संपर्क में थी, जिसे हाल ही में भारत विरोधी गतिविधियों के लिये देश से निकाला गया। इस मामले में चल रही जांच से पता चला है कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले से पहले ज्योति कश्मीर गई और उससे पहले पाकिस्तान गई थी। एक से अधिक बार पाकिस्तान जा चुकी ज्योति पर खुफिया अधिकारियों की नजर तो थी ही, ज्योति के कई वीडियोज ने भी खुफिया एजेंसियों का ध्यान खींचा, चाहे वह नयी दिल्ली स्थित पाक दूतावास में इफ्तार की दावत का वीडियो हो, पिछले साल हुए विश्व कप में भारत-पाक मैच में दर्शकों की प्रतिक्रिया वाला वीडियो हो या कश्मीर घूमने आये लोगों पर बनाये गये वीडियो हों। विडंबना है कि पाकिस्तान भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गलत फायदा उठा रहा है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, ज्योति को दुबई के एक कथित हैंडलर के माध्यम से भुगतान किया जाता था।
यह खुलासा केवल ज्योति तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि इसके जरिये एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है उस पर पाक के खुफिया अधिकारियों को संवेदनशील जानकारी देने के आरोप हैं। यूपी के रहने वाले शहजाद और नौमान इलाही पर भी इसी तरह के आरोप हैं। पंजाब में मालेरकोटला के दो लोगों को भी जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। जांच एजेंसियों को पता लगाना होगा कि क्या इन आरोपियों की सैन्य या रक्षा अभियानों से संबंधित जानकारी तक सीधी पहुंच थी या वे इसे उच्च पदस्थ स्रोतों से प्राप्त कर रहे थे? इन बातों का खुलासा होना सुरक्षा एवं सैन्य गोपनीयता की दृष्टि से ज्यादा जरूरी है। गिरफ्तार सभी अपराधियों को गंभीर पूछताछ के बाद कठोर सजा मिलनी चाहिए। दुश्मन चाहे देश के अंदर हो या बाहर उनके प्रति मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति निरंतर सख्ती के साथ कार्यरत रहनी ही चाहिए। सरकार और खुफिया एजेंसियां अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय संदिग्ध तत्वों की निगरानी और जांच को और तेज करने की दिशा में स्वाभाविक ही काम कर रही है। सरकार ने इन गिरफ्तारियों के बाद स्पष्ट संदेश दिया है कि राष्ट्र की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर के तहत अब तक देशभर में दर्जनों संदिग्धों को निगरानी में लिया गया है और जांच तेज़ है।
निश्चय ही यह राष्ट्र-विरोधी जासूसों का खुलासा पाक रचित राष्ट्रघाती खेल का छोटा हिस्सा है, पाक सीधा युद्ध की सामर्थ्य एवं ताकत नहीं रखता, इसलिये कभी वह आतंक का सहारा लेता है तो कभी पैसों का प्रलोभन देकर देश के लोगों को खरीदने की कुचेष्ठा करता है। एक छलकपट वाले सूचना युद्ध के माध्यम से देश को नुकसान पहुंचाने की आईएसआई की साजिश को सख्ती से नाकाम किया जाए ताकि आने वाले समय में और बड़ी मछलियां इस दलदल में पकड़ी जा सकेंगी। पाक तो भारत का शत्रु है और वह सामने दिखाई दे रहा है, लेकिन देश के अंदर छिपे गद्दार भी भारत के शत्रु हैं। इस तरह के गद्दारों को चिन्हित करके उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। पाक का समर्थन करने वाले खालिस्तानी आतंकवादी हैं, कश्मीर में भी ऐसे लोग है जो पाक एवं उसके पोषित आतंवादियों का सहयोग एवं समर्थन करते हैं। ऐसे राष्ट्र-विरोधी लोगों एवं आतंकवादियों का सिर कुचलने का, यही सही समय है। केंद्र व राज्य सरकारों, मीडिया और जनता को मिलकर ऐसे तत्वों को बेनकाब करने में मदद करनी चाहिए। पुलिस को आधुनिक उपकरणों के साथ इस बाबत कुशल प्रशिक्षण देना चाहिए। बहरहाल, देश विरोधी तत्वों की निगरानी तेज करना वक्त की जरूरत है। ताकि देश मे छुपी इन काली भेड़ों एवं देश को दीमक की तरह खोखला कर रहे शत्रुताओं का नाश किया जा सके।