राष्ट्र के सम्मान को आहत करता विजय शाह का बयान

Vijay Shah's statement hurts the nation's honour

नरेंद्र तिवारी

मध्यप्रदेश सरकार के जनजातीय कार्य विभाग मंत्री विजय शाह का बयान देश की राष्ट्रीय अस्मिता को कलंकित करने वाला है, राष्ट्र के सम्मान को आहत करने वाला है, जिस भारतीय सेना की कर्नल सौफ़िया कुरैशी ने आपरेशन सिंदूर के दौरान राष्ट्र का मस्तक ऊँचा उठाया हो, ऐसे सैन्य अधिकारी के खिलाफ सार्वजनिक मंच से अपने बयान मे उन्हें आंतकवादियों की बहन बताने का जो घृणित पाप किया है, वह पुरे देश को आहत कर गया। जब राष्ट्र आपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान मे जाकर आंतकवादियों की पनाहगाहों को नेस्तनाबूत करने का जश्न मना रहा था, राष्ट्र की बेटी कर्नल सौफ़िया कुरैशी ने जब दुनियाँ को भारत के सधे क़दमों से आंतकवाद के खिलाफ सैन्य कार्यवाही से अवगत कराया तब सारे भारत का मस्तक गर्व से ऊँचा उठ गया था, सौफ़िया व्योमिका की जुगलबंदी आपरेशन सिंदूर के घटनाक्रमों से देश दुनियाँ को अवगत करा रहे थै, भारत इस दौरान अपनी राष्ट्रीय एकता के दर्शन से भी दुनियाँ को वाकिफ करा रहा था। भारत की इस बेटी कर्नल सौफ़िया के विरुद्ध एमपी सरकार के जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री, 8 बार के विधायक विजय शाह का बयान शर्मसार करने वाला है, इस मंत्री ने अपने भाषण मे कर्नल सौफ़िया कुरैशी पर जो टिप्पणी की है वह देश को नागवार गुजरी सोशल मिडिया पर मंत्री के इस बयान की कढ़ी आलोचना देखने को मिली। एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इस पर अपनी सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा विजय शाह की मंत्री पद से बर्खास्तगी एवं एफआईआर तुरंत होना चाहिए क्योंकि उन्होंने पुरे देश को लज्जित किया है। प्रदेश मे कांग्रेस संगठन ने भी मुखर विरोध दर्ज कराया तथा एफआईआर और बर्खास्तगी की मांग करते हुए शाह के बयान को राष्ट्र विरोधी बताया।

मप्र हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर मंत्री विजय शाह के विरुद्ध सख्त टिप्पणी करते हुए एफआईआर दर्ज कराने को लेकर डीजीपी को निर्देशित किया, बुधवार रात एमपी के मानपुर थाने मे विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गयी। एफआईआर के बाद प्रदेश ही नहीं सम्पूर्ण देश से एक स्वर मे मंत्री विजय शाह की बर्खास्तगी की मांग की जा रही है, बदज़ुबान मंत्री सुप्रीम कोर्ट की कठोर टिप्पणीयों के उपरांत भी मंत्री अपने पद पर बने हुए है। प्रदेश सरकार भी सख्त रुख नहीं अपना पा रही है।

अपनी बदजुबानी के लिये कुख्यात मंत्री विजय शाह ने सावजनिक मंच से जो कहा वह एक संवैधानिक पद पर बैठे प्रदेश के मंत्री को शोभा नहीं देता। उनकी टिप्पणी सेना और राष्ट्र के मनोबल को कमजोर करने वाली है, ऐसे समय ज़ब भारत देश आंतकवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ रहा हो तब प्रदेश के किसी मंत्री का उक्त बयान असहनीय, पीड़ादायी और राष्ट्रविरोधी माना जाना चाहिए। होना तो यह चाहिए था की मंत्री के बयान के तुरंत बाद प्रदेश की सरकार के मुखिया ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराना चाहिए थी, उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए था। किंतु प्रदेश की सरकार ने रिपोर्ट दर्ज कराने का साहस नहीं दिखाकर जनभावना का अपमान किया है। जनभावना को समझकर राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक प्रावधानों की रक्षार्थ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्वतः सज्ञान लेकर प्रदेश के डीजीपी को तुरंत प्राथमिकी दर्ज कराने का सख्त निर्देश दिया। देश के सुप्रीम कोर्ट ने भी एमपी के उच्च न्यायालय के आदेश को उचित मानते हुए मंत्री को फटकार लगाई। मप्र उच्च न्यायालय के निर्देश के पालन मे मानपुर थाने मे एफआईआर दर्ज की गयी। एमपी हाई कोर्ट का उक्त आदेश सम्पूर्ण भारतवासियों के मन मे न्यायपालिका के प्रति विश्वास बढ़ाने वाला प्रतीत हो रहा है।

आपरेशन सिंदूर के दौरान मध्यप्रदेश के नागरिक इसलिए भी गौरव से भरे हुए थै, जब उन्हें यह सूचना मिली की आपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना द्वारा आंतकवादियों की शरणस्थली पाकिस्तान मे जाकर आंतक के ठिकानों को बर्बाद कर दिया गया है। भारत की सैन्य कार्यवाहीयों को दुनियाँ के समक्ष रखने की जवाबदेही निभाने वाली कर्नल सौफ़िया की प्रारम्भिक शिक्षा एमपी के छतरपुर के नौगाँव मे अपने चाचा के यहां हुई है। प्रदेश की जनता की इस गौरव पूर्ण अनुभूति को जमीन पर आने से पूर्व विजय शाह के राष्ट्र विरोधी और असंवैधानिक बयान ने जैसे काफूर कर दिया हो, राष्ट्रीय स्तर पर विजय शाह ने एमपी को बदनाम कर दिया है। उनका यह कृत्य कतई माफ़ी योग्य नहीं है, उन्होंने मंत्री पद पर बने रहने का अधिकार भी खो दिया है, राज्य की मोहन सरकार को चाहिए ऐसे बदज़ुबान मंत्री को अपने पद से तत्काल बर्खास्त करें। इस संबंध मे देरी करना जनभावनाओं का अनादार होगा।

देश के नेताओं, आमजनों को यह याद रखना चाहिए की देश की सेना जब आंतकवाद के खिलाफ निर्यायक लड़ाई लड़ रही हो, तब राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने वाले बयानों से बचना चाहिए। संवैधानिक पदों पर काबिज नेताओं की जवाबदेही ऐसे समय अधिक बढ़ जाती है, कर्नल सौफ़िया कुरैशी आपरेशन सिंदूर के दरमियान राष्ट्रीय चेहरा बनकर राष्ट्र का गौरव बन गयी, देश की जनता के मन मे भारत की सेना, राष्ट्रीय प्रतिक और राष्ट्रीय गौरव के लिये सम्मान है, अपनी अनर्गल टिप्पणीयों से इसे आहत करने का अधिकार किसी को भी नहीं है। मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री विजय शाह ने अपने बयान से मध्य प्रदेश को लज्जित किया है, जिससे जनभावनाओं आहत हुई है। राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर राजनीति नहीं होना चाहिए। देश के बाहरी दुश्मन से निपटने मे तो देश की सेना समक्ष है। भारत की मजबूती और महाशक्ति बनने के लिये आंतरिक मजबूती की बहुत आवश्यकता है। भारत की महानता उसकी राष्ट्रीय एकता है। आपरेशन सिंदूर के समय भारत की राष्ट्रीय एकता को विश्व ने देखा। एमपी के मंत्री विजय शाह की टिप्पणी हमारी राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने वाली है। राष्ट्र की राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने का हक़ किसी को भी नहीं है।