6 महाद्वीपों और 43 देशों के 43 कवियों ने की सहभागिता
रविवार दिल्ली नेटवर्क
नारनौल : मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा भारतीय पुलिस सेवा के दिवंगत अधिकारी डॉ. मनुमुक्त ‘मानव’ की 43वीं जयंती पर विशाल वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कवि-सम्मेलन ’43वीं जयंती : 43 देश, 43 कवि’ का आयोजन गत शाम किया गया, जिसमें छह महाद्वीपों और तेतालीस देशों के तेतालीस कवियों ने सहभागिता की। सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान) के कुलपति तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी डॉ. अशोककुमार गर्ग की अध्यक्षता में आयोजित इस कवि-सम्मेलन में भाषा आयोग, काठमांडू (नेपाल) के अध्यक्ष डॉ. गोपाल ठाकुर मुख्य अतिथि थे, वहीं विश्व बैंक, वाशिंगटन डीसी (अमेरिका) की वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. एस. अनुकृति स्वागताध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहीं। उद्योग विस्तार अधिकारी डॉ. सुनील भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-गीत के उपरांत ट्रस्टी डॉ. कांता भारती के प्रेरक सान्निध्य और डॉ. पंकज गौड़ के कुशल संचालन में सम्पन्न हुए इस कवि-सम्मेलन के प्रारंभ में चीफ ट्रस्टी डॉ. रामनिवास ‘मानव’ ने ट्रस्ट की गतिविधियों और उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया तथा दोहों के माध्यम से अपने दिवंगत पुत्र मनुमुक्त को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका एक दोहा था- पुत्र-शोक के बाद भी, करता हूँ उपभोग। मुझसे थे दशरथ भले, सह ना सके वियोग।। मुख्य अतिथि डॉ. गोपाल ठाकुर ने अपने संबोधन में मनुमुक्त-परिवार द्वारा अपने व्यक्तिगत दुख को वैश्विक सौहार्द और संपर्क का सेतु बनाने के प्रयास को अत्यंत सराहनीय और प्रेरणादायी बताया, वहीं डॉ. मनोजकुमार गर्ग ने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. मनुमुक्त के असामयिक निधन को देश और समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि एक प्रतिभाशाली और ऊर्जावान पुलिस अधिकारी का अल्पायु में निधन किसी हृदय-विदारक त्रासदी से कम नहीं है।
इन कवियों ने की सहभागिता : इस अवसर पर दिवंगत मनुमुक्त को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए टोक्यो (जापान) की डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा, सूवा (फीजी) की सुएता दत्त चौधरी, सिडनी (आस्ट्रेलिया) के प्रगीत कुँअर, ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) के रोहितकुमार ‘हैप्पी’, होचिमिन्स सिटी (वियतनाम) की साधना सक्सेना, बैंकाॅक (थाईलैंड) की शिखा रस्तोगी, मेडान (इंडोनेशिया) के आशीष शर्मा, सिंगापुर सिटी (सिंगापुर) की आराधना सक्सेना, तियान्जिन (चीन) के हरप्रीतसिंह पुरी, काठमांडू (नेपाल) के डॉ. पुष्करराज भट्ट, थिंपू (भूटान) की अर्चना ठाकुर, लाडनूँ (भारत) के डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’, कोलंबो (श्रीलंका) की डॉ. अंजलि मिश्रा, मस्कट (ओमान) की सिम्मी कुमारी, दुबई सिटी (दुबई) की अनु बाफना, शारजाह सिटी (शारजाह) की अंजू मेहता, आबूधाबी सिटी (आबूधाबी) के अंकुर रांका, दोहा (कतर) के डॉ. बैजनाथ शर्मा, कुवैत सिटी (कुवैत) की नाज़नीन अली ‘नाज़’, बेल रोज (माॅरिशस) की डॉ. सुरीति रघुनंदन, दार-ए-सलाम (तंजानिया) के अजय गोयल, लागोस (नाईजीरिया) की राखी बिलंदानी, अकरा (घाना) की मीनाक्षी सौरभ, जोहान्सबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) की झरना दीक्षित, मास्को (रूस) की श्वेतासिंह ‘उमा’, अंकारा (तुर्किये) के ऐमराह करकोच, सोफिया (बुल्गारिया) की डॉ. मोना कौशिक, स्टाॅकहोम (स्वीडन) के सुरेश पांडे, कोपनहेगन (डेनमार्क) की सविता जाखड़, बर्लिन (जर्मनी) की डॉ. योजना शाह जैन, आसन (नीदरलैंड) की डॉ. ऋतु शर्मा, ब्रुसेल्स (बैल्जियम) के कपिल कुमार, लक्जमबर्ग सिटी (लक्जमबर्ग) के मनीष पांडेय, वियना (आस्ट्रिया) की अमिता लुग्गर, मिलान (इटली) की उर्मिला चक्रवर्ती, मैड्रिड (स्पेन) की पूजा अनिल, लिस्बन (पुर्तगाल) के डॉ. शिवकुमार सिंह, लंदन (ब्रिटेन) के आशीष मिश्रा, बेलफास्ट (आयरलैंड) के डॉ. अभिषेक त्रिपाठी, टोरंटो (कनाडा) की डाॅ. शैलजा सक्सेना, वर्जीनिया (अमेरिका) की मंजू श्रीवास्तव, पोर्ट आॅफ स्पेन (ट्रिनिडाड) की आशा मोर और लैडिंग (सूरीनाम) की सुषमा खेदू के अतिरिक्त सिडनी (आस्ट्रेलिया) की डॉ. भावना कुँअर और भारत से अलवर के संजय पाठक तथा नारनौल के डॉ. जितेंद्र भारद्वाज, डॉ. पंकज गौड़ और डॉ. सुनील भारद्वाज ने उनकी स्मृति में मर्मस्पर्शी काव्य-पाठ किया, जिसे भरपूर सराहना मिली।
इनकी रही उल्लेखनीय उपस्थिति : लगभग तीन घंटों तक चले इस यादगारी कवि-सम्मेलन में वाशिंगटन डीसी (अमेरिका) के प्रो. सिद्धार्थ रामलिंगम, आॅकलैंड (न्यूजीलैंड) के बाबूलाल शर्मा, कोपनहेगन (डेनमार्क) के गजेंद्रसिंह जाखड़ तथा भारत से प्रो. विजयकुमार मिर्चे, सुरेंद्र कागद, रवि श्रीवास्तव, मुहम्मद आरिफ गौरी, महीपाल सिंह, डॉ. भीमसिंह सुथार, सुरेशचंद्र शर्मा, रंजीता वर्मा, डॉ. शर्मिला यादव, रिधु कँवर आदि साहित्य-प्रेमियों की गरिमापूर्ण उपस्थित उल्लेखनीय रही।





