नीलेश शुक्ला
हम जब भी प्राकृतिक सुंदरता की बात करते हैं तो मन में सबसे पहले हिमाचल, उत्तराखंड और कश्मीर जैसे राज्य कीयाद आती है। लेकिन अब गुजरात भी आपकी पहली पसंद हो सकता है। गुजरात का विश्ववन एक ऐसा खूबसूरत प्राकृतिक स्थल बन गया है जहाँ आपको दुनिया के 7 महाद्वीपों की वनस्पतियांदेखने को मिलता है। प्रकृति से प्यार करने वाले पर्यटकों को विश्व वन की यात्रा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि यह प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन गंतव्य है। यह प्रकृति की सुंदरता को पास से देखने और दुनिया की विविधता के बारे में जानने के लिए एक आदर्श स्थान है।
गुजरात कई आकर्षक पर्यटन स्थलों का घर है। पिछले कुछ वर्षों में, राज्य ने पर्यटन में जबरदस्त विकास देखा है। गुजरात के सभी पर्यटन स्थलों में से, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सबसे अधिक प्रशंसित और देखी जाने वाली जगहों में से एक है। SoUराष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के बीच इतना प्रसिद्ध हो गया कि इसने क्षेत्र में समृद्धि के लिए नए गंतव्यों के लिए नए द्वार खोल दिए। SoUकई अन्य पर्यटक आकर्षणों से घिरा हुआ है और विश्व वन इन्हीं शानदार जगहों में से एक है।
विश्व वन में दुनिया के सात महाद्वीपों के पेड़-पौधे और वनस्पति है जो इसे करिश्माई भव्यता देता है। विश्व वन की परिकल्पना भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी, जिन्होंने केवल 46 महीनों में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण का मार्गदर्शन करने के बाद ‘Unity in diversity’ के विषय पर एकता नगर के विकास की कल्पना की थी।
विश्व वन 5 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित कियागया है। यह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बगल में दो पुलों के बीच स्थित है। यहां पर बने रास्तों का शानदार डिजाइन आपको प्रकृति के और क़रीब ले जाएगा। कोई भी व्यक्ति यहां दुनिया के विविध बायो जिओग्राफी की खोज कर सकता है। “विविधता में एकता” की सच्ची भावना को दर्शाते हुए यहांसभी7 महाद्वीपों की जड़ी-बूटियां, झाड़ियाँ और पेड़ शामिल देखने को मिलते हैं। इसमें दुनिया के हर महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करने वाली वनस्पतियों का एक विविध संयोजन है। वनस्पति को उसी के मूल स्थान के आधार पर उपयुक्त मौसम में बड़ा किया जाता है।
इस विश्व वन का उद्देश्य पर्यटकों को भिन्न-भिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में पैदा हो रही वनस्पति और जीव विज्ञान के बारे में जागरूक करना है। क्योंकि यह वनस्पतियां अलग-अलग मौसमों में विकसित की जाती है इसीलिए उनके अनुकूल वातावरण बनाने के लिए खास क्लस्टर विकसित किए गए हैं। हर एक महाद्वीप की आइटलाइन ओलम्पिक रिंग्स के पांच रंगों से प्रेरित है। विश्व वन का मकसद दुनिया भर के पेड़औरपौधेको एक साथ एक ही स्थान पर मिलाना है।
यहां पर दुनिया के सुदूर इलाकों में रहने वाले आदिवासियों और स्थानीय लोगों के परंपरागत घरों से आधार पर कुछ ख़ास संरचनाओं का भी निर्माण किया गया है जिससे यह पता चलता है कि उन इलाकों में रहने वाले लोगों का रहन-सहन कैसा था। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:-
फिजी हाउस- ब्यूर: ब्यूर शब्द लकड़ी और पुआल की झोपड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला फिजियन शब्द है। परंपरागत रूप से, स्थानीय फिजियन दो प्रकार के घरों में रहते हैं; एक घर को फैमिली हाउस कहा जाता थाजबकि पुरुषों के घर (जहां कबीले के पुरुष मिलते थे, खाते थे और सोते थे) को बर्स के नाम से जाना जाता था।
बाली हाउस: बाली का पारंपरिक घर एक ख़ास किस्म के प्राचीन वास्तुशिल्प निर्देशों का पालन करता है जो हिंदू और बौद्ध मान्यताओं से मिश्रण से उपजा है।यह ऑस्ट्रोनीशियन एनिमिज़्म के साथ जुड़ा हुआ है।
अफ्रीकी-लुइसियाना कॉन्फ्रेंस एरिया:-इस निर्माण की ख़ूबसूरती इसके पीछे के आधार में छिपी है। यह लुइसियाना के पुराने डिज़ाइन के साथ-साथ अफ्रीका के पुराने पारंपरिक घरों के जोड़कर बनाई गई है। एक तरह से यह दोनों महाद्वीपों की वास्तुकला का सुंदर मिलन है।
मालोका हाउस: यह संरचना ब्राजील की मारूबो जनजाति के पारंपरिक घर से प्रेरित है। मलोका एक पुश्तैनी लंबा घर है जिसका उपयोग अमेज़ॅन के स्थानीय लोगों द्वारा, विशेष रूप से कोलंबिया और ब्राजील मेंकिया जाता है।
पगोडा: पगोडा एक बहुस्तरीय मीनार है जिसमें कई छतरियां हैं। यह ऐतिहासिक दक्षिण एशिया में बनने वाले स्तूप और पूर्वी एशिया में विकसित हुई कुछ पुरानी परंपराओं के आधार पर बनाए गए हैं।
यहां एक सुविनिएयर शॉप भी हैं जहां से लोग अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए अलग-अलग स्मृति चिह्न ले जा सकते हैं। ये दुकानें आदिवासी स्वयं सहायता समूहों द्वारा चलाई जाती हैं, जो उनकी आजीविका में योगदान करती हैं।
आज से चार साल पहले जब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन किया गया था, तो ज्यादातर लोगों को लगा कि यह केवल एक मूर्ति है। लेकिन पीएम मोदी के पास एक बड़ा विजन और बड़ी योजनाएं थीं। उनका लक्ष्य इस पूरे परिसर को प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों के लिए एक आकर्षक पर्यटन केंद्र में बदलने का था।
गुजरात में पहले सीमित प्राकृतिक पर्यटन स्थल थे, विशेष रूप से केवल आध्यात्मिक पर्यटन स्थल लेकिन राज्य के पर्यटन विभाग ने लगातार काम करते हुए कई अन्य पर्यटन स्थलों को विकसित किया है। जिस गुजरात को ज़्यादातर लोग पहले कच्छ के रण के नाम से ही पहचानते थे आज वहां स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, शिवराजपुर बीच, सापुतारा जैसे कई पर्यटन स्थल सैलानियों की पहली पसंद बन चुके हैं।