
निर्मल रानी
भारत में इन दिनों “वोट चोरी” का मुद्दा आम लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में होने वाले चुनावों की हालाँकि पूरे विश्व में सराहना की जाती है परन्तु यह भी सही है कि इन चुनावों की पारदर्शिता को लेकर भी दशकों से सवाल उठते रहे हैं। आज यदि ई वी एम से होने वाली कथित धांधली पर सवाल उठाया जाता है तो बैलेट पेपर और मत पेटी के दौर में बूथ कैप्चरिंग व वोट गिनती में धांधली के आरोप भी लगते रहे हैं। परन्तु पिछले दिनों इस सम्बन्ध में उठा विवाद कुछ ज़्यादा ही तूल पकड़ गया है। इस विवाद में एक तरफ़ भारतीय जनता पार्टी व चुनाव आयोग है तो दूसरी तरफ़ कांग्रेस के नेतृत्व में इण्डिया गठबंधन के सभी दल। यह विवाद दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव व कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद उस समय शुरू हुआ, जब कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में गड़बड़ियों और वोटर फ़्रॉड के गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित अनेक विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर चुनावों में बेईमानी की गयी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और बिहार जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में फ़र्ज़ी मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं और डुप्लिकेट वोटर की प्रविष्टियां बनाई गईं हैं। कि कई जगह तो मतदाताओं के नाम सूची से भी हटा दिए गए हैं ।
इस संबंध में राहुल गाँधी ने चुनाव आयोग द्वारा ही उपलब्ध कराये गये वोटर लिस्ट के विशाल भंडार के शोध के आधार पर ही विशेष रूप से कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण दिया। उन्होंने अपनी पड़ताल में पाया कि अकेले महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में ही डुप्लिकेट प्रविष्टियों और फ़र्ज़ी पतों के द्वारा 1,00,250 वोट “चुराए गए।” विपक्ष के मुताबिक़ इस तरह की गड़बड़ियों के कारण ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को 2024 के चुनाव में पराजय हुई। विशेष रूप से उन सीटों पर जहां हार का अंतर 50,000 वोटों से कम था। राहुल गांधी ने तो यहाँ तक दावा किया कि इसी ‘वोटर फ्रॉड’ की वजह से ही कांग्रेस को लगभग 70 लोकसभा सीटों का नुक़सान हुआ। इसी बीच बिहार में निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों से पूर्व चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) का काम शुरू कर दिया। इस प्रक्रिया में बिहार की मतदाता सूची से लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिसे विपक्ष ने “वोट चोरी” का हिस्सा बताया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए चुनाव आयोग को इन हटाए गए नामों का विवरण और कारण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया। उसके बाद ही चुनाव आयोग ने इन्हें सार्वजनिक किया।
एक तरफ़ तो विपक्ष अर्थात इण्डिया गठबंधन, इस पूरे प्रकरण को लेकर चुनाव आयोग की बीजेपी के साथ मिलीभगत का आरोप लगा रहा है जबकि बीजेपी व चुनाव आयोग इसे विपक्ष की बौखलाहट और अनर्गल आरोप क़रार दे रहे हैं। पहले भी चुनाव आयोग विपक्ष के इस तरह के आरोपों को बार-बार ख़ारिज करता रहा है। परन्तु कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक ने इस मुद्दे को जनता तक ले जाने के लिए “वोट चोरी से आज़ादी” अभियान शुरू किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गत 17 अगस्त, 2025 को चुनावी राज्य बिहार के सासाराम से अपनी 16 दिवसीय ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ शुरू की। 1,300 किलोमीटर की यह यात्रा 1 सितंबर को पटना में एक विशाल रैली के साथ समाप्त होगी, जिसमें विभिन्न भारतीय राजनैतिक दलों के नेता शामिल होंगे। दूसरी तरफ़ ठीक उसी दिन व उसी समय यानी 17 अगस्त 2025 को ही चुनाव आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि मतदाता सूची की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के तहत है। आयोग ने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों को मतदाता सूची की जांच के लिए समय दिया जाता है, लेकिन विपक्ष ने समय पर आपत्तियां दर्ज नहीं कीं।आयोग ने राहुल गांधी से उनके आरोपों के समर्थन में शपथ पत्र मांगते हुए कहा कि यदि उन्होंने एक सप्ताह में अपनी आपत्तियों से सम्बंधित हलफ़नामा नहीं दिया तो उन्हें देश से मुआफ़ी मांगनी पड़ेगी। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सी सी टी वी फ़ुटेज को लेकर भी चुनाव आयोग ने कई ऐसी बातें कीं जिसे पक्षपातपूर्ण व अतार्किक माना जा रहा है।
बहरहाल, विपक्ष व चुनाव आयोग के बीच भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार इस क़द्र तल्ख़ी पैदा हुई है। चुनाव आयोग की मनमानी को बेनक़ाब करने के लिये कांग्रेस ने http://votechori.in के नाम से एक वेब पोर्टल लॉन्च किया है, जहां लोग ‘वोट चोरी’ के विरुद्ध अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं और डिजिटल मतदाता सूची की मांग का समर्थन कर सकते हैं। साथ ही कांग्रेस ने टोल फ़्री नंबर 9650003420 भी मिस्ड कॉल के लिये जारी किया है। इसपर जनता उन्हें अपना समर्थन व वोट सम्बन्धी अपनी शिकायत दे सकती है। विपक्ष ने इस मुहिम को “वोट चोरी से आज़ादी” अभियान का नाम दिया है। इसमें कोई शक नहीं कि अब “वोट चोरी” के मुद्दे ने देश की राजनीति में उबाल पैदा कर दिया है। पूरा देश इसे एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दे के रूप में देख रहा है। क्योंकि चुनाव आयोग व भाजपा की जुगलबंदी ने भारत जैसे विशाल लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर दिया है। विपक्ष तो सीधे तौर पर इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहा है। देश के मतदाता इस समय चुनाव आयोग के पक्षपातपूर्ण रवैये से परेशान होकर यही कहते दिखाई दे रहे हैं कि – तू इधर उधर की बात न कर। ये बता कि क़ाफ़िला क्यों लुटा ? मुझे रहज़नों से ग़रज़ नहीं। तेरी रहबरी का सवाल है??