
डॉ रघुवीर चारण
भारत एक संवैधानिक राष्ट्र है अर्थात् संविधान ही सर्वोपरि है देश की संवैधानिक विकास यात्रा में समय-समय पर कई बदलाव किए गए जिसका मक़सद राष्ट्रहित में सबको समानता का अधिकार प्रदान करना था परंतु राजनीति की आड़ में एक वर्ग विशेष के चंद लोगों ने खूब चाँदी काटी।और ऐसी व्यवस्था बना दी कि न्यायपालिका और कार्यपालिका में भेद करना मुश्किल हो गया।
राष्ट्र के विकास और प्रगति को देखते हुए हमारे संविधान में समय के अनुरूप कई अहम् संशोधन किए गए जिससे संवैधानिक व्यवस्था और सुदृढ़ हुई। गत वर्ष संसद के मानसून सत्र में 8 अगस्त, 2024 को दो विधेयक, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 , लोकसभा में पेश किए गए, जिनका उद्देश्य वक्फ बोर्ड के काम को सुव्यवस्थित करना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है।इसमें से वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 का प्रमुख उद्देश्य मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त करना है, जो औपनिवेशिक युग का कानून है और आधुनिक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए पुराना और अपर्याप्त हो गया है ये विधेयक अधिनियम का नाम बदलकर ‘संयुक्त वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने की सिफ़ारिश करता है उपरोक्त बिलों पर संसद में काफ़ी बहस हुई और कुछ ख़ामियाँ सुधारने के लिए 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया जिसमें दोनों सदनों के सदस्य शामिल थे इस सीमिति ने विपक्ष द्वारा मिले सुझावों व सिफारिशों पर गहन विचार विमर्श कर विधेयक को अंतिम रूप दिया।
हालही में जेपीसी द्वारा विचारित विधेयक को सरकार ने वापिस संसद में पेश किया तथा संसद के दोनों सदनों में वक़्फ़ बिल पर काफ़ी मंथन के बाद इसको पारित किया गया इस क्रांतिकारी बदलाव से वक़्फ़ व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी साथ ही सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यक समुदाय को राहत मिलेगी।
मध्यकालीन भारतीय इतिहास में वक़्फ़ का वर्णन मिलता है वक़्फ़ शब्द अरबी भाषा से आया है जिसका शाब्दिक अर्थ सरंक्षित करना है इस्लाम के अनुसार वक़्फ़ का मतलब जनकल्याणकारी संपति है जो जनहित के कार्यों में प्रयुक्त हो।गौरी साम्राज्य में सर्वप्रथम दो गाँवो को वक़्फ़ के नाम पर दान किया गया।इसके पश्चात मुग़लकाल में धर्मार्थ कार्यों के लिए दान के रूप में वक़्फ़ संपत्तियों को बढ़ावा मिला था वक़्फ़ संगठन की औपचारिक शुरुआत वर्ष 1913 में हुई तथा 1923 में इसे क़ानूनी मान्यता मिली तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने मुस्लिम समुदाय को एकजुट करने के लिये वक़्फ़ अधिनियम बनाया। आज़ादी के पश्चात स्वतंत्र भारत में संविधान के अंतर्गत वर्ष 1954 में वक़्फ़ बोर्ड का गठन किया जो अल्प संख्यक मंत्रालय के अधीन था फिर क्रमश इसमें कई संशोधन किए गए हालाँकि कुछ प्रमुख संशोधन वर्ष 1995 एवं 2013 में लागू किए जिसने इस अधिनियम को मज़बूती प्रदान की और ऐसे नियम बनाए कि वक़्फ़ का फ़ैसला आख़िरी होगा और वक़्फ़ की क़ानूनी व्यवस्था भी इस बोर्ड के अधीन रहेगी अर्थात् यहाँ अन्याय और भ्रष्टाचार हो तो आप कहीं और गुहार नहीं लगा सकते।विगत शताब्दी में वक़्फ़ बोर्ड भारतीय रेलवे और सेना के बाद सबसे बड़ा जमींदार बन गया इसकी वजह तुष्टिकरण की राजनीति है जहाँ राज्य सरकारों और इन वक़्फ़ संस्थाओं की मिलीभगत से अवैध क़ब्ज़े किए गए जहाँ जनकार्य के लिए बनी ये व्यवस्था अपने मूल उद्देश्यों से अलग हो गई।
वक़्फ़ बोर्ड की मौजूदा व्यवस्था में आम जनता को लगातार कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा आम नागरिकों के बहुत सारे मामले आज भी न्यायालय में लंबित हैं जिसमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार है -तमिलनाडु का थिरुचेंथुरई गांव जहाँ के किसान अपना कर्ज चुकाने के लिए अपनी ज़मीन बेच नहीं सकते क्योंकि इस गाँव की ज़मीन वक़्फ़ के पास है बेंगलुरु ईदगाह मैदान,सूरत नगर निगम और बेट द्वारका में द्वीप जैसे हज़ारों मामले आज भी विचाराधीन हैं। वक्फ बोर्ड से संबंधित मुद्दे इस प्रकार हैं
1)वक्फ संपत्तियों की अपरिवर्तनीयता
2)मुकदमेबाजी और कुप्रबंधन
3)कोई न्यायिक निगरानी नहीं
4)प्रावधानों का दुरुपयोग (धारा 40 का अंधाधुंध प्रयोग) 5)सर्वेक्षण में कमी
6)संवैधानिक वैधता(धर्म विशेष के लिए अलग क़ानून)
इन सभी को देखते हुए इस क़ानून में बदलाव की माँग लगातार उठ रही थी।
केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्तमान में वक़्फ़ बोर्ड भारत भर में 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करता है, जिसका अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये है। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी वक्फ होल्डिंग है।वक्फ बोर्ड के अंतर्गत 872,328 अचल संपत्तियां पंजीकृत हैं।लगातार बढ़ती संपत्तियों से वक़्फ़ बोर्ड मालामाल हो गए जनकल्याण के लिए बना ये क़ानून आपसी सौहार्द में वैमनस्य पैदा करने लगा ग़रीब अल्पसंख्यक वर्ग आज मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
वक़्फ़ बोर्ड में पारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश,तथा वक़्फ़ संपतियों का सेंट्रल डेटा बेस तैयार करने के साथ महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2025 में कई अहम प्रावधान शामिल किए जो इस क़ानून में एकरूपता और न्यायिक अड़चनों को दूर करेगा।वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2025 के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं – विधेयक का नाम एकीकृत वक्फ प्रबंधन, अधिकारिता, दक्षता और विकास अधिनियम, 2025 होगा ।
1)वक़्फ़ को वही भूमि दान कर सकता है जो पाँच साल से इस्लाम धर्म को अपनाता हो।
2)वक्फ के रूप में पहचानी जानेवाली कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं रहेगी।स्वामित्व विवादों का समाधान कलेक्टर द्वारा किया जाएगा।
3)केंद्रीय वक़्फ़ परिषद की सरंचना में दो ग़ैर मुस्लिम सदस्य भी होने चाहिए साथ ही दो मुस्लिम महिला सदस्य भी होंगे।
4)अब न्यायिक प्रक्रिया के लिए वक़्फ़ ट्रिब्यूनल से ऊपर सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में भी अपील दायर कर सकते हैं।
5) पहले केवल वक़्फ़ खातों का ऑडिट का राज्य सरकार के पास था अब इसमें केंद्र सरकार को भी शामिल किया गया।
6)शिया और सुन्नी संप्रदायों के साथ बोहरा और अगाखानी संप्रदायों के अलग-अलग वक्फ बोर्ड होंगे।
उपरोक्त सभी क्रांतिकारी बदलाव वर्तमान समय की माँग थी क्योंकि इससे वक्फ प्रणाली का ढाँचा सुव्यवस्थित होगा तथा वक्फ से संबंधित मामलों की न्यायिक प्रक्रिया सरल होगी और इस नये बिल में सरकार ने प्रशासन की भूमिका भी तय की है जिससे आमजन में विश्वास बढ़ेगा तथा वक़्फ़ संपतियों का डिजिटलीकरण भी बेहतरीन निर्णय हैं साथ ही शोषित और वंचित अल्पसंख्यक समुदायों को मुख्य धारा में लाया जाएगा।
दुनिया में आधुनिकरण तीव्र गति से बढ़ रहा है वर्तमान में 21वी सदी का भारत उतनी ही तीव्र गति से प्रगतिशील है इसलिए समय के साथ परिवर्तन आवश्यक है हमें अपने पिछले कानूनों की समीक्षा करनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उसमें सुधार किया जाए तथा अपने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए।वक़्फ़ संशोधन विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय के हित में परिवर्तनकारी निर्णय है ।।
(शोधार्थी चिकित्सा विज्ञान)