समाज व राष्ट्र के प्रति हम सभी की जिम्मेदारी है

डॉ. विक्रम चौरसिया

आज हमारा राष्ट्र प्रगति के पथ पर अग्रसर है भारत विश्व की उभरती ताकत के रूप में उभर रहा है, लेकिन एक तरफ जब नन्हें नन्हें देश के भविष्य हमारे बच्चे , बुजुर्ग व्यक्ति सडकों पर भीख मांगेंगे, रोटी रोटी के लिए दर दर ऐसे ही भटकते रहेंगे तो कैसे आखिर विश्व गुरु बनेंगे? किसी भी राष्ट्र को संपूर्ण रूप से विकसित होने के लिए वहां के युवाओं की प्रमुख भूमिका होती है, लेकिन आप ही सोचो विश्व के सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश भारत के बेरोजगार युवा दर दर ऐसे ही भटकते ही रहेंगे तो कैसे आखिर देश विकसित होगा? जब हमारे देश के रीढ की हड्डी मतलब कि हमारे अन्नदाता किसान आज आजादी के इतने वर्षों के बाद भी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने से कर्ज में हो जिसके कारण अपने बच्चों को अच्छी स्वास्थ्य ,भोजना, शिक्षा भी नहीं दे पाने से आए दिन आत्महत्या कर रहे हों ऐसे में कैसे हम आखिर विश्व गुरु बनेंगे?एक तरफ तो देश का बड़ा तबका कुपोषण का शिकार वही एक वर्ग ओवरन्यूट्रिशन का शिकार हो रहा है , जहां देश के अधिकांश संसाधनों पर कुछ लोगों का अधिकार है तो वही एक बहुत बड़ा तबका आज आजादी के इतने वर्षो बाद भी रोटी ,कपड़ा, मकान के लिए भी संघर्ष कर रहा हो ऐसे में भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं , अधिकारियों से कैसे गरीबों मजलूमों का उद्धार होगा?इस आधुनिकता की चकाचौंध में,कैसे हमारे संस्कृति का संरक्षण होगा? ऐसे ही अंधविश्वास में जकड़े रहेंगे हम तो,कैसे आखिर हमारा देश विश्व गुरू बनेगा ? व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है, एक जिम्मेदार व्यक्ति के लिए समाज और राष्ट्र के प्रति भी जिम्मेदारी होती है, इसलिए यहां आपसे मैं चाहता हूं कि आप भी दृढ़ संकल्प ले की एक अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए अपने पारिवारिक दायित्वों के साथ ही देश और समाज के प्रति दायित्वों का निर्वाह भी पूरी ईमानदारी से करना है, हम नागरिकों के लिए आवश्यक है कि हम वास्तविक अर्थो में आत्मनिर्भर बनें, ये देश के विकास के लिए बहुत आवश्यक है, यह तभी संभव हो सकता है, जब देश में अनुशासित, समय के पाबंद, कर्तव्यपरायण और ईमानदार नागरिक बने ,हमें जरूरतमंद लोगों की मदद अपने सामर्थ्य अनुसार जरूर करनी है ,परिवार एवं आसपास के लोगों से मेलजोल और समन्वय के साथ रहना चाहिए,इससे परिवार और समाज में शांति, आपसी प्रेम और परस्पर विश्वास , प्यार की रसधार बहेगी, “मेरा भारत महान” बनाना चाहते हैं तो पहले खुद महान तो बनो और महान बनने के बीज इन छोटी-छोटी बातों में ही छिपे होते हैं,करने दीजिये लोग जो करते है बस आप अपनी जिम्मेदारी लीजिये बस खुद से अभी वादा कीजिए कि कोई भी जरूरतमंद मेरी इस आंखों से दिखेगा तो अपने समर्थ अनुसार उसकी मदद जरूर करूंगा।