एशियाई खेलों स्वर्ण जीतने की मुश्किल चुनौती के लिए हम हैं तैयार: गुरजंट

  • निगाहें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर टीम को उसके लक्ष्य तक पहुंचाने पर
  • एशियाई खेलों में मेरी जिम्मेदारी अचूक निशाने जमा गोल करने की

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : लंबे कद के स्ट्राइकर गुरजंट सिंह की प्रतिभा और हॉकी कौशल पर कभी कोई शक नहीं था। निरंतरता का अभाव के चलते वह बराबर भारत टीम से अंदर -बाहर होते रहे। गुरजंट को खुद को खुशकिस्मत मानना चाहिए नए चीफ कोच क्रेग फुल्टन ने उन्हें अनुभवी आकाशदीप सिंह, उनके चचेरे भाई सिमरनजीत सिंह और दिलप्रीत सिंह जैसे कहीं सधा हुआ प्रदर्शन करने वाले स्ट्राइकरों पर तरजीह देते हुए हांगजू(चीन) में होने वाले 19 एशियाई खेलों के लिए भारत की 18 सदस्यीय पुरुष हॉकी टीम में चुना। 28 बरस गुरजंट ने सीनियर भारतीय टीम के लिए अपने करियर का आगाज 2017 में किया लेकिन पिछले एशियाई खेलों में टीम में चोट के चलते जगह बनानशे से चूक गए थे। अब गुरजंट की निगाहें भारत को हांगजू एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जिता सीधे पेरिस में 2024 के ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने पर लगी हैं।

गुरजंट 2016 में भारत को लखनउ में एफआईएच जूनियर हॉकी विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभा सुर्खियों में आए। फिर टोक्यो ओलंपिक में आठ बार के चैंपियन भारत को 41 बरस के लंबे अंतराल के बाद कांसे के रूप में पहला जिताने , 2022-23 में एफआईएच प्रो लीग में तीसरा स्थान दिलाने तथा 2022 में राष्टमंडल खेलों में रजत तथा बीते महीने चेन्नै में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जिताने में गुरजंट ने अहम योगदान किया।

गुरजंट कहते हैं, ‘हमारी टीम का ध्यान अच्छी हॉकी खेल अपनी योजना को अमली जामा पहनाने पर है। हमने बेशक हाल ही चेन्नै में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीती है लेकिन हम कुछ भी तय मान कर नहीं चल सकते। हर टीम का ध्यान बढिय़ा हॉकी खेल अपनी योजना को अमली जामा पहनाने का होगा। हम जानते हैं क्या दांव पर है। हर टीम की पुरजोर कोशिश स्वर्ण पदक जीतने की होगी। एशियाई खेलों में स्वर्णजीतना बेशक मुश्किल चुनौती है लेकिन हम चुनौती के लिए तैयार हैं। मेरी निगाहें अपना सर्वश्रेष्ठï प्रदर्शन कर भारतीय टीम को उसके लक्ष्य तक पहुंचाने पर लगी हैं। एशियाई खेलों में मेरी जिम्मेदारी और ध्यान अचूक निशाने जमा गोल करने की होगी। मैंने बीते कुछ महीनों में अपने हॉकी कौशल को और बेहतर करने काफी मेहनत की।’

वह कहते हैं, ‘मेरी भारत के लिए अब हाकी यात्रा शानदार रही। मुझे अपनी इस यात्रा में टीम के सभी साथियों का पूरा सहयोग मिला और इसके लिए मैं सभी का आभारी हूं। मैं अब बहुत समय से टीम का हिस्सा हूं। मैं बीते कुछ बरसों में बतौर खिलाड़ी बहुत कुछ सीखा है मेरी भारत के लिए अब हाकी यात्रा शानदार रही। मुझे अपनी इस यात्रा में टीम के सभी साथियों का पूरा सहयोग मिला और इसके लिए मैं सभी का आभारी हूं। मैं अब बहुत समय से टीम का हिस्सा हूं। मैं बीते कुछ बरसों में बतौर खिलाड़ी बहुत कुछ सीखा है। मैं चोट के चलते पिछले एशियाई खेलों में शिरकत करने से चूक गया था। तब घर बैठ कर अपनी भारतीय टीम के लिए मैच देखना मेरे लिए खासा मुश्किल रहा था। मैं खुद बहुत फख्र महसूस कर रहा हूं और रोमांचित हूं कि मुझे अब पहली एशियाई खेलों में भारतीय हॉकी टीम का नुमाइंदगी का मौका मिल रहा है।’