- ध्यान गेंदबाजी कमजोर किए बिना नीचे तक बल्लेबाजी मजबूत करने पर
- बड़ी चिंता हमारी बल्लेबाजी सातवें नंबर पर खत्म हो जाती है
- भारत को आठवें और नौंवे नंबर तक बल्लेबाजी चाहिए
- यशस्वी, तिलक, मुकेश, कुलदीप यादव, अर्शदीप हैं हमारी भारतीय टीम का भविष्य
- भारतीय गेंदबाजों को अपनी बल्लेबाजी कुछ बेहतर करने की जरूरत
- दुबे, सुंदर और वेंकटेश अय्यर को भविष्य के लिए तैयार करने की जरूरत
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत के चीफ कोच राहुल द्रविड़ कहा कि टीम की मेजबान वेस्ट इंडीज से पांचवां व अंतिम टी-20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच आठ विकेट से हार सीरीज 2-3 से गंवाने से मिला बड़ा सबक यह है कि टीम को और नीचे तक अपनी बल्लेबाजी मजबूत बल्लेबाजी करने की जरूरत है। द्रविड़ ने रविवार रात लाउडरहिल में अंतिम टी-20 मैच के कहा, ‘हमारे पास इस टी-20 सीरीज के लिए जो टीम थी उससे हमें जरूरत के मुतबिक टीम संयोजन में थोड़ा बदलाव करने की गुंजाइश नहीं थी। अब आगे खुद को बेहतर करने के लिए अपनी कुछ कमियों को दूर करना है। इनमें हमें खासतौर पर अपनी बल्लेबाजी और नीचे तक मजबूत करने की जरूरत है। बेशक हम जो कुछ भी अपना सर्वश्रेष्ठ कर सकते हैं उसकी कोशिश कर रहे हैं। हमारा ध्यान गेंदबाजी कमजोर किए बिना नीचे तक बल्लेबाजी मजबूत करने पर है। हाल ही सम्पन्न टी -20 सीरीज में हर मैच के साथ स्कोर बड़ा और बड़ा होता गयाा। इसका कारण यह रहा कि वेस्ट इंडीज के पास अंतिम और 11 वें नंबर बल्लेबाजी के उतरने वाले अल्जारी जोसेफ के रूप में एक ऐसा गेंदबाज है जो जरूरत पडऩे गेंद को उड़ा सीमा रेखा के पार पहुंचा सकता है। हमारी आगे की आईसीसी टी-20 विश्व कप की टीम इन्हीं 15 में से बनेगी। ऐसे में हमें क्रिकेट के इस सबसे छोटे फॉर्मेट में आगे बढऩे में नौजवानों पर ध्यान देने की जरूरत होगी। इसीलिए यशस्वी जायसवाल, तिलक वर्मा, मुकेश कुमार, कुलदीप यादव, अर्शदीप सिंह जैसे खिलाड़ी ही हमारी भारतीय टीम का भविष्य हैं।’
उन्होंने कहा, ‘कुछ कमियां जिन्हें वाकई दूर करना होगा। सबसे बड़ी चिंता यह है कि क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में हमारी बल्लेबाजी सातवें नंबर पर खत्म हो जाती है। हमारे शीर्ष क्रम में कई ऐसे बल्लेबाज हैं जो कि न तो अच्छा आगाज कर पा रहे हैं और न ही बढिय़ा आगाज को बड़े स्कोर में बदल पा रहे हैं। लगने लगता है कि सातवें नंबर पर हमारे पास बल्लेबाजी करने के लिए कोई है नहीं। ऐसे में हमारे शीर्ष क्रम के बल्लेबाज ही ज्यादा ओवर खेल जातेे हैं क्योंकि उनके जेहन में यह बात आ जाती है कि टीम सातवें नंबर के बाद बल्लेबाजी के लिए कोई है नहीं। जब आपकी सोच ऐसी होती है तो फिर आप दिक्कत महसूस करते हैं। आगे दस महीनों में भारत टी-20 विश्व कप में भी खेलेगा। सातवें नंबर के बाद बल्लेबाज ही न हो भारतीय टीम के लिए यह खाका नहीं चल सकता। भारत को आठवें और नौंवे नंबर तक बल्लेबाजी चाहिए। निचले क्रम में हमारी टीम के गेंदबाजों में कोई ऐसा होना चाहिए जो अपना बल्ला भांज कर लंबे स्ट्रोक खेल सके। भारतीय गेंदबाजों को अपनी बल्लेबाजी कुछ बेहतर करने की जरूरत है। हमारे गेंदबाजों को अपनी छक्के और चौके जडऩे की क्षमता को बेहतर करने की जरूरत है। हमें टीम में ऐसे खिलाडिय़ों की जरूरत है जो कि बल्लेबाजी और गेंदबाजी कर सकते है। ऐसे में मेरे जेहन में शिवम दुबे, वाशिंगटन सुंदर और वेंकटेश अय्यर जैसे खिलाडिय़ों के नाम आते हैं और हमें उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘ वेस्ट इंडीज के खिलाफ उसके घर में सीरीज में सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल, बल्लेबाज तिलक वर्मा और मुकेश कुमार ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर का दमदार आगाज कर प्रभावित किया। यशस्वी जायसवाल ने खासतौर पर चौथे टी-20 मैच में बेहतरीन पारी खेली। उन्होंने आईपीएल में हमें दिखाया कि वह क्या कर सकते हैं और यह देख कर अच्छा लगा कि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आईपीएल के अपने प्रदर्शन को दोहराया। रही बात तिलक वर्मा की तो वह वाकई मध्यक्रम में वाकई बढिय़ा खेले। तिलक टी-20 सीरीज में कई मैचों में बेहद मुश्किल स्थिति में खेलने उतर कर बड़ा जिगरा दिखाया और सकारात्मक अंदाज में खेल को आगे बढ़ाया ही पूरी सीरीज में बेहद चुस्त क्षेत्ररक्षक किया ही यह भी दिखाया कि वह एक या दो बढिय़ा ओवर भी फेंक सकते हैं। तिलक जैसे बाएं हाथ के बल्लेबाज का टीम में मध्यक्रम में होना हमारे लिए उन कुछ टीमों के आक्रमण के खिलाफ होना बड़ा फर्क डालेगा। नवोदित तेज गेंदबाज मुकेश कुमार ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ मौजूदा सीरीज में तीनों प्रारूप-टेस्ट, वन डे और टी-20 में भारत के लिए अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का आगाज कर खुद को सभी प्रारूप के अनुरूप बढिय़ा ढंग से ढाला। क्रिकेट के छोटे फॉर्मेट में खासतौर पर आखिर के मारधाड़ वाले ओवरों के साथ कई बार बीच के ओवरो में धाकड़ हिटर्स के खिलाफ गेंदबाजी के लिए बुलाए जाने पर उन जैसे अपना मात्र चौथा और पांचवां मैच खेल रहे गेंदबाज का खुद को जरूरत के मुताबिक ढाला। इस सीरीज हमारे लिए इसलिए अच्छी और सकारात्मक रही कि जिन खिलाडिय़ों सीरीज में अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर का आगाज कर प्रभावी प्रदर्शन किया तो वे इससे अब आयरलैंड के खिलाफ सीरीज में आत्मविश्वास से उतरेंगे और आगे बराबर सीखेंगे।ये सभी आयरलैंड जा रहे है और टी-20 क्रिकेट में और कुछ और मौके भी मिलेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि इन्हें जितने ज्यादा मौके मिलेंगे वे उतना ही और बेहतर होंगे।
‘ बल्लेबाजी करने उतरने पर जमने में वक्त लिया और फिनिश नहीं कर पाया ‘
‘मैं जब बल्लेबाजी करने उतरा तो बाद के दस ओवर में हम मैच हारे। मेरा मानना है कि स्थिति का लाभ नहीं उठा पाया। मैंने बल्लेबाजी के लिए उतरने के बाद जमने में वक्त लिया और फिनिश नहीं कर पाया। मेरा मानना है कि हमारे लड़के वाकई बढिय़ा खेले।मेरा मानना है जब मैं बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर उतरा मैं उस तरह बल्लेबाजी नहीं कर पाया जैसी मुझे करनी चाहिए थी। जायसवाल, तिलक और मुकेश हमारे हर नौजवान खिलाड़ी ने बड़ा जिगरा और खुद पर भरोसा दिखाया। यह मैंने बहुत समय से नहीं देखा। इन तीनों को उनके जिगरे और जीवट के लिए सलाम। मुझे बतौर कप्तान इस बात की खुशी है कि हमारे सभी नौजवान खिलाड़ी ने मैदान पर उतर कर जिम्मेदारी से खेले। मेरा मानना है कि हम ग्रुप के रूप खुद को चुनौती देते हैं’
-हार्दिक पांडया, भारत के कप्तान