- हम एशियाई खेलों स्वर्ण जीत सीधे पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करना चाहते हैं
- अहम रहेगा दबाव में अच्छा प्रदर्शन कर हालात से निपटना
- हमें अच्छी हॉकी खेल दबाव से निकलने की राह तलाशनी होगी
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : शुएर्ड मराइन के मार्गदर्शन में भारतीय महिला हॉकी टीम के 2020 के टोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने के बाद अपना पद छोडऩे के बाद नीदरलैंड की ही यांकी शॉपमैन ने टीम के चीफ कोच की जिम्मेदारी संभाली। अब शॉपमैन पर भारतीय महिला हॉकी टीम को अपने मार्गदर्शन में हांगजू(चीन) में होने वाले एशियाई खेलों स्वर्ण पदक जिता सीधे 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने की जिम्मेदारी है। शॉपमैन ने हॉकी ते चर्चा के दौरान हांगजू एशियाई खेलों के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम की तैयारियों, दबाव , उम्मीदों और संभावनाओं की बाबत चर्चा करते हुए कहा, ‘ मेरा मानना है कि एशियाई खेलों में हमारी खिलाडिय़ों की बतौर खिलाड़ी और टीम जेहनी सोच बड़ा फर्क पैदा करेगी। मैं इन एशियाई खेलों में भारतीय टीम के साथ पहली बार बतौर कोच जा रही हूं। मैंने अपनी टीम की खिलाडिय़ों को यही समझाने पर जोर दिया है कि आप किसी भी टूर्नामेंट इस सोच के साथ उतरते हैं यह सबसे अहम है अथवा यह एक महज टूर्नामेंट हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह आपका यह पहला टूर्नामेंट है या अािखरी। बतौर खिलाड़ी आपके लिए अहम यह है कि आप जब टूर्नामेंट में खेलने उतर रहे हैं तो आपको मौकों को पूरी तरह भुनाना होगा और अपनी कूवत दिखानी होगी। एशियाई खेलों में कामयाब होने के लिए हम मौकों को पूरी भुनाने और अपनी कूवत दिखाने के मकसद से उतरेंगे। हम हांगजू एशियाई खेलों स्वर्ण जीत सीधे 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करना चाहते हैं। अहम रहेगा कि क्या हम दबाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं और सामने हालात से निपट सकते हैं। हमने बीते महीनों इस बाबत चर्चा की है। हम टोक्यो ओलंपिक में छुपे रुस्तम के रूप में उतरे थे।हमें समझना अब हांगजू एशियाई खेलों में खिताब के दावेदार होने के क्या मायने हैं।’
भारतीय महिला हांकी टीम एशियाई खेलों में दक्षिण कोरिया, मलयेशिया, हांगकांग और सिंगापुर के साथ पूल ए में हैं। वहीं जापान, चीन, थाईलैंड, कजाकिस्तान, इंडोनेशिया की टीमें पूल बी में है। भारतीय महिला हॉकी टीम अपने अभियान का आगाज सिंगापुर के खिलाफ अपने अभियान को आगाज करने के बाद 29 सितंबर को मलयेशिया, 1 अक्टूबर को दक्षिण कोरिया और 3 अक्टूबर को हांगकांग से भिड़ेगी। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली महिला हॉकी टीम 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए सीधे क्वॉलिफाई करेगी।
यॉकी शॉपमैन ने कहा, ‘हमने इस बाबत चर्चा की कि लोग हमें कैसे देखते हैं और उनकी इन एशियाई खेलों में हमारी इस टीम से क्या उम्मीदें हैं। हम इस बाबत भी चर्चा की एशियाई खेलों में कौन से ऐसे खतरे हैं जो हमारा ध्यान भटका हमारी गाड़ी पटरी से उतार सकते हैं। हमने यह भी चर्चा की कि इन सबसे हम कैसे निपट सकते हैं। अक्सर कई बार आपके आसपास इतना कुछ घट जाता है कि अब बतौर एक कोच और खिलाड़ी यह भूल जाते हैं कि आप केवल हॉकी खेलने आए हैं। आपके लिए अपनी इस यात्रा का लुत्फ उठाना भी अहम है। मुझे अपनी भारतीय महिला हॉकी टीम से एशियाई खेलों में जीतने की उम्मीद है। मुझे लगता है हम जीत सकते हैं लेकिन यही जिंदगी है शायद हम न भी लेकिन हम न भी जीते। हम यह जानते हैं कि हम वही कर सकते थे जो हमारे बस में है। हम जानते हैं कि हमें निजी और टीम के रूप में जितना अच्छा खेलने में सक्षम थे उतना खेले और तब हमें नतीजे को भी मानना होगा। मैं बतौर कोच भारतीय टीम की लड़कियों को बस यही समझाने की कोशिश कर रही हमें मैदान पर अच्छी हॉकी खेल कर दबाव से निकलने की राह तलाशनी होगी।’
वह बताती हैं, ‘हम यदि एशियाई खेलों में स्वर्ण जीत सीधे पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने में कामयाब रहे तो यह यह राष्ट्रीय शिविर में सभी 34 खिलाडिय़ों की मेहनत पर मुहर होगी। जहां तक एशियाई खेलों के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए चुनी 18 खिलाडिय़ों की बात यह है तो हम इसमें केवल उन्हीं खिलाडिय़ों को शामिल नहीं कर सकते जो पहले टीम के लिए सबसे ज्यादा मैच खेल चुकी है। ऐसे में मैं टीम पर निगाह डालते यह तलाशने की कोशिश करती हूं कि चुनी गई हर खिलाड़ी की टीम के लिए क्या अहमियत है और ये सभी किस तरह एक दूसरे के साथ कितने बढिय़ा ढंग से तालमेल कर सकती है। कुछ जूनियर खिलाड़ी बीते कुछ महीनों में बहुत बेहतर हुइ है और इसीलिए वह इस भारतीय टीम का अहम हिस्सा बन गई हैं। हमने एशियाई खेलों अपने लक्ष्य की बाबत चर्चा की लेकिन आखिर सब चर्चा दबाव और जिगरे पर आकर टिक जाती है। हमें इस बाबत कुछ नहीं मालूम है कि हांगजू एशियाई खेलों में खेल गांव कैसा होगा। हमें वहां किस तरह तरह की चुनौतियों का सामना करना होगा । हमें ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिन पर हमारा बस नहीं है। हमें मालूम नहीं कि हांगजू का मौसम और वहां खाना कैसा अथवा हमारी पसद का होगा। इसीलिए हर टूर्नामेंट की तरह एशियाई खेलों की छोटी से छोटी बात पर चर्चा जरूरी है। हम यदि अब इस पर चर्चा नहीं करेंगे तो यह बड़ी बन किसी और बड़ी दिक्कत का सबब बन सकती है।’