विनय श्रीवास्तव
भारत चुनावों का देश है। यहां हमेशा कहीं ना कहीं और किसी ना किसी प्रदेश में कोई ना कोई चुनाव होता ही है। राजस्थान सहित कई राज्यों में एक बार फिर से वोट का बाजार सजने वाला है। नेताजी हाथ जोड़कर घर घर पहुंचने वाले हैं। फीता काटने और उदघाटन का सिलसिला शुरू होने वाला है। एक ही कार्य पर पक्ष- विपक्ष दावा ठोकने वाला है। इस खुले बाजार में हमें लुभाने और खरीदने की कोशिशें तेज होने वाली है। एक बार फिर वही कहानी और लोकलुभावन वादों का सिलसिला शुरू होने वाला है। लेकिन वोट के इस बाजार में नहीं बिकेंगे हम। क्या इस बाजार में हम कुछ भी खरीद लेंगे/किसी को भी वोट दे देंगे ? या जिस हम अपने घर के लिए छोटी छोटी वस्तु भी बिन चुन कर, ठोक ठेठा कर खरीदते हैं, वैसे ही यहां भी करेंगे ? यदि हमलोग एक वक्त की सब्जी खरीदने के लिए भी हद से अधिक जांच पड़ताल करते हैं तो क्या हम अपने समाज, प्रदेश और देश की हित में अपना अति महत्वपूर्ण वोट यूं ही किसी को भी दे देंगे ? क्या हम वोट मांगने वाले नेताओं की पृष्ठभूमि, उनकी कार्य करने की कुशलता, उनका चरित्र और पुराने वादों का हिसाब लिए वगैर ही एक बार फिर मूर्ख बनेंगे ? नहीं। ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए। हमें अपने समाज, प्रदेश और देश की विकास और सुरक्षा हेतु जागरूक होना ही पड़ेगा। अपने किसी भी निजी स्वार्थ के बिना राष्ट्र प्रथम, राष्ट्र सर्वोपरि के मूल मंत्र पर हमलोग आगे बढ़ेंगे। किसी भी राजनीतिक दल या किसी भी नेता की झूठी लोकलुभावन वादों के भंवर में नहीं फंसना है। हमारे वोट पर हमारा अधिकार होना चाहिए ना की किसी और की। हमें यह देखना होगा और आंकलन करना होगा की पिछले पांच वर्षों में हमारी बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा पर राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपने वादों को पूरा किया या नहीं। हमें यह भी देखना होगा की पिछले पांच वर्षों में नेताजी हमारे पहुंच में थे या नहीं। जब हमें अपनी बुनियादी सुविधाओं की बहुत अधिक जरूरत थी या है तब क्या हमारे जनप्रतिनिधि हमारी मांग और विनती को सुलझा पाए या नहीं। यदि नेताजी पूरे पांच वर्ष हमें भ्रमित करते रहे और अपनी जनता को स्वच्छ जल, बिजली, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य पर कोई काम ही नहीं किया तो यही अवसर है उन्हें आराम देने की। हम अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और उन्हें आराम देंगे। जिन्होंने हमें पूरे पांच साल परेशान और भ्रमित किया है उन्हें सबक सिखाने का सबसे बढ़िया यही चुनावी वक्त होता है। इसके लिए आवश्यक है कि हम सभी लोग जागरूक रहें। अपने वोटर कार्ड के साथ तैयार रहें। अपने आस पड़ोस का कोई भी नागरिक जिनकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक है वो वोटर कार्ड के बिना नहीं रहे। सिर्फ आवाज बुलंद करने, शोर मचाने, या नेताओं को गाली देने से बात नहीं बनेगी। लोकतंत्र में हमारा हथियार हमारा मतदाता पहचान पत्र यानी वोटर कार्ड ही है। यदि अभी भी वोटर कार्ड तैयार नहीं है या इसमें कोई बदलाव करनी है तो आप अपने नजदीकी मतदाता पहचान पत्र केंद्र से संपर्क करें। यदि आप अपने नौकरी या बिजनेस में व्यस्त हैं तो चुनाव आयोग की साइट www.nvsp.in पर लॉगिन करें। यहां आपको अपने वोटर कार्ड से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध है। यह सब जानकारी देने का एकमात्र उद्देश्य आपको अपने मताधिकार के प्रति जागरूक करना। जब तक हम तैयार नहीं होंगे, हमें हर बार कोई न कोई ठगता ही रहेगा। इसलिए आइए हम सब अभी से होने वाले चुनाव की तैयारी में लग जाएं। हम सभी समाज, प्रदेश और देश की विकास यात्रा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें और इसका भागीदार बनें।