राष्ट्रमंडल खेलों से हॉकी को हटाना दुखद, हमारा लक्ष्य इसमें स्वर्ण जीतना था
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और चीफ कोच मेहमान जर्मनी के खिलाफ यहां 23 और 24 अक्टूबर को दो मैचों की हॉकी सीरीज को खेलने को लेकर खासे रोमांचित हैं। भारत और जर्मनी दोनों ने इस द्विपक्षीय हॉकी सीरीज के लिए अपने कई नौजवान खिलाड़ियों को मौका दिया है। एक रोचक बात यह है कि भारत के दक्षिण अफ्रीकी कोच क्रेग फुल्टन ने इसी मैदान पर 1995 में अपने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी करियर का आगाज किया था। वहीं भारत के कप्तान हरमनप्रीत सिंह को 2013 में भारतीय जूनियर हॉकी टीम के लिए चीफ कोच हरेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में कड़ी गर्मी में खेलना आज भी इसलिए याद है कि इसी कड़ी मेहनत ने उन्हें एक दशक की उनकी लंबी हॉकी के लिए तैयार किया।
भारत के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने कहा, ‘ 2013 में दिल्ली जूनियर कैंप 2013 में मैं तब चीफ कोच हरेन्द्र के मार्गदर्शन में 11 बरस पहले खेलना मुझे आज भी याद है। मुझे इस मैदान पर खेलने का अनुभव और उनके मार्गदर्शन में कड़ी धूप में दौड़ आज भी याद है। मैं खुश हूं कि एक दशक से ज्यादा के बाद यहां मेजर ध्यानचद नैशनल स्टेडियम में जर्मनी के खिलाफ हम दो मैचों की हॉकी सीरीज से अंतर्राष्ट्रीय हॉकी की वापसी हो रही है। हम जर्मनी के खिलाफ इस द्विपक्षीय हॉकी सीरीज को खेलने को लेकर खासे रोमांचित हैं। हम जर्मनी के खिलाफ जीते या हारे हमेशा पूरी शिद्दत से खेलते हैं और इस द्विपक्षीय हॉकी सीरीज में पूरी शिद्दत से खेलेंगे। हम जर्मनी के खिलाफ पूरी शिद्दत से खेल कर अपनी योजना को अमली जामा पहनाने उतरेंगे। पिछले एक दो बरस से हमें अपनी योजना पर काबिज रह कर खेलने के अच्छे नतीजे मिले हैं। हम जर्मनी के खिलाफ हारे या जीते हमेशा जेहन में यही रहता है कि हम इन मैचों से ज्यादा से ज्यादा सीखे। जर्मनी ही दुनिया की हर टीम आज एक नहीं बल्कि दो स्ट्रक्चर से खेलती है। आपको आप जितनी जल्दी प्रतिद्वंद्वी टीम की रणनीति का विश्लेषण कर उतना बेहतर होता है।11 साल जर्मनी के खिलाफ सीरीज के दोनों मैच रोमांचक रहने वाले हैं। आज की हॉकी में कोई भी एक स्ट्रक्चर नहीं बल्कि दो तीन स्ट्रक्चर से खेलती है और आपको उसकी रणनीति का विश्लेषण कर खुद को मच के लिए तेयार करना पड़ता है। जहां तक 2026 के राष्ट्रमंडल खेलों से हॉकी को हटाए जाने की बात है तो यह दुखद है। इसमें हमार लक्ष्य इसमें स्वर्ण पदक जीतना था , बदकिस्मती इसे इनसे हटा दिया गया है। अब हमारा पूरा ध्यान जर्मनी के खिलाफ दो मैचों की सीरीज पर है। जहां तक वरुण कुमार किन्हीं कारणों से लंबे समय से भारतीय हॉकी टीम से बाहर रहने के बाद अब भारतीय टीम में वापसी की बात है तो पूरी टीम उनके साथ है। मुझे पूरी उम्मीद है कि भारत के लिए कई अहम टूर्नामेंट खेल चुके वरुण कुमार जर्मनी के खिलाफ सीरीज में पूरी शिद्दत से खेलेंगे। विवेक सागर को जहां तक भारतीय टीम की जिम्मेदारी सौंपनी की बात है तो इस बाबत यही कहूंगा कि उन्होंने नेतृत्व क्षमता दिखाने के साथ भारतीय टीम के लिए हमेशा योगदान किया है।
स्मार्ट जर्मनी के खिलाफ रणनीति बदल कर खेलना होगा : फुल्टन
वहीं भारतीय हॉकी टीम के चीफ कोच क्रेग फुल्टन ने कहा, ‘जर्मनी रणनीतिक रूप से बेहतर टीम है और वह हमारे खिलाफ दो मैचों की सीरीज के लिए अपनी अंडर 21 विश्व चैंपियन टीम के साथ आई है। जर्मनी के खिलाफ यह सीरीज हमारे लिए अपने नौजवान खिलाड़ियों को आंकने का मौका है। एशियन चैंपियन ट्रॉफी में हमारे उत्तम सिंह पैर में चोट, जुगराज सिंह कधे और बॉबी सिंह धामी टखने में चोट के कारण जर्मनी के खिलाफ सीरीज के लिए उपलब्ध नहीं है। इन खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी आदित्य और राजिंदर सिंह नवोदित खिलाड़ियों के लिए भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय हॉकी करियर शुरू करने का मौका है। यह सीरीज दिलप्रीत सिंह और शिलानंद लाकरा जैसे खिलाड़ियों के लिए फिर से भारतीय टीम के लिए अपनी दावेदारी पक्की करने का मौका है। जर्मनी मैन टू मैन भी खेलती है और स्थिति के मुताबिक अपनी रणनीति बदलती है और स्मार्ट टीम है और हमें उसके खिलाफ बहुत चतुराई से अपनी रणनीति बदल कर खेलना होगा। जर्मनी की इस टीम में अंडर 21 विश्व चैंपियन टीम के कई खिलाड़ी हैं। टेस्ट खेलने को मैं हमेशा अहम मानता हूं।