हमारी भारतीय महिला हॉकी टीम का फोकस अपनी फिटनेस बेहतर करने पर
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : हरेन्द्र सिंह की गिनती भारत के सबसे कामयाब हॉकी कोच के रूप में होती है। वह भारत को 2016 में जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप जिताने के साथ सीनियर पुरुष और महिला हॉकी टीम के चीफ कोच रहे। वह करीब ढाई बरस अमेरिका के हॉकी कोच और मेंटर रहे। भारतीय महिला हॉकी टीम अपनी डच कोच यॉकी शॉपमैन के मार्गदर्शन में अमेरिका से हार 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने में नाकाम रही। शॉपमैन ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हरेन्द्र की इस साल अप्रैल में भारतीय महिला हॉकी टीम के चीफ कोच के रूप में वापसी हुई। शॉपमैन के इस्तीफा देने के बाद बतौर चीफ हरेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में भारतीय महिला हॉकी टीम एफआईएच प्रो लीग में अपनी छाप नहीं छो़ड़ पाई और वह खुद अपनी टीम से पहले ही कह चुके थे कि वह इसमें बहुत चमत्कारिक नतीजों की उम्मीद नहीं करेंगे।
बिहार के छपरा से आने वाले हरेन्द्र सिंह ने बतौर हॉकी खिलाड़ी अपने जमाने में पहचान दिल्ली और इंडियन एयरलाइंस(अब एयर इंडिया) की ओर से खेलते बनाने के बाद बतौर कोच में भी छाप वहीं रहते बनाई।हरेन्द्र सिंह का भारतीय महिला हॉकी टीम के चीफ कोच के रूप में नई पारी में पहला बड़ा अपने घरेलू राज्य बिहार के राजगीर में 11 से 20 नवंबर तक होने वाली एशियन महिला चैंपियंस ट्रॉफी में होगा। भारतीय महिला हॉकी टीम का अगला कोचिंग कैंप अब 12 सितंबर से शुरू होगा और इसमें सभी खिलाड़ी एक महीने के आराम के बाद तरोताजा होकर उतरेंगी।
भारतीय महिला हाॅकी टीम के चीफ कोच हरेन्द्र कहते हैं, ‘ राजगीर (बिहार) में इस साल नवंबर में होने वाली महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी में हमारे सामने खिताब बरकरार रखने की चुनौती होगी। हमारी कोशिश महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में मौजूदा ओलंपिक रजत पदक विजेता चीन सहित इसमें शिरकत करने वाली सभी शीर्ष टीमों के खिलाफ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की होगी। आज नए जमने की हॉकी में कामयाबी के लिए फिटनेस सबसे जरूरी है और हमारी मौजूदा महिला हॉकी टीम बस इसी में पिछड़ रही है। हमारी मौजूदा टीम कौशल के लिहाज से दुनिया की किसी भी टीम से कहीं भी कमतर नहीं है। ऐसे में आज की जमाने की हॉकी में कामयाब होने के लिए हमारी भारतीय महिला हॉकी टीम का फोकस अपनी फिटनेस बेहतर करने पर है। फिटनेस में रफ्तार, दमखम, फुर्ती और सही वक्त पर सही फैसले लेने की क्षमता शामिल है। हम अपनी फिटनेस बेहतर कर लेंगे तो हमारी टीम को बड़े टूर्नामेंटों के लिए उसे मजबूती मिलेगी क्योंकि हॉकी कौशल हमारे पास है ही। मैंने इसीलिए अपनी टीम में अपने साथ दो -हेड फिजियोथेरिपिस्ट राखी विनय डार्णे और अस्सिटेंट प्रिया सिरोही , मसाजर राधिका चौधरी के साथ बतौर को अंकिता बीएस को भी जोड़ा है। अगले दो साल हमारी भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए बेहद अहम है। 2026 में 15 से 30 अगस्त तक बेल्जियम और नीदरलैंड में एफआईएच महिला हॉकी विश्व कप और इसके बाद एशियाई खेल होने हैं। हमारा लक्ष्य 19 सितंबर से 4 अक्टबूर, 2026 के एची -नागोया (जापान) में 2026 में होने वाले एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक सीधे 2028 के लॉस एंजेल्स ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने का रहेगा। पेरिस ओलंपिक के लिए बहुत करीब से चूकने के बाद बेशक हमारी टीम की में एक निराशा थी। जब मैंने इस बार भारतीय महिला हॉकी टीम के चीफ कोच की जिम्मेदारी संभाली तो मैंने अपनी टीम की लड़कियों को हौसला दिया। बीते चार बरस में जो अच्छा हुआ मैं उसे उसे बदलना नहीं चाहूंगा। हां, जो कुछ भी कमियां रह गई उन्हें हम जरूर एक एक कर दूर करने की कोशिश करेंगे। हमे 2028 के लॉस एंजेल्स ओलंपिक में बेहतर करने की नींव रखने की जरूरत है क्योंकि कुछ बेहतर उनका इंतजार कर रहा है।