मोजिज़ इमाम
बीजेपी के बहुचर्चित सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बाकायदा कहा है की कुश्ती संघ से वह संन्यास ले रहे हैं और लोकसभा चुनाव पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे जो अगले वर्ष 2024 में है यह बात सही है कि बृजभूषण सिंह छठवीं बार लोकसभा के सांसद चुने गए हैं लेकिन दिल्ली की मीडिया में अज्ञानता है कि उनका प्रभाव कई लोकसभा सीटों पर है जबकि ऐसा नहीं है
वहां के जानकार लोग बताते हैं की देवीपाटन मंडल की चार लोकसभा सीट में जहां से बृजभूषण सिंह भी सांसद हैं भाजपा सिर्फ तीन लोकसभा सीट ही जीत पाई है श्रावस्ती लोकसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी का मौजूदा सांसद है वहीं गोंडा से कीर्ति वर्धन सिंह सांसद हैं कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह और बहराइच से अक्षयवर लाल सांसद है जो की रिजर्व सीट है
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो बृजभूषण शरण सिंह ने 6 दफा लोकसभा में जीत का परचम फहराया है लेकिन तीन अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र से,पहले वह गोंडा से सांसद चुने गए उसके बाद 2004 में वह सीट बदलकर बलरामपुर चले गए जहां से सांसद चुने गए फिर वहां पर स्थिति कमजोर हुई तो कैसरगंज से सांसद का चुनाव लड़ा 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर ऐसा नहीं है की सिंह ने सिर्फ निर्वाचन क्षेत्र ही बदला बल्कि बीजेपी से बहुजन समाज पार्टी फिर 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े 2008 के बहुचर्चित अविश्वास प्रस्ताव में बीजेपी के सांसद रहते मनमोहन सिंह सरकार को समर्थन किया और पार्टी को अलविदा कह दिया
मौजूदा आकड़ों को देखें तो देवीपाटन मंडल में चार लोकसभा सीटों में सिर्फ तीन बीजेपी के पास है वहीं श्रावस्ती सीट से बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार ने बीजेपी को पटकनी दी है 2023 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो श्रावस्ती बहराइच और कैसरगंज में सारी सीट बीजेपी जीत नहीं पाई है जबकि गोंडा लोकसभा से पांचो विधानसभा पर बीजेपी के उम्मीदवार जीते हैं जिसमें पूर्व मंत्री रमापति शास्त्री भी है गोंडा के पांचो विधानसभा सीट की बात करें तो गोंडा से ही बृजभूषण सिंह के पुत्र प्रतीक भूषण विधायक है और बाकी 4 सीट के मुकाबले सबसे कम मार्जिन से जीत पाए हैं
दिल्ली में मीडिया इस बात से अज्ञान है की देवीपाटन मंडल की राजनीति बहुत पेचीदा है वहां के वरिष्ठ पत्रकार का कहना है की 2014 और 2019 का चुनाव किसी व्यक्ति पर नहीं था बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा था इसलिए किसी व्यक्ति विशेष की बात करना उचित नहीं है
देवीपाटन मंडल की बात करें तो यहां राजनीति में कई बार करवट ली है पहले कांग्रेस के नेता आनंद सिंह से की तूती बोलती थी वह कई बार सांसद थे और उनकी मर्जी से ही देवीपाटन मंडल जो उसे समय नहीं था से सांसद विधायक कांग्रेस पार्टी से चुने जाते थे लेकिन 1991 का रामलहर में उनकी राजनीति कमजोर हुई तो उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थामा और 1998 में उनके पुत्र कीर्ति वर्धन सिंह ने बृजभूषण सिंह को हराया लेकिन 18 महीने बाद हुए चुनाव क में बृजभूषण सिंह से हार गए फिर 2004 में बृजभूषण सिंह ने गोंडा सीट के बदले बलरामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा वहां पर दो मुस्लिम उम्मीदवार खड़े हो गए बहुजन समाज पार्टी से रिजवान जहीर उम्मीदवार थे और समाजवादी पार्टी से डॉक्टर उमर उम्मीदवार थे वोटो के बंटवारे की वजह से बृजभूषण सिंह चुनाव जीत गए और गोंडा से कीर्ति वर्धन सिंह फिर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए .
2014 आते-आते बृजभूषण सिंह और कीर्ति वर्धन सिंह दोनों भाजपा में शामिल हो गए और फिर मोदी के वेब में चुनाव भी जीत गये.