आतीशी को झंडा नहीं फहराने देने के मायने क्या है..!

What is the meaning of not allowing Atishi to hoist the flag..!

गोविन्द ठाकुर

सवाल उठता है कि उप राज्यपाल आखिर मुख्यमंत्री अरवींद केजरीवाल के उस पत्र को क्यों खारीज कर दिया जिसमें 15 अगस्त को मंत्री आतिशी को उनकी तरफ से झंडा फहराने की गुजारिश की गई थी.. परंपरा तो यही रही है कि यह मुख्यमंत्री और कैबिनेट का अधिकार है कि झंडा कौन फहरायेगा..लेकिन उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने केजरीवाल के रिक्वेस्ट को खारीज कर उसी के दूसरे मंत्री कैलास गहलौत को झंडा फहराने की अनुमति दे दी.., राजनीति क्या है, क्या आतिशी के फहराने से उप राज्यपाल के ओहदे को ठेस लगती.., क्या उप राज्यपाल के किसी आदेश का उलंघन हो रहा था..नहीं, फिर, राजनीति यह दिख रही है कि उप राज्यपाल के मुखर विरोधी आतिशी सरकार में नंबर दो हो जाती.., दिल्ली में एक मैसेज जाता कि सरकार ने महिला को मौका देकर उसके गरीमा को बढाया है., लेकिन सबसे बड़ी बात आम आदमी पार्टी में कई गुटों को बढावा देना भी देखा जा सकता है.., पहले से भी कहा जा रहा था कि मनीष सिसोदिया और केजरीवाल का अपना अपना गुट है.. मगर गहलौत को मौका देकर उप राज्यपाल ने अपनी ओर से नंबर दो की कुर्सी दे दी तो गहलौत के भी एक गुट होगा जो आतिशी के खिलाफत करेगा…

दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने तय किया कि इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर छत्रसाल स्टेडियम में होने वाले ध्वजारोहण कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत झंडा फहराएंगे। इससे पहले जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चिट्ठी लिख कर कहा था कि छत्रसाल स्टेडियम में आतिशी झंडा फहराएंगी। उन्होंने एक तरह से सरकार के अंदर आतिशी को नंबर दो स्थान दे दिया था। साथ ही यह भी मैसेज बनवा दिया था कि पार्टी महिला को तरजीह दे रही है। लेकिन जैसा कि हर बार उप राज्यपाल सरकार का फैसला पलटते हैं, इस बार भी उन्होंने सरकार का फैसला पलट दिया और गहलोत को झंडा फहराने का जिम्मा दिया।

एलजी का यह फैसला सिर्फ इसलिए नहीं हुआ है कि उनको केजरीवाल का फैसला पलटना था। इसका बड़ा राजनीतिक अर्थ भी देखा जा रहा है। गौरतलब है कि कैलाश गहलोत राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहने वाले मंत्री हैं। वे चुपचाप सरकार का काम करते हैं। दूसरे, पिछले कुछ दिनों से कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में उन्होंने उप राज्यपाल के साथ मंच साझा किया है। तभी कहा जा रहा है कि उप राज्यपाल ने आम आदमी पार्टी के अंदर मंत्रियों और नेताओं के बीच दूरी बढ़ाने के मकसद से कैलाश गहलोत का नाम आगे बढ़ाया है। ध्यान रहे मनीष सिसोदिया के जेल से छूटने के बाद आम आदमी पार्टी के अंदर गुटबाजी बढ़ने की संभावना पहले से जताई जा रही थी। अब स्वतंत्रता दिवस पर गहलोत सलामी लेते हैं और झंडा फहराते हैं तो गुटबाजी और बढ़ सकती है।