आज खाद्य सामग्री में हर जगह मिलावट है। नकली घी, पनीर,दूध का मिलना आम है।अब तो पानी और खाने में थूकने तक की शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आदमी सफर में खाए क्या? उदर पूर्ति कैसे करे ?
अशोक मधुप
हाल में खबर आई है कि आगरा में 18 प्रसिद्ध और बड़ी कंपनियों के नाम से नकली घी तैयार हो रहा था। तैयार घी की पूरे यूपी समेत कई प्रदेशों में सप्लाई होती थी।इस घी से बाजार में फास्ट फूड तैयार होते हैं।पहले भी समय –समय पर नकली घी पकड़ा जाता रहा है। बाजार में पनीर, दूध, मावा और अन्य खाद्य पदार्थ के नकली होने की शिकायतें मिलती रहती हैं।आटा,दाल और अन्य खाद्य सामन भी घटिया क्वालिटी का पकड़ा जाता रहा है।पिछले कुछ समय से खाने या पानी में थूकने, पेशाब करने , खाने के बर्तन को नाली के पानी में धोने की शिकायते रहीं हैं। ऐसे में प्रश्न पैदा होता है कि आदमी घर से बाहर अब क्या खाएं? सफर में पेट भरने के लिए आदमी क्या करे? क्या हमें पुरानी स्थिति पर जाना होगा, जब आदमी घर से ही खाना लेकर चलता था। घर का खाना खत्म होने पर फल खाकर काम चलाता था, किंतु बाजार का नही खाता था। या अब उसे घर से बड़ी कंपनियों के रेटीमेड फूट पैकेट लेकर चलने होंगे?
आगरा के ताजगंज के मारुति सिटी रोड पर नवविकसित कॉलोनी के प्लॉट में नकली देसी घी तैयार करके पूरे प्रदेश में सप्लाई किया जा रहा था। पुलिस और एसओजी की टीम ने छापा मारकर अमूल, मधुसूदन, पतंजलि सहित 18 मशहूर ब्रांडों के नाम की पैकिंग में नकली देसी घी जब्त किया है। इसमें रिफाइंड व अन्य कैमिकल की मिलावट की जा रही थी। फैक्टरी के मैनेजर सहित पांच लोग गिरफ्तार किए हैं।
डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि मारुति सिटी रोड पर मारुति प्रभासम कॉलोनी में राजेश अग्रवाल नामक व्यक्ति के प्लॉट में टिन शेड डालकर फैक्टरी संचालित की जा रही थी। प्लॉट किराए पर ले रखा था। पूछताछ में बताया गया कि ग्वालियर निवासी बृजेश अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, नीरज अग्रवाल का प्योर इट के नाम से देसी घी का ब्रांड है। उन्होंने करीब छह माह पूर्व फैक्टरी खोली थी। कॉलोनी के राजेश भारद्वाज को मैनेजर बनाया था। बाजार से जिस ब्रांड की डिमांड मिलती थी, उसी ब्रांड के स्टिकर लगाकर टिन और डिब्बों में पैक कर दिया जाता था।
प्रेस को यह भी बताया गया कि फैक्टरी में भारी मात्रा में बना हुआ घी, कच्चा माल, कई कंपनियों के स्टीकर, प्रयोग की जाने वालीं मशीन, पैकिंग मशीन आदि बरामद की गई हैं। बरामद माल की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है। पुलिस फैक्टरी के संचालक और कर्मचारियों के विरुद्ध अपनी तरफ से मुकदमा दर्ज कर रही है। एफएसडीए की टीम को भी कार्रवाई के लिए बुलाया गया है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
पुलिस ने बताया कि छापे से कुछ देर पहले ही नकली देसी घी के 50 टिन की खेप मेरठ भेजी गई थी। इस माल की बरामदगी के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस ने बताया कि नकली देसी घी प्रदेश के अलावा आसपास के राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था।
पॉम आयल, रिफाइंड, वनस्पति और एसेंस से तैयार हो रहा था।सुगंध असली घी जैसी और दाने भी रवेदार, एकबारगी तो पुलिस टीम को भी असली घी का भ्रम हुआ। डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि वह खुद मौके पर पहुंचे। सबसे पहला सवाल यह किया कि घी कैसे बनाते थे। आरोपियों ने बताया कि देसी घी की लोगों को पहचान नहीं है। कोई खुशबू देखता है तो कोई दाने। वो लोग पॉम ऑयल, रिफाइंड, वनस्पति घी, कैमिकल को मिलाकर देसी घी तैयार किया करते थे। उसमें एसेंस मिलाते थे। ताकि खुशबू आए। मौके से एक्सपाइरी डेट का रिफाइंड भी मिला। पुलिस ने आरोपियों से पूछा कि इसको क्यों खरीदा। मजदूरों ने बताया कि एक्सपाइरी डेट का माल सस्ता मिलता है। जब वे देसी घी बनाते थे तो इस रिफाइंड का भी प्रयोग करते थे।
आगरा पुलिस के अनुसार बिल्टियों की जांच में पता चला कि नकली देसी घी को राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, असम व बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा शहरों के फास्ट फूड बाजारों में सीधे बेचा जाता था। इसी घी से डोसा, भल्ले, समोसे और आमलेट तक बनाया जाता था। खाद्य और औषधि विभाग ग्वालियर के अनुसार रामनाथ अग्रवाल व उनके परिवार के लोग पहले नकली घी के कारोबार में लिप्त थे और रासुका भी लगी थी।2010 के बाद से इन्होंने ग्वालियर छोड़ दिया था।
इससे पहले 24 नवंबर 2023 को दिल्ली पुलिस ने द्वारका में एक ऐसी फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है, जहां मिलावटी घी बनाया जाता था और उसे पतंजलि, मदर डेयरी और अमूल जैसे ब्रांड का स्टिकर लगे हुए कंटेनर में भरकर बेचा जाता था। बाबा रामदेव की नामी-गिरामी कंपनी पतंजलि ब्रांड गाय के घी का सैंपल खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग के द्वारा साल 2021 में दीपावली के पर्व पर टिहरी जनपद के घनसाली में एक दुकान से सैंपल भरा गया था। इसके बाद सैंपल को राज्य की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया तो, सैंपल फेल पाया गया। खाद्य संरक्षा विभाग के द्वारा कंपनी को नोटिस जारी किया तो, कंपनी ने राज्य की लैबोरेट्री को रिपोर्ट को गलत साबित किया। खाद्य संरक्षा विभाग के द्वारा केंद्रीय प्रयोगशाला में सैंपल भेजा गया तो केंद्रीय प्रयोगशाला में भी बाबा रामदेव की पतंजलि ब्रांड गाय के घी का सैंपल फेल पाया गया।
आज लोगों का घर से निकलना, घूमना, यात्र करना, विभागीय कार्य से बाहर जाना आम बात है।इन लोगों को ऐसे में घर से बाहर ढ़ाबों, होटल और फाष्ट फूड सैंटर से ही पेट भरना होता है। बाजार में नकली दूध पनीर की पहले ही शिकायत रही हैं।अन्य खाद्य पदार्थ की भी शुद्धताकी कोई गारंटी नही। बिजनौर जनपद के चांदपुर क्षेत्र में पिछले साल नवरात्रि के अवसर पर बाजार में बिक रहे घटिया क्वालिटी का कोटू का आटा का खाकर काफी व्यक्ति पहले ही बीमार पड़ चुकें हैं। पिछले एक डेढ़ वर्ष से शिकायत मिल रही हैं कि कुछ लोग खाने में थूक रहे हैं। फलों पर पेशाब डालकर छिड़क रहे हैं।ब्रेड में थूका जा रहा है। खाने की सामग्री अपवित्र कर बेची जा रही है।
मानव की फितरत रही है कम पैसा लगाकर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना। उसे इससे कोई मतलब नही कि उसके द्वारा उत्पादित खाद्य सामग्री खाने से खाने वाले पर क्या असर पड़ेगा। नकली सामान तैयार करने वालों को इससे कोई लेना − देना नही कि उनके द्वारा तैयार नकली और निम्न क्वालिटी के सामान के प्रयोग करने वाला बीमार होगा या नही ।क्या असर होगा। वह मरेगा या जिएगा।
इसे मिलावट को रोकने के लिए सरकार का आगे आना होगा। मिलावट करने वालों के खिलाफ कड़ी और आजीवन कारावास जैसी सजा, संपत्ति की जब्ती जैसी कार्रवाई अमल में लानी होगी।भोजन को अशुद्ध करने के मामले में धर्म गुरूओं को आगे आकर जनचेतना पैदा करनी होगी। यदि ऐसा न हुआ तो हो सकता है, कि आने वाले समय में आदमी आज से 100 साल पीछे की हालत में चला जाए।यह घर से खाना और सफर में तैयार किए जाने वाले खाने का सामान लेकर चलता । इस सामान के खत्म होने पर यह विवशता में फल आदि खाकर काम चलाता था, किंतु बाजार का कुछ नही खाता था। यह भी हो सकता है कि आने वाले समय में सफर पर जाने वाला अपने साथ बड़ी कंपनी की तैयार खाद्य सामग्री लेकर चले और सफर में उसी से उदर पूर्ति करे।
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)