डॉनल्ड ट्रंप ‘हारी’ बाज़ी बचाने के लिए क्या करे?

What should Donald Trump do to save his 'losing' bet?

*हैरिस काँटे की टक्कर वाले तीन राज्यों में आगे
*ट्रंप को नसीहत, नस्लभेदी टिप्पणियों से बचे

ललित मोहन बंसल, लॉस एंजेल्स से

डॉनल्ड ट्रंप ‘हारी’ बाज़ी बचाने के लिए गाली-गलोच पर उतर आये हैं। ट्रंप की अपनी ‘ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ रिपब्लिकन के नेताओं ने उन्हें सलाह दे है कि वह मीडिया से बातचीत करें अथवा किसी जनसभा में अपने उद्गार व्यक्त करें, संयम बरतें। डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस की नस्ल अथवा उनके वैयक्तिक जीवन पर अनर्गल बोलने की बजाए नीतियों और कार्य पद्धति पर बोलें। इसके बावजूद डॉनल्ड ट्रंप शांत ही नहीं हो पा रहे हैं। अब चुनाव मतदान (5 नवंबर) में मात्र अस्सी दिनों का समय शेष बचा है। डॉनल्ड ट्रंप की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के प्रति नस्ल विरोधी टिप्पणी पर परंपरावादी रिपब्लिकन पार्टी के बड़े बुजुर्गों क्षुब्ध है। उन्हें ट्रंप की टिप्पणी रास नहीं आ रही है। ट्रंप को इस बात की ज्यादा तकलीफ़ है कि वर्षों से भारतीय मूल के नाम पर राजनीति करने वाली कमला हैरिस अब अश्वेत वोट बैंक पर क्यों नज़रें लगाए हुए है? कमला हैरिस की माँ श्यामला भारतीय मूल की थीं और उन्होंने अमेरिका में शिक्षा दीक्षा के दौरान जमैका के अश्वेत अफ़्रीकी अमेरिकी से विवाह रचा लिया था। देखा जाये, अमेरिका में परंपरावादी श्वेत अमेरिकी समुदाय ( रिपब्लिकन) के बाद मूल अश्वेत समुदाय, बाहर से आये अमेरिका में आ कर बसे लैटिन अमेरिकी, कैरबियन एशियन, यूरोपियन और अफ्रीकी मतदाता है। रिपब्लिकन पार्टी अपने श्वेत मतदाताओं के बल पर कोई चुनाव नहीं जीत सकती। इसके लिए उसे, ख़ास तौर पर काँटे की टक्कर वाले राज्यों में अश्वेत सहित अन्यान्य वॉटबैंक पर निर्भर रहना एक मजबूरी है। कमला को भारतीय मूल के वॉटबैंक के साथ साथ जिस तरह एकमुश्त अश्वेत वॉटबैंक मिल रहा है, उस से डॉनल्ड ट्रंप का चिंतित होना और हड़बड़ाहट में गली गलोच करना समझ में आता है।

अभी पिछले एक सप्ताह में हुए पोल सर्वे में लगातार यह दिखाया जा रहा है कि कमला हैरिस जो आयु में ट्रंप से बीस वर्ष छोटी हैं, शिक्षा दीक्षा में ज्यादा पढ़ी लिखी हैं और उन्हें पिछले साढ़े तीन सालों में व्हाइट हाउस में काम करने और सलीक़े से बोलने चालने का अनुभव हुआ है, उस से बह काँटे की टक्कर वाले छह-सात राज्यों में से तीन में बढ़त ले चुकी हैं। इस कार्य में उन्हें 81 % अश्वेत मतदाताओं का समर्थन हासिल है, जो डॉनल्ड ट्रंप की आशाओं के विपरीत है। यही नहीं, रिपब्लिकन पार्टी के परंपरावादी मतदाताओं में इस बार 84 % श्वेत रिपब्लिकन में कम से कम पाँच प्रतिशत कॉलेज जाने वाली युवतियों ने डॉनल्ड ट्रंप का साथ छोड़ दिया है। इसके विपरीत कमला हैरिस ने पिछले दो सप्ताह में काँटे की टक्कर वाले जिन सात राज्यों– पेंसलवेनिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन, अरिजोना, नेवाडा, नार्थ कैरोलाइना, जार्जिया आदि जनसभाएँ की हैं, उन्हें देखने सुनने के लिए दूर दराज के गाँवों और छोटे क़स्बों बड़ी संख्या में श्वेत लोग पहुँच रहे हैं। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। एनपीआर/पीबीएस न्यूज़/मैरिस्ट पोल सर्वे की माने तो कमला 51-48 प्रतिशत अंकों से बढ़त ले रही है, और वह जोई बाइडन के पीछे हटने के बाद दो सप्ताह में तीन अंकों (48-45) की बढ़त बरकरार किए हुए है। कमला हैरिस को अश्वेत महिलाओं में 22 अंक की बढ़त है तो कॉलेज युवतियों (55-42 ) में आगे हैं। पुरुष वर्ग में ट्रंप विशेष कर श्वेत समुदाय में 54-45 की बढ़त बनाए हुए है। शुरू में श्वेत वर्ग में ख़ास कर पुरुषों में व्हाइट हाउस जैसे उच्चपदस्थ पद पर एक महिला को देखने में संकोच की खबरें आ रही थीं, इसमें परिवर्तन हो रहा है। हाँ, गर्भपात जैसे मुद्दे पर रिपब्लिकन समुदाय की बड़ी बुजुर्ग महिलाओं की धारणा नहीं बदली जा सकी है, जबकि कॉलेज युवतियाँ बड़ी तादाद में कमला के साथ आने का मन बना चुकी है। इस वर्ग में कमला 15 प्रतिशत अंक आगे है। यह सर्वे गुरुवार से रविवार के बीच संपन्न होने का दावा किया गया है। हाल में एक पोल सर्वे में कैलिफ़ोर्निया में कमला की 25 अंकों से बढ़त दिखाई गई है, जबकि बाइडन को मात्र 18 अंकों की बढ़त मिली थी।

इस बार राष्ट्रपति चुनाव पर 16 अरब डालर व्यय का अनुमान है। यों इस चुनाव के साथ कांग्रेस (संसद) के निचले 435 सदस्यीय सदन और सीनेट की एक तिहाई (34 ) सीटों के लिए भी एक ही दिन मतदान होगा। यों राबर्ट एफ़ कनेडी (निर्दलीय), प्रो कार्नल वेस्ट (निर्दलीय), जिल स्टेन (ग्रीन पार्टी) और लिब्रेशन पार्टी से चेज़ ओलिवर चुनाव मैदान में हैं, जो एक से पाँच प्रतिशत मत बटोर पाएँगे, मुश्किल है। भारत में संसदीय प्रणाली के विपरीत अमेरिका में हर चार साल बाद अध्यक्षीय प्रणाली में परोक्ष (निर्वाचक मंडल 538, बहुमत 270) रूप से संपन्न होते हैं। डॉनल्ड ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने पिछले राष्ट्रपति चुनाव 2020 में जोई बाइडन से पराजय के बाद चुनाव में धांधली का आरोप लगाया, बड़े स्तर पर उत्पात को प्रश्रय दिया। इस पर देश की अदालतों में चार आपराधिक मामलों सहित 91 अदालती मामले चले। सुप्रीम कोर्ट ने डॉनल्ड ट्रंप को ‘इम्युनिटी’ दे कर बरी कर दिया, यह अमेरिकी डेमोक्रेसी की एक और बड़ी मिसाल है।

ट्रंप-कमला के बीच 10 सितंबर को ए बी सी पर डिबेट: डॉनल्ड ट्रंप २७ जून की पहली राष्ट्रपति डिबेट में जोई बाइडन को पछाड़ने, उन्हें चुनावी दंगल से हटाने के बाद उत्साहित हैं। इस बार उनके सम्मुख तेज-तर्रार उपराष्ट्रपति, पूर्व में कैलिफ़ोर्निया से सीनेटर, अटारनी जनरल कमला हैरिस मैदान में हैं। ए बी सी टीवी भी कमोबेश निष्पक्ष है। चुनावी मुद्दे– मुख्यतया इमिग्रेशन, गर्भपात और पर्यावरण पुराने हैं। इन्हीं मुद्दों पर काँटे की टक्कर वाले राज्यों में जनसभाओं में बयानबाज़ी भी हो रही है। देखना यह है कि मीडिया के प्रहार के सम्मुख ट्रंप अथवा कमला कैसे जवाब दे पाते हैं? इवेंजिलिस्ट चर्च से निर्देशित रिपब्लिकन पार्टी में श्वेत परम्परावादियों में 80-84 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जो भ्रूण हत्या को पाप समझते हैं। कहा जा रहा है कि इस बार पहली बार मतदाता बनी (18 वर्ष) युवतियाँ चर्च के सर्मन की अवहेलना कर कमला हैरिस के पक्ष में मत दे सकती हैं। इसके अलावा जो परंपरावादी श्वेत मॉडरेट हो गये हैं, और डेमोक्रेटिक पार्टी में चले गये हैं, उनमें एक वर्ग ऐसा भी है जो भ्रूण हत्या के ख़िलाफ़ है। ऐसे मतदाताओं को लुभाने और ज़्यादा से ज़्यादा ग्रामीण मतों को अपने पक्ष में करने के लिए कमला हैरिस ने दो सप्ताह पूर्व मंगलवार को मिनीसोटा गवर्नर टिम वाल्ज को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकित कर एक जुआ खेला है। टिम वाल्ज ख़ुद श्वेत हैं और मॉडरेट हैं। इसके विपरीत ट्रंप-जे डी वाँस उन्हें चीनी रंग में रंगे होने का आरोप लगा रहे है। कहते हैं कि टिम वाल्ज चीन में एक दशक रहे हैं, वह स्कूली बच्चों को अमेरिकी इतिहास पढ़ाते रहे हैं।

इमिग्रेशन मुद्दे पर ट्रंप बहुत गंभीर है। वह पिछली बार भले ही अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर दीवार खड़ी करने में विफल रहे हैं, इस बार दावा कर रहे हैं कि लाखों अवैध इमिग्रेंट्स को सीमापार खदेड़ देंगे। एलान मुस्क से ट्विटर अब एक्स पर वार्ता के दौरान ट्रैंप ने दावा किया कि देश में दो करोड़ अवैध इम्मिग्रेंट हैं। पियू रिसर्च सेण्टर की माने तो अमेरिका में भारत के सवा सात लाख सहित एक करोड़ दस लाख अवैध इमिग्रेंट्स है। इनमें मेक्सिको के अवैध इमिग्रेंट्स भले कम हैं, लैटिन अमेरिका, करेबियन, सेंट्रल अमेरिका, यूरोपीय और अफ़्रीका से अवैध इमिग्रेंट्स मेक्सिको के रास्ते अमेरिकी सीमा में घुसे हैं। इस से डेमोक्रेट के प्रति मात्र सात प्रतिशत झुकाव (51-58 %) बढ़ा है।

टिम वॉल्ज नेशनल सिक्योरिटी गार्ड से एक स्कूल टीचर, हाई स्कूल फुटबॉल कोच, कांग्रेस के प्रतिनिधि (सांसद) और फिर मिनीसोटा से दो बार गवर्नर के पद तक पहुँचे टिम वॉल्ज़ (60) एक ‘ब्लैक हॉर्स’ सिद्ध हो सकते हैं। राष्ट्रपति जोई बाइडन ने टिम वाल्ज की डेमोक्रेसी और कामगारों के संरक्षक के रूप में सराहना की है। उनकी खूबी है कि वह एक श्वेत प्रगतिशील हैं, तेज-तर्रार डेमोक्रेट हैं। उन्होंने कमला हैरिस को भरोसा दिलाया है, वह उनके अगाड़ी नहीं, पिछाड़ी बन कर रहेंगे। वह जिस तरह आगे बढ़े है, उन्हें यह कहने में कब कितनी देर लगती है कि वह ‘मध्य पश्चमी क्षेत्र’ के श्वेत मतदाताओं के प्रतिनिधि हैं। हाँ, फ़िलहाल कमला हैरिस को जीत में सहायक एक श्वेत मॉडरेट की ज़रूरत थी, जो काँटे की टक्कर वाले राज्यों में उन्हें हार जीत के लिए अधिकाधिक श्वेत मतों से मालामाल कर सके। यों कमला हैरिस के पक्ष में कांग्रेस में ‘समोसा काकस’ के रूप में भारतीय मूल की चौकड़ी –आर ओ खन्ना, डाक्टर अमित बेरा, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जायपाल ने सक्रिय भूमिका में आ गये हैं।

अमेरिका के लिए भारत और बांग्लादेश अहम क्यों है?

अमेरिका में राष्ट्रपति कमला हैरिस बनें अथवा डॉनल्ड ट्रंप, दक्षिण एशिया में अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका के बाद बांग्लादेश में तख्ता पलटने और अस्थिर राजनीतिक स्थितियों के मद्देनज़र भारत भू राजनातिक कारणों से सुखद स्थिति में है। दक्षिण एशिया में चीन और रुस के बढ़ते हस्तक्षेप को देखते हुए अमेरिकी राजनीतिज्ञों की विवशता है कि उनके भारत और बांग्लादेश से संबंध मुधुर हों। अमेरिका के रुस और चीन के साथ जब तक रिश्ते दुधारी तलवार पर टिके होंगे, व्हाइट हाउस कोई भी पहुँचे, अमेरिकी राष्ट्रपति को पूरक बनने के लिए भारत से अच्छे संबंध रखना मजबूरी होगा। अमेरिका ने हिन्द महासागर में चीन के आक्रामक तेवर के मद्देनज़र सुरक्षा की दृष्टि से क्वाड अर्थात् आस्ट्रेलिया, जापान और भारत के साथ मिल कर पिछले कुछ अरसे से नौ सेनाओं से निगरानी कर रही है। इस पर चीन ने समय समय पर अमेरिका की क्वाड नीति की कड़ी आलोचना की है। हिन्द महासागर में क्वाड की मौजूदगी को अनधिकार चेष्टा बताया है।

जोई बाइडन एक ‘कमांडर इन चीफ़’ के रूप में कितने सफल रहे, यह वाद-विवाद का मुद्दा है। अमेरिका के आम नागरिक ‘यूक्रेन-रुस युद्ध’ और मध्यपूर्व एशिया में इज़राइल- फ़िलिस्तीन युद्ध के चलते ईरान के साथ एक तीसरे युद्ध की ओर देश को धकेलने को तैयार नहीं हैं। ट्रंप दावा कर रहे हैं कि वह व्हाइट हाउस पहुँचते हैं, तो तृतीय विश्व युद्ध रोक पाने में सक्षम होंगे। बेशक ट्रंप की इज़राइल के प्रति विशेष अनुकंपा रही है। इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहु ने रिपब्लिकन बहुल प्रतिनिधि सभा में अमेरिकी सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया। उन्होंने युद्ध विराम को नकारते हुए ट्रंप और कमला, दोनों से भेंट की। ट्रंप को इज़राइल के ज्यादा पाया और उनकी विजय की कामना की।

भू राजनीतिक दृष्टि से चीन की निगाहें ‘वन बेल्ट वन रोड’ के माध्यम से श्रीलंका के हनबंटोटा बंदरगाह पर क़ब्ज़े (९९ वर्षों की लीज़) के बाद पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से हुए अफ़ग़ानिस्तान और ईरान के चाहबहार बंदरगाह तक पहुँच कर सेंट्रल एशिया और यूरोपीय बाज़ार में अपनी पकड़ मज़बूत बनाने की होगी।

यहाँ कमला हैरिस के पक्ष में एक बात मुख्य रूप से कही जाती है कि अगर वह चुनाव जीत लेती हैं, तो उन्हें जोई बाइडन की विदेश नीति और विरासत के साथ चलना होगा। पूर्व विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने भी कहा है कि ट्रम्प आये अथवा कमला, अमेरिका -भारत संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा।

एक ताज़ा सर्वे ‘एशियन अमेरिकन एडवांसिंग जस्टिस’ में कहा गया है कि जोई बाइडन का चार साल पहले चुनाव में 56 प्रतिशत एशियन वोट बैंक की तुलना में अभी तक मात्र आठ प्रतिशत वोटबैंक उनकी झोली से खिसका है, जो किसी भी स्थिति में रिपब्लिकन की झोली में नहीं जाएगा। इसी सर्वे में डॉनल्ड ट्रंप को इसी एशियन अमेरिकी समुदाय से 15 से 31 प्रतिशत मत मिलते दिखाई दे रहे हैं। इसमें भारतीय अमेरिकी भले ही कुल जनसंख्या का मात्र डेढ़ प्रतिशत है, अर्थात् 45 लाख। एक अन्य ताज़ा एशियन अमेरिकन वोटर सर्वे में एक रोचक तथ्य यह भी है कि एशियन अमेरिकन एक तेज़ी से बढ़ता समूह है। इसमें पिछले चार वर्षों में पंद्रह प्रतिशत वृद्धि हुई है। इनमें ज़्यादातर मतदाता ऐसे हैं जो पहली बार वोट देंगे। इनमें से 18-34 वर्ष के आयु वर्ग में नब्बे प्रतिशत एशियन अमेरिकन हैं, जिनमें से 68 प्रतिशत युवाओं के वोट दिये जाने की बात की गई है। इस समुदाय के सम्मुख मुख्य मुद्दे रोज़गार, हेल्थ/मेडिकेयर, महंगाई और मकानों के बढ़ते किराए हैं। यह सर्वे कमला हैरिस के 13 जुलाई को फ़िलाडेल्फ़िया में ए पी आई ए वोट प्रेजिडेंशियल टाउन हाल में कमला हैरिस के उद्बोधन से ठीक एक दिन पूर्व जारी किए गए है। यह पहला ओका है जब राष्ट्रपति चुनाव के लिए इस बार भारतीय मूल के चार भारतीय उम्मीदवार मैदान में थे। एक, निक्की हेली रंधावा १९७२ जन्म हेले, पिता ( अजीत सिंह रंधावा, माँ राज कौर अमृतसर, विवेक रामास्वामी केरल (जन्म १९८५), हर्ष वर्धन सिंह (३८ वर्ष) एयरो स्पेस इंजीनियर , शिवा अय्यदुरई ५१ वर्ष, मुंबई १९७० में अमेरिका आ गए थे। न्यू जर्सी, एम आई टी से चार डिग्रियाँ और सिस्टम बायोलाई में डाक्टरेट, उन्होंने सात हाई टेक कम्पनियाँ खोलीं। इनमें आइको मेल और सिस्टम हेल्थ प्रमुख हैं। उन्होंने ने २०११८ और २०२० में रिपब्लिकन पार्टी से सीनेटर के आइये भाग्य आज़माया पर सफल नहीं हो पाए। इस बार वह राष्ट्रपति पद के आइये खड़े थे।

डेमोक्रेट कमला हैरिस के अलावा रिपब्लिकन निक्की हेली, विवेक रामास्वामी, उषा चिलकुरी वाँस ऐसे नाम हैं, जो राष्ट्रपति चुनाव २०२४ में चर्चित रहे हैं। उषा चिलकुरी जे डी वाँस की पत्नी हैं। न्यू यॉर्क टाइम्स ने कहा हा कि पिछले एक दशक में भारतीय अमेरिकी समुदाय एक राजनैतिक पावर हाउस के रूप में उभर कर सामने आया है। भारतीय मूल की कमला हैरिस वर्ष २०२१ में उपराष्ट्रपति के पद तक पहुँची, जो भारतीय मूल की ही नहीं, पहली अश्वेत महिला उपराष्ट्रपति पद तक पहुँची।

ए ए पी आई के चेयरमैन और संस्थापक शेकर नरसिंहमान की माने तो भारतीय अमेरिकी समुदाय ने पिछले वर्षों में अमेरिका के हर क्षेत्र में अपनी जगह बनाई है। यह ए ए पी आई एशियाई अमेरिकी और प्रशांत क्षेत्र के मतदाताओं को डेमोक्रेट जन प्रतिनिधियों के लिये मतदाताओं को एकत्र करती है। बता दें, जैसे ही जोई बाईडन के जाने और कमला हैरिस के आने की खबर आई, इस भारतीय अमेरिकी समुदाय में ख़ुसी का माहौल था। इसी तरह उषा चिकलुरी के पति जे दे वाँस को उपराष्ट्रपति के पद के लिए मनोनयन की बात आई तो न्यू जर्सी रिपब्लिकन पार्टी दक्षिण एशिया कोआइलेशन समुदाय की नेत्री प्रीति पाण्डाया पटेल ने बतायक न्यू जर्सी एकाएक ख़ुशी की लहर छ गई। इन्हें लग रहा था कि रिपब्लिकन डॉनल्ड ट्रैंप जीतते हैं तो उषा चिलकुरी अमेरिका की दूसरी महिला नागरिक होंगे। प्रीति का पहला कमेंट था कि मुझे विश्वास है, अमेरिका में भारतीय समुदाय पर निगाहें लगी हैं और इस से समुदाय में असीम उत्साह है।

अमेरिका में वैध इमिग्रेंट्स समुदाय में भारतीय अमेरिकी समुदाय का तेज़ी से विकास हुआ है। मेक्सिकन के बाद भारतीय समुदाय दूसरा बड़ा समुदाय है। इस समय क़रीब ५० लाख भारतीय हैं। इनमें क़रीब ७० से ८० प्रतिशत डेमोक्रेट हैं तो शेष रिपब्लिकन।

हाल में एक सर्वे में कहा गया हा कि नब्बे प्रतिशत नवंबर चुना में भाग लेंगे। दोनों ही पार्टियाँ इस समुदाय के वोट बटोरने में लगी हैं।

हिन्दू अमेरिकन फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष सुहाग शुक्ला का कथन है कि इन चुनाव को लेकर दोनों राजनैतिक पार्टियाँ स्विंग स्टेट में ख़ास कर भारतीय समुदाय को रिझाने में लगी हैं। भारतीय समुदाय के लिए भी यह चुनाव एक बड़ा अवसर है। उन्होंने वायस ऑफ़ अमेरिका से बातचीत में कहा है कि यह एक अच्छा मौक़ा है राजनैतिक पार्टियाँ भी भारतीय समुदाय से कम्यूनिटी हाल में सीधे बातचीत कर उनकी बात सुनें। भारतीय समुदाय को भी चाहिए कि वह भी इन पार्टियों के सीधे संपर्क में रहें। गत अप्रैल-मई (४ अप्रैल से २६ मई ) के बीच एक सर्वे में २५०० भारतीयों से संपर्क किया गया था। एक प्रतिशत रजिस्ट्रद मतदाता हैं। इनमें से एक तिहाई मतदाता काँटे की टक्कर वाले राज्यों में रहते हैं, जहां एक एक वोट की दरकार होती है। इन राज्यों में जार्जिया, अरिजोना, नवाडा, मिशिगन और पेंसलवेनिया और नार्थ कैरोलाइना राज्य हैं।

कमला हैरिस के दक्षिण एशियाई समुदाय की उपनिदेशक दीप शर्मा का कहना है कि वह डेमोक्रेटिक कन्वेंशन (१५ से १८ अगस्त) से पूर्व भारतीय अमेरिकी समुदाय के सतत संपर्क में है। इसके लिए पत्र व्यवहार और फ़ोन से संपर्क किया जा रहा है। एक प्रगतिशील ग्रुप –इंडियन अमेरिकन इंपेक्ट के निदेशक चिंतन पटेल ने कहा कि इन राज्यों में भारतीय मतदाताताओं की बड़ी से होती है। इस से भारतीय मतदाता एक उम्मीदवार की झोली भरने में सक्षम हैं। पिछले चुनाव में बियादान और हैरिस को भारतीय समुदाय से ७४ प्रतिशत मिले थे। इसके लिए कमला हैरिस ने भारतीय हितों को महत्व दिया। ऐसे ही एक देसी डिज़ाइड समिट में कमला ने कहा था कि उनकी बदौलत दो डेमोक्रेट सीनेटर विजयी हो सके। पेंसलवेनिया में सत्तर प्रतिशत भारतीय वोट देने पहुँचे। इसकी तुलना में मुस्लिम ने निराश किया।

अमेरिका में एक नागरिक के लिए मौजूदा राजनैतिक पार्टियों में से किसी एक पार्टी का पंजीकृत मतदाता बनाना अनिवार्य है। डॉनल्ड ट्रैंप और नरेंद्र मोदी के बीच अच्छे संबंधों का असर कहाँ कितना पड़ेगा कहना मुश्किल है। एक पोल सर्वे में दावा किया गया है कि २९ प्रतिशत ट्रैंप के समर्थन में हैं। ट्रंप ने २०१९ में ह्युस्टन और फिर अहमदाबाद में मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया था। अमेरिका के प्रति समर्पित और वफ़ादार मित्र होने का दावा किया था।

सुहाग शुक्ला का मत है भारतीय समुदाय में एक बड़े हिस्से को यह भरोसा नाजिन हो पा रहा है कि डेमोक्रेटिक पार्टी हिन्दू हितैषी हैं और एक हिनू फ़्रेंडली पाती है। इस धारणा को सही माने तो पिछले चुनाव में डेमोक्रेट के पक्ष में ५४ प्रतिशत से ४७ प्रतिशत मत गिरा है। इसके विपरीत रिपब्लिकन पार्टी के पक्ष में १६ से २१ प्रतिशत मत बढ़ा है। वर्जीनिया में कमेंटेटर ने कहा है कि रिपब्लिकन के पक्ष में आमूलचूल बदलाव नहीं, उनकी सोच में बदलाव हुआ है। यह अनंग हाउस स्पीकर माइक जानसन के समर्थक बताए जाते हैं।

बतादें, अमेरिकी चुनाव दुनिया में सब से अधिक खर्चीले होते हैं। पिछले २००० चुनाव में १६।४ अरब डालर व्यय हुए थे। इस बार चुनाइवी खरेचें बढ़ने की उम्मीदें हैं।

कमला हैरिस के ‘अश्वेत’ होने पर राजनीति?
डॉनल्ड ट्रंप ने शिकागो में पिछले दिनों अश्वेत पत्रकारों की नेशनल कन्वेंशन में कमला हैरिस को अश्वेत मतों के लिए ‘अश्वेत’ होने के कथन से ख़ासी राजनीति शुरू हो गई है। पहले वह भारतीय मूल की होने का दावा करती थीं तो अब एकाएक अस्वेत होने का चौला बदल लिया है। यह कथन भारी पद रहा है।

कमला हैरिस की माँ भारतीय मूल की थीं, उसके पिता जमैका। २०१९ में आत्मकथा, दि ट्रुथ वि होल्ड एन अमेरिकन ज़रनी’ कहा है उनकी माँ बखूबी जानती थीं कि वह दो अश्वेत बालिकाओं का और माया का पालन पोषण कर रही हैं। न्यू यॉर्क टाइम्स मैगज़ीन में २५ अप्रैल, २०१६ में लिखा है: माँ श्यामला ने १९६०-१९७० के दशक में कमला और माया को बर्कली की अश्वेत बस्ती में पाला था।

निर्वाचक मंडल :
इस चुनाव में मुख्यतया डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियाँ हैं। इसके अलावा एक तीसरी पार्टी लिबरल पार्टी है। ये पार्टियाँ राष्ट्रपति चुनाव पद के लिए मूलतः उम्मीदवार का चयन स्टेट प्राइमरीज और काकस के माध्यम से चयन करती हैं। ए बार उम्मीदवार का चयन ओ जाता है, तो फिर पार्टी की नेशनल कन्वेंशन में उम्मीदवारी को अधिकृत कर दिया जाता है। एक बार उम्मीदवार का चयन होने पर वही उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने सहयोगी उम्मीदवार का चयन करता है। लिबरल पार्टी ए उम्मीदवार के रूप में पूर्व राष्ट्रपति जान इफ़ कनेडी के भतीजे राबरत इफ़ कनेडी मैदान में हैं। पिछले चुनाव में जोई बाइडन और कमला हैरिस को ३०६ और ट्रैंप एवं माइक पेन्स को २३२ मत मिले थे।

राष्ट्रपति चुनाव परोक्ष रूप में एक निर्वाचक मंडल के माध्यम से होता ही। इसके लिए सभी पच्चास राज्यों और संघीय इकाइयों से ५३८ प्रतिनिधियों का एक निर्वाचक मंडल होता है। राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार जिस भी राज्य में उच्चतम मत हासिल करती है, उस राज्य के मत उसके नाम होते हैं। इनमें से मौजूदा पार्टियाँ की नीतियों और एजेंडे के आधार पर राज्यों का पार्टियों के प्रति झुकाव रहता है। इसलिए संघर्षरत पार्टियों को अपना पूरा प्रयास क़रीब छह सात राज्यों पर लगाना होता है, जहां काँटे की टक्कर हैं। बता दें, हार जीत का निर्णय पॉपुलर वोट से नहीं, निर्वाचक मंडल में अधिकाधिक मतों से होता है। इसमें जो उम्मीदवार २७० प्रतिनिधि मत ले लेता है, विजयी घोषित होता है। प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल में होने वाले इन चुनाव में १८ वर्ष और इस से ऊपर आयु के सभी पुरुष और महिलाएँ मतदान में हिस्सा लेते हैं। डेमोक्रेट के पक्ष में ब्ल्यू स्टेट – पश्चिमी क्षौर पर कैलिफ़ोर्निया ५४, वाहिंगटन १२, ऑरेगन ८, कॉलोरैडो १०, एन एम ५, इलिनॉइस १९ जबकि पूर्वी तट पर वाशिंगटन दे सी ३, दे २, एम दे १०, न्यू जर्सी १४, न्यू यॉर्क २८, सी टी७ आर आई ४ एम ए ११ व ३ रिपब्लिकन के रेड स्टेट में एम ती ४, इंडियाना ४, नाथ डेकोटा ३, साउथ डेकोटा ३, डबली वाई ३, एन ई ५, के एस ६, ओके ७, टेक्सस ४० फ़्लोरिडा ३०, एम ओ १०, एए आर ६, अल ए ८, इस बार नवाडा, एरिज़ोना जार्जिया, नार्थ कैरोलाइना काँटे की टक्कर में हैं।

एक अनुमान के अनुसार कमला हैरिस के पक्ष में फ़िलहाल २२६ प्रतिनिधि मतों का जुगाड़ है,तो ट्रैंप के पक्ष में संभावित २६८। इनमें १२४ मत सुरक्षित हैं तो ९५ संभावित ४९ स्विंग जबकि कमला के पक्ष में १५८ सुरक्षित मतों के अलावा ३५ डेमोक्रेट के पक्ष में तो ३३ झुकाव वाले प्रतिनिधि है।

काँटे की टक्कर में ऐसे पाँच राज्य हैं जहां 44 मतों पर दारोमदार है।

यह सही है, दुनिया भर की निगाहें राष्ट्रपति चुनाव पर होती हैं, लेकिन इन चुनाव में मतदाता कांग्रेस के लिए निम्न सदन प्रतिनिधि सभा के435 और सीनेट के एक तिहाई रिक्त 34 सीटों के लिये मतदान हो रहा है। अभी प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन और सीनेट में डेमोक्रेट बहुमत में हैं। इन दोनों सदन में विधायी कार्यों की मदद से व्हाइट हाउस के कार्यों पर संतुलन रखा जाता है। राष्ट्रपति चुनाव मतदान की घोषणा उसी दिन देर रात में हो जाती है, लेकिन सत्तानाशीं समारोह जनवरी माह के पहले मंगलवार को होती है।