- भविष्य में भारतीय सीनियर टीम के लिए खेलने को बेताब हूं
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : ओडिशा के राउरकेला में बीरमित्रपुर में खेती कर अपनी गुजर बसर करने वाले छोटी जोत के किसान शंकर किंडो की बेटी हैं भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम की 22 बरस की गोलरक्षक माधुरी किंडो। माधुरी किंडो को हॉकी ने राष्टï्रीय स्तर पर पहचान देने के साथ पश्चिम रेलवे में नौकरी दिलाई और इसके लिए वह हॉकी का आभार भी जताती हैं। रेलवे में अपनी नौकरी से ही माधुरी ने अपने गांव बीरमित्रपुर में अपने दो घरों की पक्की छत बनाने में अपने भाई मनोज की मदद की। राउरकेला के बिरसामुंडा हॉकी स्टेडियम से सड़क के रास्ते करीब एक घंटे में बीरमित्रपुर पहुंचा जा सकता है। माधुरी किंडो ने भारत की जूनियर महिला हॉकी टीम के अप्रैल में मूल्यांकन शिविर में लिए बतौर गोलरक्षक मुस्तैद प्रदर्शन भारत की सीनियर महिला हॉकी टीम में जगह बनाई। माधुरी अभी भारतीय की सीनियर महिला हॉकी टीम के शिविर में है लेकिन उनकी भारत की सीनियर महिला हॉकी टीम में जगह बनाने की कोशिश जारी है।
माधुरी किंडो अपनी जिंदगी में हॉकी की अहमियत की बताते हुए कहती हैं, ‘ बीरमित्रपुर में हमारे दो घर की छत पक्की नहीं थी। हमारे परिवार में नियमित कमाने वाले अकेले मेरे छोटे भाई मनोज ही थे। मेरे भाई ने करीब एक बरस पहले नए घर को बनाने का खर्चा उठाया और इसके बाद जब पश्चिम रेलवे ने मुझे नौकरी मिली तो तब में उनके साथ घर को बनाने का खर्च साझा कर पाई। हॉकी के जरिए अपने उस भाई की मदद करना काफी सुकून भरा था, जिसने मेरा हॉकी से पहला परिचय कराया था। हॉकी ने मुझे रोजगार, समाज में इज्जत और उपलब्धि के लिहाज से जो कुछ भी दिया मैं उसकी आभारी हूं।’
माधुरी के पिता शंकर किंडो बीरमित्रपुर में खेतों में खेती कर अपने परिवार की गुजर बसर करते हें वहीं अपने भाई मनोज किंडो को हॉकी खेलते देख वह हॉकी खेलने को प्रेरित हुईं। भाई मनोज को अपने गांव में अपने खेल के बाहर हॉकी खेलते देख माधुरी ने उनके नक्शे फर चलते हुए हॉकी थामी इसमें अपनी पहचान बनाने की ठानी । 2012 में माधुरी किंडो हॉकी के अपने कौशल को बेहतर करने के लिए पंपोश स्पोटर्स हॉस्टल मे जाकर हॉकी खेलने लगी और शुरू में बतौर डिफेंडर आगाज करने के बाद अपनी चपलता के कारण गोलरक्षक बन गई। ओडिशा के लिए जूनियर स्तर पर राष्टï्रीय चैंपियनशिप में हॉकी में बतौर गोलरक्षक बराबर बढ़िया प्रदर्शन करने के बाद माधुरी को 2021 में जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए बुलावा आया।
2023 में बतौर गोलरक्षक माधुरी किंडो की फुर्ती और मुस्तैदी से भारत ने जापान में 2023 में जूनियर महिला एशिया कप में स्वर्ण पदक जीता। माधुरी के बतौर गोलरक्षक इस मुस्तैद प्रदर्शन से पश्चिम रेलवे ने उन्हें मुंबई में नौकरी दी।
माधुरी किंडो को हॉकी के जरिए ही रेलवे स्पोटर्स प्रमोशन बोर्ड हॉकी टीम में जगह मिली ही उन्होंने इस साल साल अप्रैल में साई, बेंगलुरू में मूल्यांकन शिविर के जरिए भारतीय सीनियर महिला हॉकी में जगह पाने की ओर कदम बढ़ाए। माधुरी को अभी भारतीय सीनियर हॉकी टीम के लिए अभी अपना पहला मैच खेलना है लेकिन वह अपनी आदर्श सीनियर भारतीय महिला टीम की नंबर एक गोलरक्षक सविता के साथ अभ्यास करने का खूब लुत्फ रही हैं। अंत में माधुरी कहती हैं, ‘ भारत की जूनियर और सीनियर महिला हॉकी टीमों के बीच अंतर बहुत ज्यादा नहीं है क्योंकि मुझे अपना खेल बेहतर करने में मदद करने के लिए सीनियर टीम की ं बतौर गोलरक्षक सविता, बिच्छू देवी खरीबम और बंसुरी सोलंकी जैसी सीनियर खिलाड़ी हैं। भारतीय सीनियर महिला हॉकी टीम में शिद्दत से इन खिलाड़ियों को रोज अभ्यास करते देख सर्वोच्च स्तर खेलने के लिए और जानकारी मिलती है। मेरे खेल में अभी सुधार की काफी गुंजाइश है। मैं चूंकि अभी भारतीय सीनियर टीम में स्थान बनाने की कोशिश में जुटी हूं मैं अपनी खामियों को दूर करने में जुटी हूं, जिससे कि मैं भविष्य में भारतीय सीनियर हॉकी टीम की जीत में योगदान कर सकूं। मैं भविष्य में भारत की सीनियर महिला हॉकी के लिएं दुनिया की सर्वश्रेष्ठï टीमों के खिलाफ खेलने को बेताब हूं।’