टीएमयू ने बढ़ाए हाथ तो लेफ्टिनेंट कर्नल पूजा नौटियाल ने फतह की दुनिया की सबसे ऊंची चोटी

When TMU extended a helping hand, Lieutenant Colonel Pooja Nautiyal conquered the world's highest peak

रविवार दिल्ली नेटवर्क

भारतीय सेना की 46 वर्षीया सेवानिवृत्त अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल पूजा नौटियाल ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर फहराया देश के तिरंगे के साथ तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का परचम, माउंट एवरेस्ट के इस मिशन में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी ने 40 लाख रुपये की आर्थिक धनराशि का सहयोग कर निभाई सामाजिक सरोकार की भूमिका

हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं…यशस्वी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यह मशहूर पंक्तियाँ लेफ्टिनेंट कर्नल पूजा नौटियाल के जोश और जुनून पर एकदम सटीक बैठती हैं। विगत 20 मई को विश्व की सर्वाेच्च चोटी- माउंट एवरेस्ट पर जैसे ही लेफ्टिनेंट कर्नल पूजा नौटियाल ने कदम रखा, लगा उनके डेढ़ दशक से पाले सपनों में रंग भर गया हो। जुबां पर भारत माता की जयघोष और हाथों में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के प्रतीक चिन्हित देश के तिरंगे झंडे से माउंट एवरेस्ट की फिज़ा में हिंदुस्तान की सुगंध फ़ैल गयी हो। शेरपा गाइड तेनजिंग भोटे के साथ दुनिया की सबसे ऊंची चोटी -8,848.86 मीटर को सफलतापूर्वक कदमों से नापा। इस अभियान को पायनियर एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड ने बूट्स एंड क्रैम्पन्स के साथ मिलकर अंजाम दिया। माउंट एवरेस्ट के इस मिशन में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद, यूपी ने 40 लाख रुपये की आर्थिक धनराशि का सहयोग कर सामाजिक सरोकार की भूमिका निभाई है। लेफ्टिनेंट कर्नल पूजा नौटियाल की इस गौरवशाली उपलब्धि पर टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने कहा कि एवरेस्ट को फतह करने के इस मिशन में सफलता पाने वाली लेफ्टिनेंट कर्नल पूजा नौटियाल ने समूचे देश का और टीएमयू का गौरव बढ़ाया है। टीएमयू उनके इस मिशन का हिस्सा बनकर गौरवान्वित है। ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन ने देश सेवा में सजग भूमिका निभाने में बेटियों के विशेष योगदान की सराहना की। टीएमयू के कार्यकारी निदेशक श्री अक्षत जैन ने कहा कि यह देश की सेना और दुनिया के पर्वतारोहियों के लिए ही नहीं, बल्कि तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के लिए भी अविस्मरणीय पल हैं।

सेना में बेस्ट कैडेट संग हर जगह अव्वल
समर्पित और पेशेवर पर्वतारोही पूजा नौटियाल ने 20 वर्ष की उम्र में भारतीय सेना में शामिल होकर 21 साल तक अपनी अप्रतिम सेवाएं दीं। अपने इस कार्यकाल के दौरान उन्हें कई उत्कृष्ट सम्मान प्राप्त हुए। प्रशिक्षण अकादमी में ही उन्हें सर्वश्रेष्ठ कैडेट के रूप में मान्यता दे दी गई थी। सैन्य करियर में रॉक क्लाइम्बिंग और व्हाइट-वाटर राफ्टिंग सरीखे उच्च-एड्रेनालाइन खेलों में उन्होंने बढ़चढ़ कर भागीदारी की। अपनी इसी प्रतिबद्धता और सेवा के बूते इन्होंने चार बार विशेष प्रशस्ति पत्र भी अर्जित किए।

लक्ष्य में उम्र बाधा नहीं
एवरेस्ट की उनकी यात्रा सिर्फ़ एक व्यक्तिगत लक्ष्य ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का संदेश भी है। दो किशोरों की माँ के रूप में नौटियाल ख़ास तौर पर मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं को उनके स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और उद्देश्य की भावना को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल पूजा नौटियाल ने ये साबित कर दिया कि लक्ष्य प्राप्ति में उम्र कभी आड़े नहीं आती और हर अवस्था में स्वयं को अनुशासित और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर सफलता पायी जा सकती है।

लक्ष्यों में रंग भरने में नहीं होती कभी देरी
दुनिया की सबसे ऊँची चोटी- माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का उनका सपना 2008 से था, जब उन्हें एक महिला अभियान के लिए चुना गया था, लेकिन अपनी सैन्य और पारिवारिक प्राथमिकताओं के कारण वे इसके लिए समय नहीं निकाल पाईं। अपने इस लक्ष्य को मन में पाले रखा और इसी का परिणाम है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान पूजा ने माउंट नंगाकरशांग- 5,000 मीटर पर चढ़ाई की, उन्होंने 2021 में एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रेकिंग की। 2022 में माउंट यूटी कांगरी -6,000 मीटर और माउंट कुन- 7,045 मीटर और 2024 में माउंट अमा डबलम – 6,814 मीटर पर चढ़ाई की। वह मानती हैं, उठने, बढ़ने और अपने लक्ष्यों तक पहुँचने में उम्र का कोई भी पड़ाव आड़े नहीं आना चाहिए। यह महान उपलब्धि सहनशीलता और जीवन के हर स्तर पर महिलाओं की क्षमता का एक शक्तिशाली प्रतीक है।

आसान नहीं है, एवरेस्ट फतह की राह
माउंट एवरेस्ट फतह की राह अति दुर्गम है। कई ऊंची चोटियां फतह कर चुके मुरादाबाद के पर्वतारोही मनोज कुमार बताते हैं कि माउंट एवरेस्ट पर क्लाइंबिंग के लिए मई के महीने को सबसे बेहतर माना जाता है। लगातार स्नो फॉल, व्हाइट आउट के साथ स्वयं को व्यवस्थित कर पाना कई बार नामुमकिन हो जाता है। ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ प्रतिकूल मौसम में लगातार क्लाइंबिंग करना बेहद मुश्किल भरा होता है। इसके अलावा हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा (एचएपीई) जैसी बीमारी होने पर फेफड़ों में सूजन आ जाती है। सन बर्न, शीत दंश, हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा (एचसीएई) जैसी बीमारी की स्थिति में मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। इसीलिए सर्वाेच्च चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करना निश्चित ही एक बड़ी उपलब्धि है।