कौन होगा चारों खाने चित?

राजेंद्र सजवान

कुछ महीने पहले तक भारतीय कुश्ती फेडरेशन के विवादास्पद अध्यक्ष छह बार के सांसद गोंडा के ब्रज भूषण शरण सिंह फेडरेशन अधिकारीयों , कोचों और पहलवानों पर खूब गरज बरस रहे थे ; जूनियर पहलवानों को सरे आम स्टेज पर थप्पड़ जमा रहे थे लेकिन देर से ही सही वक्त ने करवट बदली और आज श्रीमान जी अपने ही बुने जाल में फंस कर रह गए हैं। जो पहलवान उनसे लुकते छिपते फिरते थे, दंडवत उनके चरण स्पर्श करते थे , आज जंतर मंतर से उन्हें ललकार रहे हैं |

पूरा देश और दुनिया जान चुके हैं कि पहलवान क्यों धरने प्रदर्शन पर हैं और क्यों अपने अध्यक्ष को कठोर से कठोर सजा देने की मांग कर रहे हैं । इसलिए चूँकि उन पर अपनी बेटी समान पहलवानों के यौन शोषण का आरोप लगे हैं | हालाँकि मामला माननीय सर्वोच्च न्यालय तक पहुँच गया है और दूध का दूध होना बाकी है । दोषी हैं या नहीं इसका फैसला होना बाकी है लेकिन जो पहलवान कभी अपने अध्यक्ष को कुश्ती का खुदा कहते नहीं थकते थे उनका आक्रोश बुरी तरह फूटा है । ओलम्पिक पदक विजेता साक्षी मलिक , बजरंग पूनिया , ढेरों बड़े पदक जीतने वाली विनेश फोगाट और अनेकों महिला और पुरुष पहलवानों , कोचों और कुश्ती प्रेमियों ने ब्रज भूषण के विरुद्ध जिस जंग का एलान किया था उसका फैसला अभी होना है । लेकिन यह सच है कि यह शर्मनाक प्रकरण दुनिया के खेलों की सबसे शर्मनाक और वीभत्स घटना है । जिस शख्स को भारतीय कुश्ती में तारण हार और पिता समान माना गया उसी ने बना बनाया खेल कैसे बिगाड़ दिया , यह एक लम्बी कहानी है । लेकिन यह सच है कि कुछ महीने पहले तक जिसे महानायक कहा जा रहा था वह खलनायक बन गया है । उसके साथ साथ पीटी उषा और मेरीकॉम जैसी चैम्पियनों पर भी उंगलियां उठ रही हैं और उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट देखी जा रही है ।

इसमें दो राय नहीं कि ब्रजभूषण के अध्यक्ष बनने के बाद से भारतीय कुश्ती ने अनेकों ऊँचे मुकाम हासिल किए , भारतीय पहलवानों ने ओलम्पिक पदक जीतने का सिलसिला शुरू किया लेकिन परदे के पीछे चल रहे खेल ने पूरे देश को हिला कर रख दिया । सात लड़कियों ने अपने अध्यक्ष पर यौन शोषण के आरोप लगा कर खेल जगत को सन्न कर दिया है । उस समय जबकि ब्रज भूषण कुश्ती फेडरेशन को घर की खेती बनाने पर तुले थे और तीन कार्यकाल पूरे करने के बाद अपने परिवार के किसी सदस्य को कुर्सी सौंपने की फिराक में थे , खेल बिगड़ गया और शायद उनके बुरे दिनों की शुरुआत हो गई है ।

अफ़सोस की बात यह है कि देश का खेल मंत्रालय और उसकी जांच समिति ने भी पीठ थपथपाने वाला काम नहीं किया । खेल मंत्री को पहलवानों ने झूठा करार दिया तो आइओए अध्यक्ष पीटी उषा की टिप्पणी की जमकर आलोचना हो रही है। जांच समिति की अध्यक्ष जानी मानी मुक्केबाज मेरीकॉम भी पहलवानों की आदरणीय नहीं रहीं । उषा ने पहलवानों के धरना प्रदर्शन को देश की छवि खराब करने वाला बताया । उनके इस बयान की न सिर्फ आंदोलकारी पहलवान निंदा कर रहे हैं अपितु खिलाडियों का एक बड़ा वर्ग कह रहा है की उषा ने बिना सोचे समझे या राजनीतिक दबाव में आकर बयान दिया है । यह भी माना जा रहा है कि उसे मोहरा बनाया गया है । भले ही यह लड़ाई पहलवानों और उनके अध्यक्ष के बीच की नज़र आती है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय तक पहंचते पहुँचते फ्री फॉर आल हो चुका है | सरकार और विपक्ष पहलवानों के अखाड़े में कूद पड़े हैं । कोई इसे हरियाणा और यूपी के बीच नाक की लड़ाई बता रहा है तो कुछ एक दलगत और जातिगत टकराव कह रहे है । इतना तय है कि कुश्ती को बड़ा नुक्सान होगा लेकिन खिलाडियों का शोषण करने वालों को सबक सिखाना जरुरी है ।