संदीप ठाकुर
मणिपुर में कुकी जनजाति की दो महिलाओं काे भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर
सरेआम घूमाने और फिर कथित बलात्कार करने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल
होने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा
अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को बुलाकर ये कहना कि मणिपुर में जो हुआ
वह बर्दाश्त से बाहर है । सरकार से कहो जल्दी कुछ कदम उठाए नहीं तो हम
कार्रवाई करेंगे। फिर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में हाय तौबा मचाना
शुरू हुई। सड़क से संसद तक घमासान छिड़ा और प्रधानमंत्री काे आखिर चुप्पी
तोड़नी पड़ी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस घटना से देश शर्मसार है।
प्रधानमंत्री के बाद मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह भी सामने आ गए और
दोषियों को फांसी की सजा देने की बात करने लगे। लेकिन ये अभी तक कान में
तेल डाल सो रहे थे। सवाल यह है कि यदि देश शर्मसार है ताे इसके लिे काैन
जिम्मेदार है ?
मणिपुर ताे दाे ढाई महीने से जल रहा है। लगभग 150 लोग मारे जा चुके हैं।
सैकड़ों घायल हैं। सैकड़ों घर द्वार छोड़ कर जा चुके हैं। जिस घटना काे
प्रधानमंत्री मोदी देश काे शर्मसार करने वाला बता रहे हैं वह विगत चार मई
की है। यानी आज से 77 दिन पहले। आज इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर
वायरल हुआ तो गिरफ्तारी शुरू हाे गई और दिल्ली से लेकर मणिपुर तक के
हुक्मरान सजा देने दिलवाने की बात करने लगे। मणिपुर में भाजपा की सरकार
है। सवाल यह है कि वहां के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह अभी तक क्या कर रहे
थे ? सवाल तो केंद्र पर भी उठेंगे। केंद्र ने बीरेन सिंह पर कार्रवाई
क्यों नहीं की ? इसलिए कि भारतीय जनता पार्टी की छवि खराब होगी ? क्या
इसलिए कि केंद्र सरकार मणिपुर में सबकुछ अंडर कंट्रोल दिखाना चाहती है ?
हद दो तब हो गई जब यूरोपीय संसद में मणिपुर हिंसा पर चर्चा होती है, भारत
सरकार से इस पर रोक लगाने की मांग की जाती है। मालूम है यूरोपीय संसद
कहां है। फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में। वही देश जहां मोदी हाल में ही होकर
आए हैं । जिस घटना पर इतना बबाल मचा आखिर वह है क्या ।
पहाड़ी राज्य मणिपुर पिछले कुछ समय से जातीय हिंसा की चपेट में है, लेकिन
अब एक वीडियो सामने आया है जिसमें महिलाओं को नग्न करके घुमाया जा रहा
है। यह घटना राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी
जिले के गांव बी. फीनोम में हुई। ग्राम प्रधान द्वारा दर्ज कराई गई
शिकायत के मुताबिक, चार मई को शाम लगभग तीन बजे 900-1000 की संख्या में
कई संगठनों से जुड़े लोग बी. फीनोम गांव में जबरदस्ती घुस आए। इनके पास
एके राइफल्स, एसएल.आर इंसास और 303 राइफल्स जैसे अत्याधुनिक हथियार थे।
हिंसक भीड़ ने सभी घरों में तोड़फोड़ की और फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान,
बर्तन, कपड़े, अनाज सहित नकदी को लूटने के बाद सभी चल संपत्तियों को आग
के हवाले कर दिया।
गांव में हुए हमले में पांच लोगों का परिवार जान बचाकर जंगल में छिपता
है। पुलिस उन्हें बचा लेती है। लेकिन भीड़ पुलिस से उन्हें छुड़ाती है।
दो पुरुषों को मार डालती है, तीन महिलाओं को नग्न कर परेड कराती है। एक
के साथ गैंगरेप होता है। उसके 19 वर्षीय छोटे भाई ने अपनी बहन की अस्मिता
और जान बचाने की कोशिश की, तो भीड़ में शामिल लोगों ने उसकी मौके पर ही
हत्या कर दी। हालांकि, पीड़िता कुछ लोगों की मदद से मौके से भागने में
सफल रही।
घटना के 48 दिन बाद गत 21 जून को घटना की जीरो एफआईआर कांगपोकपी जिले में
दर्ज होती है। मामला आईपीसी की धारा 153ए, 398, 427, 436, 448, 302, 354,
364, 326, 376 और 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1सी) के तहत दर्ज किया
गया। पुलिस द्वारा दर्ज इस एफआईआर में भीड़ में शामिल करीब 1,000 लोगों पर
कई आरोप लगाए गए हैं। इसमें विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा
देना, घातक हथियार के साथ डकैती करना, आग लगाना, घर में जबरन घुसना,
हत्या के लिए अपहरण करना, क्षति पहुंचाना, दुष्कर्म, हमला, गंभीर चोट
पहुंचाना और आग्नेयास्त्र का उपयोग करके एक इरादे से हत्या करना। इतना
कुछ हाे जाने के बाद सरकार सोती रहती है। मामला दर्ज होने के करीब एक
महीने बाद आज सुबह पहली गिरफ्तारी की गई है। आरोपी की पहचान 32 वर्षीय
हुइरेम हेरोदास मैतेई के रूप हुई है जो पेची अवांग लीकाई का रहने वाला
है।