देश में धर्मांतरण पर पूर्ण रोक क्यों जरूरी हो रही है?

Why is it becoming necessary to impose a complete ban on religious conversion in the country?

संजय सक्सेना

देश में धर्म परिवर्तन को लेकर एक गंभीर बहस तेज हो रही है, जहां कई लोग पूर्ण रोक लगाने की मांग कर रहे हैं ताकि लालच, धोखे या जबरदस्ती से होने वाले बदलाव रुक सकें। 1950 से 2015 तक हिंदू आबादी में 7.8 प्रतिशत की कमी आई, जबकि मुस्लिम आबादी 43 प्रतिशत बढ़ी और ईसाई आबादी में 5.38 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जनगणना 2011 के अनुसार भारत की कुल आबादी में हिंदू 79.8 प्रतिशत हैं, लेकिन 2025 के अनुमानित आंकड़ों में यह 114 करोड़ तक पहुंची, फिर भी कुछ राज्यों में स्थिति चिंताजनक है। गजवा-ए-हिंद जैसे विचारों का प्रचार भारत में इस्लाम स्थापित करने के लिए जंग को दर्शाता है, जो कुछ मदरसों के फतवों से जुड़ा है। ईसाई मिशनरियां गरीबों, दलितों और आदिवासियों को आर्थिक सहायता, शिक्षा या नौकरी का लालच देकर धर्मांतरण कराती हैं, जैसा कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में 3000 सिखों के मामले में देखा गया। राजस्थान के कोटा में हाल ही दो मिशनरियों पर आत्मिक सत्संग के नाम पर परिवर्तन का आरोप लगा, जिसके बाद नया कानून लागू कर गिरफ्तारी हुई। इन घटनाओं से देश की जनसांख्यिकी बदल रही है, जहां नौ राज्यों जैसे जम्मू कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, लक्षद्वीप और लद्दाख में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं।

कई राज्यों ने जबरन या लालच से धर्मांतरण रोकने के लिए सख्त कानून बनाए हैं। उत्तर प्रदेश का कानून सबसे कठोर है, जबकि उत्तराखंड में 5 साल कैद और 25 हजार जुर्माना, हिमाचल प्रदेश में महिलाओं या नाबालिगों के मामले में 7 साल तक सजा का प्रावधान है। ओडिशा 1967 से, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक जैसे 10 से अधिक राज्यों में ऐसे कानून हैं, लेकिन ये पूर्ण रोक नहीं लगाते, सिर्फ जबरदस्ती पर कार्रवाई करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही आठ राज्यों को इन कानूनों पर नोटिस जारी किया, जहां याचिकाओं में कहा गया कि ये धार्मिक स्वतंत्रता सीमित करते हैं। दुनिया में कई देशों ने धर्मांतरण को पूरी तरह गैरकानूनी ठहराया है। अल्जीरिया में मुस्लिम को परिवर्तित करने पर 5 साल जेल और जुर्माना, भूटान, म्यांमार, नेपाल में संघीय कानून हैं जो जबरन बदलाव रोकते हैं। सऊदी अरब, कतर, यमन, मॉरिटानिया जैसे 10 से अधिक मुस्लिम बहुल देशों में धर्मत्याग पर मौत की सजा या कड़ी कार्रवाई होती है। इन देशों में जनसांख्यिकी स्थिर रहती है, जबकि भारत जैसे खुले समाज में आंकड़े बदल रहे हैं, जहां प्यू रिसर्च के अनुसार हिंदू से ईसाई बनने वालों में 74 प्रतिशत दक्षिण भारत से हैं। दरअसल, धर्मांतरण पर पूर्ण रोक लगाने से मिशनरियों और कुछ संगठनों के मंसूबे विफल हो सकते हैं, क्योंकि वर्तमान कानून पर्याप्त साबित नहीं हो रहे। 2011 जनगणना से 2025 अनुमान तक हिंदू प्रतिशत घटकर 78 प्रतिशत रह गया, जबकि पड़ोसी पाकिस्तान और बांग्लादेश में बहुसंख्यक आबादी बढ़ी। विशेषज्ञ मानते हैं कि केंद्र सरकार को अखिल भारतीय कानून बनाना चाहिए, ताकि डेमोग्राफी सुरक्षित रहे और सामाजिक सौहार्द बना रहे। यह कदम न केवल आंकड़ों को स्थिर करेगा, बल्कि सांप्रदायिक तनाव भी कम करेगा।