प्रदीप शर्मा
कर्नाटक में दूध पर जंग शुरू हो गई है। चुनाव से पहले कर्नाटक में मिल्क वॉर ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। तमिलनाडु में दही विवाद के बाद अब कर्नाटक में दूध का विवाद चरम पर पहुंच गया। दो बड़े दूध ब्रांड आमने-सामने आ गए हैं। अमूल मिल्क और नंदिनी दूध पर राजनीति गरमा गई है। दरअसल इस विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब अमूल ने कर्नाटक में एंट्री का ऐलान किया। इसके बाद से अमूल को लेकर कर्नाटक में विवाद शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर #GoBackAmul #savenandini जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
दरअसल 5 अप्रैल को अमूल ने एक ट्वीट किया और लिखा कि वो बेंगलुरु में दूध और दही उत्पादों की आपूर्ति करेगा। इस ऐलान के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वो कर्नाटक की ब्रांड नंदिनी को खत्म करना चाहती है। कांग्रेस ने इसे कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश बताया, जिसके बाद विवाद काफी बढ़ गया। कर्नाटक में अमूल के खिलाफ लोगों में नाराजगी बढ़ने लगी। इस विवाद में सियासी दलों की भी एंट्री हो गई। कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वो राज्य के किसानों द्वारा बनाए गए ब्रांड नंदिनी को खत्म करने के लिए ये सब कर रही है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि जब राज्य के पास अपना दूध ब्रांड है तो उसे गुजरात के मिल्क प्रोडक्ट की क्या जरूरत है? विपक्ष ने इसे आम लोगों तक ले जाने का फैसला किया और राज्यभर में इसका विरोध शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर बायकॉट अमूल, गो बैक अमूल जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
विपक्ष के हंगामे के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा कि विपक्ष बिना वजह इस मुद्दे को राजनैतिक रंग दे रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में नंदिनी के अलावा 18 अलग-अलग ब्रांड के मिल्क प्रोडक्ट्स बेचे जा रहे हैं, पर किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। अमूल के नाम पर कांग्रेस जानबूझ कर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि नंदिनी को देश का नंबर वन ब्रांड बनाने के लिये अमूल से भी ज्यादा प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं।
कर्नाटक का सबसे बड़ा मिल्क ब्रांड नंदिनी हर दिन 23 लाख लीटर से अधिक दूध की सप्लाई करती है। बेंगलुरू मार्केट में दूध की खपत की 70 प्रतिशत जरूरत को अकेले नंदिनी पूरा करती है। अमूल के मुकाबले नंदिनी के दूध की कीमतों में भी काफी अंतर है। नंदिनी का एक लीटर दूध की कीमत 39 रुपये है तो वहीं अमूल टोंड दूध के एक लीटर पैकेट की कीमत 54 रुपये है।
अमूल के इस क़दम पर इसलिए भी सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि दूध उत्पादन संघों के बीच एक अलिखित आपसी समझ ये है कि एक सहकारी संघ दूसरे सहकारी संघ दूसरे सहकारी संघ के क्षेत्र में दख़ल नहीं देगा और दूसरे राज्यों में पैर नहीं पसारेगा। लेकिन दूध सहकारी कारोबार में काम करने वाले अन्य ब्रांड के मुक़ाबले अमूल का नज़रिया अलग है।
बैंगलुरू में दूध का रोज़ाना बाज़ार तीस से पैंतीस लाख लीटर का है. ये पहली बार नहीं है जब कर्नाटक अमूल से दूध की आपूर्ति ले रहा है. अमूल हुबली-धारवाड़ में रोज़ाना दस हज़ार लीटर तक दूध बेचता है. वहीं नंदिनी उत्तर कर्नाटक में रोज़ाना 1.3 लाख लीटर दूध बेचती है। अमूल पाउच में तरल दूध तेरह राज्यों में बेचता है. इनमें गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, तेलंगना शामिल हैं. वहीं केएमएफ़ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गोवा और महाराष्ट्र में दूध बेचती है।