‘बागेश्वर धाम’ के पीठाधीश्वर ‘पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री’ पर बेवजह विवाद क्यों?

दीपक कुमार त्यागी

  • “देश व दुनिया में बागेश्वर धाम व पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की तेजी से बढ़ती हुई लोकप्रियता कहीं विवाद की असली जड़ तो नहीं”
  • “क्या पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को हिन्दू धर्म छोड़ चुके लोगों के लिए घर वापसी का अभियान चलाना तो कहीं पड़ नहीं रहा भारी”
  • “सनातन धर्म के अनुयायियों के सामने विचारणीय तथ्य यह है कि अपने ही देश में आखिर बार-बार सनातन धर्म को ही क्यों निशाना बनाया जाता है

देश के सुविख्यात कथावाचक और बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराष्ट्र के नागपुर में हुए विवाद के चलते बीते कुछ दिनों से देश व दुनिया में जबरदस्त सुर्खियों में छाये हुए हैं। जब से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर नागपुर में अंधविश्वास फैलाने के आरोप लगें हैं, उसके बाद से ही देश में निरंतर उनके नाम पर टीवी चैनलों में प्राइम टाइम की डिवेट करने की होड़ सी लग गयी हैं। देश के न्यूज़ चैनल पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का साक्षात्कार लेने के लिए उनके आगे पीछे कथा मंडपों तक में भी मंडरा रहे हैं, कोई भी न्यूज़ चैनल टीआरपी की इस होड़ में पिछड़ना नहीं चाहता है, वह हर हाल में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से बात करके अपनी टीआरपी बढ़ाना चाहता है, हालात देखकर लगता है कि उनकी आजकल कथा से ज्यादा मांग न्यूज़ चैनलों पर हो रही है।

“जब से महाराष्ट्र के नागपुर में एक संस्था के लोगों के द्वारा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर व प्रसिद्ध कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर बागेश्वर धाम के अपने दिव्य दरबार जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से जनता के बीच अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया गया है, तब से वह देश के मीडिया जगत के लिए एक बहुत बड़ी सुर्खियां बन गये हैं, टीआरपी के इस दौर में उनकी जबरदस्त मांग हो गयी है।”

लेकिन विचारणीय तथ्य यह है कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से विवाद के इस प्रकरण के बाद से ही एकबार फिर से देश में कुछ लोगों के द्वारा सनातन धर्म को निशाने पर लेकर उसकी महान गौरवशाली छवि को खराब करने का दुस्साहस तक भी किया जा रहा है, जो कि बिलकुल भी उचित नहीं है। वहीं पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इस पूरे घटनाक्रम को अपने खिलाफ व सनातन धर्म के खिलाफ कुछ लोगों की एक बहुत सोची समझी रणनीति के तहत बड़ी साजिश बता रहे हैं। हालांकि यह सब देश की जांच एजेंसियों का कार्य है कि अगर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के इस विवाद में कोई साजिश है तो वह जल्द से जल्द ही इस पूरी साज़िश का पर्दाफाश करके सनातन धर्म के खिलाफ षड्यंत्र रचने वाली सभी शक्तियों को देशवासियों के सामने बेनकाब करने का कार्य करें।

*”वैसे भी देश के विभिन्न टीवी न्यूज़ चैनल की डिवेट पर देखें तो इन आरोपों के जवाब में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कहते हैं कि ये कहना बंद होना चाहिए कि विश्वास और अंधविश्वास क्या है, भारत में चादर चढ़ाना श्रद्धा है लेकिन अर्जी का नारियल बांधना अंधविश्वास है, भारत में कैंडल जलाना श्रद्धा है लेकिन बागेश्वर धाम में अर्जी लगाना अंधविश्वास है।”*

हालांकि देखा जाये तो आज के समय में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के इस तर्क का आरोप लगाने वाले लोगों के साथ-साथ शायद ही देश में किसी अन्य व्यक्ति के पास भी कोई तार्किक व ठोस आधार पर जवाब हो। देश में जब से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर आरोप लगाया गया है तब से ही आम जनमानस के बीच यह चर्चा एकबार फिर से तेज़ी से शुरू हो गई है कि आखिर क्यों बार-बार सनातन धर्म को निशाने पर लिया जाता है। देश में आज अधिकांश सनातन धर्म के अनुयायियों को लगता है कि पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री किसी भी प्रकार के विवाद में नहीं घिरे हैं बल्कि उनको जानबूझकर सोचे समझे षड्यंत्र के तहत छिपे हुए एजेंडे को पूरा करने के लिए बेवजह का विवाद खड़ा करके जबरन विवादित शख्सियत बनाया जा रहा है। बहुत सारे लोगों का मानना है कि भारत में जब सभी धर्मों को समान रूप से स्वतंत्रता मिली हुई है तो उस स्थिति में भी क्यों सनातन धर्म को बार-बार निशाना बनाया जाता है। हमारे देश में मुस्लिम अपने धर्म के अनुसार इबादत करने के लिए आजाद हैं, ईसाई यीशु मसीह की पूजा करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं, देश में अन्य धर्म व पंथ के लोग भी स्वतंत्र रूप से पूजा अर्चना करने के लिए स्वतंत्र हैं, किसी को भी किसी धर्म की पूजा अर्चना व इबादत आदि के तौरतरीकों पर प्रश्नचिन्ह लगाने का कोई अधिकार नहीं है, सभी लोगों का अपने-अपने धर्म के हिसाब से पूजा-पाठ व अन्य सभी धार्मिक कर्मकांड करने का पूरा अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता के पूर्ण विश्वास के साथ प्राप्त है। तो फिर अपने ही प्यारे भारत देश में सर्वशक्तिमान भगवान श्री हनुमान जी महाराज के आगे उनके भक्तों के द्वारा अर्जी लगाना पूजा अर्चना करना अटूट श्रद्धाभाव की जगह अंधविश्वास कैसे हो सकता है, यह समझ से परे है, बल्कि यह सब देश के बहुसंख्य सनातन धर्म के आम जनमानस का धार्मिक अधिकार व विश्वास है।

वैसे भी आदिकाल से ही भारत को सनातन धर्म की गौरवशाली धर्म, संस्कृति व परंपराओं के चलते ही पूरी दुनिया में एक बेहद सम्मानजनक विशिष्ट पहचान प्राप्त है। सनातन धर्म के चलते ही भारत को संत महात्माओं और चमत्कार की पुण्य देवभूमि माना जाता रहा है। आज भी लोग उसी श्रद्धा विश्वास के साथ ईश्वर की भक्ति में लीन होकर के भारत में हंसी खुशी जीवन यापन करते हैं। वहीं बागेश्वर धाम की बात करें तो भक्तों के अनुसार धाम व अपने कथा मंडप में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री किसी भी व्यक्ति को कभी जबरन नहीं बुलाते हैं, सब लोग अपनी स्वेच्छा से वहां जाते हैं और पूरी श्रद्धा विश्वास के साथ अपने दुःख दर्दों आदि के निवारण के लिए वहां के दिव्य दरबार में अर्जी लगाते हैं, धाम के भक्तों का मानना है कि अगर उन लोगों में से कुछ लोगों के जीवन को भी नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से मुक्ति मिलकर के एक नयी सकारात्मक ऊर्जा बागेश्वर धाम के दिव्य दरबार में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के माध्यम से मिलती है तो आखिर इसमें बुराई क्या है और यह अंधविश्वास फैलाना कैसे है। वैसे भक्तों के अनुसार यहां विचारणीय तथ्य यह भी है कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कभी भी अपने पास किसी दिव्य शक्ति के होने का दावा नहीं करते हैं, ना ही वह कभी स्वयं के ही भगवान होने का कोई दावा करते हैं और वह दरबार में अर्जी लगाने के नाम पर किसी भी प्रकार की कोई धन उगाही नहीं करते हैं। भक्तों के अनुसार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री तो हमेशा अपने आपको हनुमान जी का एक अनन्य भक्त मात्र बताते हैं और दिव्य दरबार में जो भी कुछ घटित होता है उसको हनुमान जी की विशेष कृपा और आशिर्वाद ही बताते हैं, फिर भी ना जाने क्यों कुछ लोगों को उनसे भी समस्या है और वह पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बेवजह विवादित बनाने पर तुले हुए हैं, यह स्थिति महान सनातन धर्म, संस्कृति व गौरवशाली परंपराओं के हित में सभी सनातन धर्मियों के लिए विचारणीय है।