मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा बनेंगे राजस्थान के नए भगीरथ?

Will Chief Minister Bhajan Lal Sharma become the new Bhagirath of Rajasthan?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान में दिग्गज नेताओं के होते हुए एक साल पहले जब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भजन लाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया था तब कई लोगों को आश्चर्य हुआ था कि पहली बार विधायक बने भजनलाल क्या देश में क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान का भलीभांति नेतृत्व सम्भाल पायेंगे? प्रारंभ में ऐसा लगा भी और लोकसभा में प्रदेश की 25 में से 11 सीटें भाजपा के हाथ से निकल जाने पर कई तरह की राजनीतिक चर्चाएं होने लगी लेकिन भजन लाल शर्मा पहले ही दिन से अपने चीते की चाल से लगातार राजस्थान के ज्वलंत मुद्दों को प्राथमिकता देकर उनके निराकरण की दिशा में जो अथक प्रयास कर रहें है उसकी प्रशंसा करनी होगी। उनकी कार्यशैली में पिछले अनुभवी मुख्यमंत्रियों की छवि भी दिखाई देती है।

रेगिस्तान प्रधान और पानी की कमी से प्रायः त्रस्त रहने वाले राजस्थान की इस सबसे बड़ी और गहरी समस्या से राज्य को उबारने के लिए आजादी के बाद से ही समय-समय पर विभिन्न सरकारों द्वारा भागीरथी प्रयास किए गए। सबसे पहले पश्चिम राजस्थान के मरुस्थलीय इलाकों की प्यास बुझाने के लिए विश्व की सबसे बड़ी राजस्थान नहर परियोजना (इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना) बनाई गई जिसके क्रांतिकारी परिणाम निकले और उत्तर पश्चिम राजस्थान का भूगोल बदल सरसब्ज हो उठा । उसके बाद दक्षिणी राजस्थान में मोहन लाल सुखाड़िया और हरिदेव जोशी ने अपने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में माही बजाज सागर, सोम कागदर, जाखम, सोम कमला आंबा आदि कई छोटी बड़ी परियोजनाएं शुरू करवा सुखी धरती पर पानी लाने के भागीरथी प्रयास किए। पाली और जोधपुर आदि इलाकों में जवाई बांध बनाया गया और जयपुर एवं अजमेर में पानी की समस्या के समाधान के लिए विशाल बीसलपुर बांध बना। प्रदेश में बारह मास बहने वाली एक मात्र विशाल चंबल नदी का पानी भी सुखाग्रस्त इलाकों में पानी ले जाने के प्रयास भी किए गए लेकिन ये सभी प्रयास राजस्थान की मरुधरा की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं रहें तथा प्रदेश के पूर्वी इलाका तथा शेखावाटी क्षेत्र तथा अन्य कई अंचलों की प्यास बुझ नहीं पाई। प्रदेश को आए दिन सूखा एवं अकाल तथा पीने के पानी की विकट समस्या का सामना करना पड़ा। गर्मियों में विशेष रेल और टैंकर चलाने की मजबूरी का सामना करना भी हर साल की आम बात हैं। वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत ने भी अपने मुख्यमंत्रित्व काल में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को मूर्त रूप देने और अन्य अंतर्राज्यीय जल बिजली समझौतों को हल करने के गंभीर प्रयास किए लेकिन कतिपय कारणों से वे अंजाम तक नहीं पहुंच सकें। भैरोंसिंह शेखावत सहित राजस्थान की हर राजनीतिक दलों की सरकारें राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहें हैं।आधी सदी से भी अधिक समय तक यह मांग पूरी नहीं होने पर राजस्थान की सरकारों ने पिछले कई दशकों से प्रदेश ने भूजल एवं सतही जल की कमी तथा राज्य के अधिकांश ब्लॉक्स के डार्क जोन में होने के दृष्टिगत राजस्थान को पानी की कमी की दृष्टि से विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की जाती रही लेकिन कतिपय कारणों से राजस्थान की अनदेखी ही होती रही।

इस पृष्ठभूमि में भजनलाल शर्मा ने राजस्थान का मुख्यमंत्री बनते ही इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए और उनके यह भागीरथी प्रयास अब सफल होते नजर आ रहे हैं। राज्य सरकार ने पूर्वी राजस्थान के 21 जिलों के पेयजल और सिंचाई जरूरतों को पूरी करने संशोधित पीकेसी ईआरसीपी परियोजना के लिए भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश के साथ समझौता किया। पार्वती कालीसिंध और चंबल को ईआरसीपी में जोड़ा गया। दोनों राज्यों की इन महत्वाकांशी परियोजनाओं को जोड़कर एक बड़ी परियोजना बनाई जिसे केंद्र सरकार ने तत्काल मंजूरी दे दी। पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भजनलाल सरकार के सालाना जलसे पर जयपुर दौरे पर आए तब उनके हाथों पीकेसी ईआरसीपी परियोजना का शिलान्यास भी करा दिया गया हैं।

अब प्रदेश के पेयजल संकट को दूर करने के लिए भजनलाल सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल ही नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ एक अहम बैठक की। इस बैठक में यमुना के पानी को लेकर महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। यमुना जल समझौते के क्रियान्वयन के लिए राजस्थान और हरियाणा के अधिकारियों की ज्वाइंट टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। यह टास्क फोर्स समझौते की डीपीआर तैयार करेगी। इसके बाद यमुना के पानी को राजस्थान तक लाने का रास्ता खुल जाएगा तथा शेखावाटी अंचल के लोगों की प्यास बुझ सकेगी।

राजस्थान और हरियाणा दोनों राज्यों की ज्वाइंट टास्क फोर्स बनाए जाने के इस फैसले पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी का आभार जताया। उन्होंने बताया कि जो टास्क फोर्स बनाई जाएगी, वह जल्द से जल्द डीपीआर तैयार करके सरकार को सौंपेगी। बैठक में यमुना जल समझौते के परिप्रेक्ष्य में जल संसाधनों के समुचित वितरण,अंतरराज्यीय जल समझौतों के प्रभावी क्रियान्वयन और भविष्य की दीर्घकालिक योजनाओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। मुख्यमंत्री भजन लाल ने विश्वास जताया कि यमुना जल समझौता राजस्थान के शेखावाटी अंचल में पर्याप्त जल उपलब्धता की दिशा में ऐतिहासिक कदम सिद्ध होगा और इस क्षेत्र में जल की समस्या के स्थाई समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा।

उल्लेखनीय है कियमुना के पानी को लेकर राजस्थान और हरियाणा के मध्य लंबे समय से विवाद चल रहा था। राजस्थान हरियाणा से लगातार पर्याप्त पानी की मांग करता रहा है। यमुना के पानी से राजस्थान के शेखावाटी अंचल के बड़े क्षेत्र में पानी सप्लाई की डिमांड हमेशा रही है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की बैठक में यमुना जल समझौते को लेकर जो निर्णय हुए है और बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पाटिल ने कहा कि जिस तरह जल जीवन मिशन और नदियों को जोड़ने का कार्य चल रहा है। उससे हम राजस्थान सहित किसी भी राज्यों में पानी की कमी नहीं आने देंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने भी कहा हैं कि हरियाणा का अतिरिक्त पानी राजस्थान को मिलना एक सकारात्मक पहल है।

लगता है भजन लाल सरकार के इन भागीरथी प्रयासों से लगता है मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा राजस्थान के नए भगीरथ साबित होंगे । देखना है पूर्वी राजस्थान और शेखावाटी अंचल के लोगों का यह सपना कितना जल्दी सच साबित होता हैं?