अशोक गहलोत की राजनीतिक जादूगरी से भरी पाठशाला की फेक्टरी से निकलेंगे देश के भावी नेता ?

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली : अशोक गहलोत देश के सबसे विशाल प्रदेश राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने है। शनिवारको जयपुर में उन्होंने अपने शासन काल के चार वर्ष पूरे होने पर एक प्रेस वार्ता की और इस दौरान गहलोत नेएक बड़ी रोचक बात कही कि “मैं जब राजनीति से सेवानिवृत्त हो जाऊंगा तो पॉलिटिकल क्लास लूंगा,जिसमेंमेरे स्किल और अनुभव का जिक्र भी होगा।”

हालाँकि गहलोत फ़िलहाल राजनीति से रिटायर्ड होने वाले नेताओं में शुमार नही है लेकिन,वे जब कभीराजनीति से रिटाय होंगे तों देश की राजनीति में यह एक नया प्रयोग ही होगा कि कोई नेता नई पीढ़ी को अपनीपोलिटिकल स्किल “राजनीति में जादूगरी” के गुर और अन्य राजनीतिक दाँव पेंच सिखायेंगे।गहलोत कोराजनीति में साढ़े चार दशक का लम्बा अनुभव है और उन्हें अपनी राजनीतिक कौशलता के लिए “राजनीति काजादूगर” भी कहा जाता है।

गहलोत ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में “डाउन टू अर्थ “ रहते हुए जहाँ आम लोगों और राजनीतिककार्यकर्ताओं के मध्य अपार लोकप्रियता पाई हैं वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपनी राजनीतिक कुशलता से बड़े-बड़ेसूरमाओं को राजनीतिक पटकनी देने में भी सफलता पाई है।

अशोक गहलोत के जीवन में पिछलें चार वर्ष नित नए उतार चढ़ाव भरे होने से सबसे विकट और अग्नि परीक्षावाला समय कहें जा सकते है।राजस्थान का तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद वे पहलें दिन से ही एक भी दिनचैन की नींद नहीं ले पायें लेकिन अपने पुराने इतिहास को दोहराते हुए उन्होंने इस बार भी अपने राजनीतिकप्रतिद्वंदियों को हर मोर्चे पर पटखनी दी और मुख्यमंत्री की अपनी कुर्सी को सुरक्षित रखते हुए राजसमन्द कोछोड़ प्रदेश में हुए हर लोकसभा और विधान सभा उप चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाई तथा संसद के दोनोंसदनों राज्यसभा और लोकसभा में भी कांग्रेस के सूखेपन को दूर करवा हाईकमान द्वारा दी गई हर कसौटी परखरा उतरें हैं।वे इस बार भी बीएसपी के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराने के अलावा सभीनिर्दलियों को साधने तथा सचिन पायलट गुट के बगावत के समय इन सभी का समर्थन हासिल करने कीकसौटी पर भी खरे उतरें हैं।

कोविड-19 (कोरोना) की महामारी के मुश्किल समय में भी उन्होंने कोरोना का शानदार प्रबन्धन कर पूरे देश मेंअपनी प्रशासनिक प्रबंधन की धाक जमाई और अपने शासन काल के क़रीब ढाई-तीन वर्ष कोरोना की भेंट चढ़जाने के बावजूद गहलोत ने प्रदेशवासियों को अपने सभी बजट में एक से बढ़ कर एक लोकप्रिय योजनाएँ दी हैं।इनमें से सबसे अधिक चर्चित राज्य कर्मचारियों के लिए “पुरानी पेन्शन योजना” (ओपीएस) लागू करने,सभीनागरिकों को ”स्वास्थ्य का अधिकार” देने के लिए “मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना” की संजीवनी बूटी देने औरकेन्द्र सरकार की सीजीएचएस की तर्ज पर राज्य कर्मरचारियों के लिए “आरजीएचएस” योजना लागू करने केसाथ ही देश में “इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना” (शहरी मनरेगा योजना) लागू करने वाला पहलाप्रदेश होने का श्रेय हासिल करने के अलावा उन्होंने अन्य कई लोकप्रिय योजनाओं के लिए राज्य का ख़ज़ानाखोल कर रख दिया। गहलोत की पुरानी पेन्शन योजना और अन्य योजनाओं के चर्चे सारे देश में हों रहें हैं औरहिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली विजय का श्रेय का एक कारण इस योजना को चुनावघोषणापत्र में शामिल करने और उन्हें दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने राजस्थान में अपने चार वर्षों के कार्यकाल में अपने विरोधियों के खिलाफ़ हर वक्त मोर्चाखोले रखा और प्रदेश एवं देश से जुड़े एक भी मुद्दे को उठाने में पीछें नहीं रहें। उनकी इस सक्रियता, वरिष्ठताऔर अनुभव का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मानगढ़ धाम पर जिक्र करना नहीं भूलें हालाँकि बाद में इसेराजनीतिक रंग देने का प्रयास भी हुआ।

अशोक गहलोत पिछलें चार वर्षों में “ईस्टर्न राजस्थान कैनाल” मुद्दे पर भाजपा पर सबसे अधिक आक्रमकरहें। इसे लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री सहित केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भी निशाने पर लियाऔर कहा कि केंद्रीय जल मंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषितकरानी चाहिए। उन्होंने बार-बार कहा कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना भाजपा की ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे द्वारा तैयार कराई गई थी लेकिन फिर भी वे कौन से कारण है जिसकी वजह से पानी के संकट से जूझरहें राजस्थान के तेरह पूर्वी जिलों में पेयजल और सिंचाई की दृष्टि से जीवनदायी इस महत्वपूर्ण परियोजनाको केन्द्र की मंज़ूरी नही मिल पा रही है। केंद्र सरकार की अनदेखी के बावजूद हमने अपने राज्य बजट में इसकेलिए 9600 करोड़ का प्रावधान किया हैं।

उन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम का ज़िक्र करते हुए कहा कि अब जमाना सोशल सिक्योरिटी का है । उन्होंने इसस्कीम का विरोध करने वालों को करारा जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इसका भार तत्काल नहीं वरन 25 सालबाद पड़ेगा। गहलोत ने कहा कि जो कर्मचारी 35 साल सरकार की सेवा करता है, उसकी सुरक्षा क्यों नहीं होनीचाहिए ? विकसित देशों में तों सामाजिक सुरक्षा सर्वोपरी है। अब वक्त आ गया है पीएम मोदी देश मेंआधारभूत संरचनाओं के निर्माण के साथ ही सोशल सिक्योरिटी को भी लागू करें और बुजुर्ग लोगों की पेंशन कोभी बढ़ाए।

भाजपा द्वारा प्रदेश में चै जा रही आक्रोश रेलियों के मध्य राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा को राजस्थान में मिल रही शानदार सफलता और यूपीए अध्यक्ष सोनियागांधी एवं राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी की रणथम्भोर यात्रा के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा नियुक्त प्रदेश के नए प्रभारी और राष्ट्रीयसंगठन मंत्री तथा अन्य कई नेताओं की उपस्थिति में आयोजित की गई उक्त प्रेस वार्ता में गहलोत ने राजस्थानमें चल रहे राजनीतिक गतिरोध का भी बखूबी जवाब दिया और कहा कि राजस्थान कांग्रेस में कोई विवाद है हीनहीं बल्कि राहुल जी की भावना अनुसार हमारे मध्य प्यार एवं मोहब्बत और एकजुटता की बातें होती हैं।

अशोक गहलोत जब जयपुर में अपनी राजनीतिक जादूगरी से भरी पाठशाला की चर्चा कर रहें थे तब शनिवारको संयोग से उन्हें राजनीति की दूरदर्शी शिक्षा देने और लम्बी रेस का घोड़ा बनने की सीख देने वाले पूर्वमुख्यमंत्री दिवंगत हरिदेव जोशी की जन्म तिथि भी थी। हरिदेव जोशी ने 80-90 के दशक में प्रदेश के बाहर सेआकर राजस्थान को अपनी राजनीतिक सैरगाह बनाने वाले नेताओं का कड़ा विरोध किया था जिसकी वजह सेउन्हें अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी भी गँवानी पड़ी थी। कमोबेश गहलोत को आज कतिपय ऐसी ही परिस्थितियोंका सामना करना पड रहा है लेकिन वे अब तक अपनी कुर्सी बचाने में सफल रहें है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजनीति में शॉर्ट कट की बजाय यदि समय रहते उनके कनिष्ठ औरयुवा नेता गहलोत की पाठशाला में राजनीति के गूढ़ मंत्रों की सीख लें लेंगे तों उनका राजनीतिक भविष्य नकेवल निरापद होगा वरन लम्बा भी हों सकेगा इसमें कोई दो राय नहीं हैं।