
राकेश शर्मा
यह तो अब साबित हो गया है की इंडी गठबंधन के अधिकतर दल सनातन विरोधी है और लगता है यदि आप सनातन विरोधी नहीं हैं तब शायद आप इंडी गठबंधन में शामिल हो ही नहीं सकते।
हाल ही की घटनाओं और इंडी गठबंधन के नेताओं के वक्तव्यों ने इस धारणा को मजबूती दी है।
आज तो अखिलेश यादव ने सनातन विरोध की हद ही कर दी जब उन्होंने भाजपा की और इंगित कर कहा की जिन्हें दुर्गंध पसंद है वह गौशाला बनवाते है और हमे सुगन्ध पसंद है तो हमने इत्र पार्क बनवाया ।
सभी जानते हैं कि सनातनी गऊ को माँ के रूप में पूजते हैं, जहाँ संभव हो गऊ अवश्य पालते हैं, गो मूत्र से इलाज भी करते हैं, आज भी गाँव में गऊ के गोबर से घर में लीपा पोती की जाती है, यदुवंशी (यादवों) को तो गोपालक भी कहा जाता है । करोना कालखंड में तो लोगों ने गाय के गोबर से घर लीप कर करोना को दूर भगाया था । सनातनी हिंदुओं का विरोध तो अखिलेश और उसकी पार्टी हमेशा करती रही है लेकिन मुसलमानों को ख़ुश करने के लिए अब गऊ माता को दुर्गंध वाली कहकर अधिकतर यादवों को भी नाराज़ कर दिया है ।
चुनाव के समय तो अखिलेश को गौ माता स्वप्न में आती थी लेकिन अब गऊ शाला में दुर्गंध आने लगी है।
अभी हाल ही में संपन्न हुए महाकुंभ में भी जहाँ 66 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई उसमे भी अखिलेश को सिर्फ़ अव्यवस्था ही नज़र आई, इनके एक सांसद और समाजवादी नेता अफ़ज़ल अंसारी ने तो कटाक्ष करते हुए कह दिया हिंदुओं के महाकुंभ में स्नान के बाद अब नरक खाली हो गया होगा । इसके अलावा भी अखिलेश यादव और इनकी पार्टी के नेताओं ने हर मौके पर सनातन और हिंदुओं को बेइज्जत करने का काम
किया है ।
अभी हाल ही इनके राज्यसभा रामजीलाल सुमन ने राणा सांगा और हिंदुओं को गद्दार कहा जिसका अखिलेश यादव ने समर्थन किया। क्या अखिलेश सोच रहे हैं कि अस्सी प्रतिशत जनता को नाराज कर सिर्फ मुसलमानों के वोट से कभी भी सत्ता प्राप्त कर सकते हैं। आजकल अखिलेश यादव सत्ताच्युत होने के बाद बदहवास हो गए हैं और कुछ भी उलजलूल बोलते जा रहे है । लोग तो कह रहें हैं की दुर्गंध तो अखिलेश के दिमाग से आ रही है ।
ममता बनर्जी महाकुंभ को मृत्यु कुंभ कह चुकी है , लालू यादव महाकुंभ को फालतू कह चुके हैं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा की क्या कुंभ में स्नान करने से ग़रीबी दूर हो जाएगी । कांग्रेस के राजकुमार और राजकुमारी जो चुनावी हिंदू हैं वह तो कुंभ भी नहीं गए और आज तक अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन करने भी नहीं गए ।
तमिलनाडु के मुख्य मंत्री के कुपुत्र उदयनिधि स्टालिन ने तो सनातन को करोना, मलेरिया, एचआईवी, डेंगू आदि से संबोधित कर इसे समाप्त करने की वकालत कर दी जिसे इंडी के एक भी सदस्य ने इसका खंडन नहीं किया । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रयंक खड़गे ने तो सरेआम उदयनिधि स्टालिन के वक्तव्य का समर्थन किया जिसे कांग्रेस के राजशाही परिवार ने मौन समर्थन दिया ।
इसके अलावा भी कार्ती चिदंबरम सनातन को जातिवादी समाज कहा, तमिल नाडू के कांग्रेस महामंत्री ने सनातन को नफ़रत फैलाने वाला और जातिवादी कह दिया, राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं ने रामायण को नफ़रत फैलाने वाला ग्रंथ कह दिया। ऐसे सनातन और हिंदुओं को इंडी गठबंधन वाले समय समय पर प्रताड़ित करते रहते हैं।
मुझे हैरानी भारत सरकार और सर्वोच्च न्यायालय पर भी होती है की धर्मनिरपेक्षता की आढ़ में इन्हें सिर्फ़ और सिर्फ़ सनातन और हिंदुओं पर अटैक करने का लाइसेंस किसने दिया। हिंदू सहिष्णु है इसलिए जो मर्जी जब मर्जी कुछ भी कहकर हमारे धर्म ग्रंथों, भगवानों पर दुर्गंध भरी टिप्पणी करनी है । इसे बंद करना ही होगा वरना बहुसंख्यक हिंदुओं के सब्र का बांध कभी भी टूट सकता है । इसके लिए इंडी गठबंधन ही जिम्मेवार होगा ।