
सुनील महला
आज सूचना क्रांति का दौर है और सूचना क्रांति के इस दौर में कुछ समय पहले इंटरनेट के सर्वनाश(द डेस्ट्रक्शन आफ इंटरनेट) की बातें वायरल हुई थी। दरअसल, मई 2024 में एक शक्तिशाली सौर तूफान धरती से टकराया था और इसकी वजह से तस्मानिया से लेकर ब्रिटेन तक आसमान में तेज चमक दिखाई दी थी। मीडिया के हवाले से पता चला कि इससे कई जगहों पर संचार उपग्रह और पावर ग्रिड को नुकसान पहुंचा और यह भी सामने आया था कि कई इलाकों में बिजली गुल हो गई थी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सौर तूफान अक्टूबर 2003 में धरती से टकराया था और उस सौर तूफान को हैलोवीन तूफान नाम दिया गया था। अब एक बार फिर से वैज्ञानिकों ने वर्ष 2025 में एक और विस्फोट की चेतावनी दी है। दरअसल, चिंता ‘सौर अधिकतम’ को लेकर है। कहा जा रहा है कि सौर अधिकतम की स्थिति में सूर्य चुंबकीय गतिविधि में चरम पर होता है और यह धरती पर महत्वपूर्ण भू-चुंबकीय तूफानों की संभावना को बढ़ाता है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि नासा और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के सोलर साइकिल 25 प्रेडिक्शन पैनल के विशेषज्ञों के अनुसार, सूर्य “सौर अधिकतम” पर पहुँच गया है और यह अगले एक साल या उससे भी ज़्यादा समय तक रह सकता है। यह भी सामने आया है कि पिछले दो दशकों में यह सबसे ज़्यादा और संभवतः 500 सालों में सबसे ज़्यादा भयंकर है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इससे पहले वर्ष 2000 में एक सौर अधिकतम था। इतना ही नहीं वर्ष 2006 में, 2010 व 2011 में भी नासा ने सौर अधिकतम की उम्मीद की थी। हाल फिलहाल कुछ समय से मीडिया में यह बात काफी चर्चा में है कि सूर्य चक्र वर्ष 2025 में अपने चरम पर होगा और इससे निकलने वाला खतरनाक सौर तूफान दुनिया से इंटरनेट का खात्मा कर देगा। यहां पाठकों को बताता चलूं कि वर्ष 2021 में सौर तूफान से जुड़ा एक पेपर लिखा था, जिसका शीर्षक ‘सोलर सुपरस्टॉर्म्स: प्लानिंग फॉ एन इंटरनेट एपोक्लिप्स’ था। उनके इस पेपर में ही इंटरनेट सर्वनाश शब्द का इस्तेमाल हुआ था। अब यह शब्द पिछले कुछ समय से लगातार सोशल मीडिया पर बेहद पॉपुलर हो गया है। हालांकि, यहां यह गौरतलब है कि साल 2025 में सौर तूफान से इंटरनेट के खत्म होने की संभावना पर अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कोई टिप्पणी नहीं की है और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा इन अफवाहों को लेकर लगातार सूचनाएं भी जारी कर रही है। हालांकि यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दरअसल, नासा इसलिए इस आशंका(सौर तूफान) पर अपनी आधिकारिक सहमति नहीं जता रहा कि कहीं दुनिया में दशहत का माहौल न पैदा हो जाए। हाल फिलहाल, चूंकि यह आशंका नासा की तरफ से मानी जा रही थी, जिसको लेकर नासा खंडन भी कर चुका है, बावजूद इसके इस पर लगातार यह बहस जारी है कि क्या वाकई ऐसा होगा? बहरहाल, अब यहां प्रश्न यह उठता है कि आखिर सौर अधिकतम (सौलर मैक्सिमम) आखिर है क्या ? तो पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि सौर अधिकतम(सौलर मैक्सिमम) 11 साल के सौर चक्र के दौरान सबसे बड़ी सूर्य गतिविधि की एक नियमित अवधि है और सौर अधिकतम के दौरान, बड़ी संख्या में सनस्पॉट दिखाई देते हैं, और सौर विकिरण का उत्पादन लगभग 0.07% बढ़ता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि सौर अधिकतम(सौलर मैक्सिमम) की तीव्रता को आम तौर पर सनस्पॉट की संख्या और आकार की गणना करके मापा जाता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सौर मैक्सिमा की बढ़ी हुई ऊर्जा का उत्पादन पृथ्वी की वैश्विक जलवायु को प्रभावित कर सकता है, और हाल के अध्ययनों ने क्षेत्रीय मौसम पैटर्न के साथ कुछ संबंध दिखाये हैं। पाठकों को बताता चलूं कि जब कई सौर चक्र दशकों या सदियों तक औसत से अधिक गतिविधि प्रदर्शित करते हैं, तो इस अवधि को “ग्रैंड सोलर मैक्सिमम” तथा विस्तारित अवधि, जिसमें सौर अधिकतम औसत से कम होता है, उसे “ग्रैंड सोलर मिनिमा” कहा जाता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कैरिंगटन घटना(1859 में), जो सौर चक्र 10 के सौर अधिकतम से कुछ महीने पहले हुई थी, दर्ज इतिहास में सबसे तीव्र भू-चुंबकीय तूफान माना जाता है जो कि बड़े सौर तूफान के कारण हुई थी। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि सौर तूफानों में इलेक्ट्रो मैग्नेटिक पल्स होते हैं, जो बड़े होने पर(बड़े सौर तूफान) नीले ग्रह यानी कि हमारी पृथ्वी पर बहुत ही विनाशकारी व प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। इसी बीच, हार्वर्ड के एक खगोल वैज्ञानिक ने बताया कि सूर्य अभी अपने सोलर मैक्सिमम तक नहीं पहुंचा है। सूर्य का एक चक्र 11 वर्षों का होता है और सोलर मैक्सिमम इसका सबसे ऊर्जावान बिंदु है, यहां से निकलने वाली ऊर्जा और बढ़ जाती है।सोलर मैक्सिमम अगले साल जुलाई 2025 तक होने की उम्मीद है। यूएस नेशनल स्पेस वेदर सेंटर का अनुमान है कि वर्ष 2025 में आने वाले सोलर मैक्सिमम के दौरान सनस्पॉट की संख्या 115 हो सकती है। इन सन स्पॉट से सौर ज्वालाएं निकलती हैं, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सौर तूफान सैटेलाइट और जीपीएस में गड़बड़ी पैदा कर सकता है। दरअसल,डेलीमेल ने अपनी रिपोर्ट में डॉ. जोनाथन मैकडॉवेल के हवाले से कहा कि अगले एक या 2 साल में हमें बहुत बड़े तूफान देखने को मिल सकते हैं। पिछले कुछ समय पहले सौर तूफान के कारण भू-चुंबकीय स्थितियां देखी गई थीं। बताया गया है कि यह सौर तूफान सूर्य पर बने एक सनस्पॉट से निकला था।यह भी कहा गया है कि वर्ष 1859 में कैरिंगटन घटना को जन्म देने वाले सन स्पॉट से भी यह बड़ा था। इतना ही नहीं, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के अंतरिक्ष मौसम अनुमान केंद्र के अनुसार, आने वाले दिनों में कई और सौर तूफान आ सकते हैं। यहां तक कि इस संबंध में ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी यूरोप में कुछ घटनाएं भी देखने को मिली हैं। हाल फिलहाल, भले ही नासा सौर तूफान पर अपनी आधिकारिक सहमति जरूरी नहीं जता रहा है लेकिन अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यह भी नहीं कहा कि ऐसा कभी नहीं हो सकता है। दरअसल , कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान की एक प्रोफेसर ने यह बात मानी है कि साल 2025 में एक तेज सौर तूफान पृथ्वी से टकरा सकता है। उन्होंने यह कहा है कि यह ऐसी दुर्लभ घटना होगी जो आज तक कभी नहीं हुई है। इस दुर्घटना से होने वाली सबसे बड़ी आशंका यह है कि इससे इंटरनेट और जीपीएस सिस्टम बाधित हो सकता है। ‘ हाल फिलहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि पहले भी सौर तूफान या सोलर स्ट्रॉर्म धरती के कई हिस्सों को प्रभावित करते रहे हैं, लेकिन वर्तमान की जो आशंका है वह सबसे भयावह है। यहां तक कि नासा इस बात को स्वीकार करता है कि सौर तूफान कभी कभी इतने शक्तिशाली और विनाशकारी होते हैं कि उनसे धरती पर सभी तरह के कम्युनिकेशन ठप हो सकते हैं। वैसे 1859 में जो कैरिंगटन घटना (सौर तूफान की घटना) हुई थी, जानकारी मिलती है कि उस समय तूफान से टेलीग्राफ की लाइनें स्पार्किंग के साथ ध्वस्त हो गई थीं और यहां तक कि ऑपरेटरों तक को बिजली का झटका लगा था। यह भी जानकारी मिलती है कि 1989 में आये एक मामूली सोलर तूफान ने क्यूबेक पावर ग्रिड को घंटों के लिए बंद कर दिया था। बहरहाल, वर्ष 2025 में सौलर मैक्सिमम(जैसा कि वैज्ञानिकों द्वारा इसकी आशंका जताई जा रही है) के चलते इसकी भयावहता को हम आसानी से समझ सकते हैं। हाल फिलहाल, यहां यक्ष प्रश्न यह उठता है कि इस आशंका को कितना विश्वसनीय और ठोस माना जाए ? सौलर तूफान की आशंका कितनी बलवती है, यह तो पूरी तरह से स्पष्टतया नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इस पर वाशिंगटन पोस्ट ने यह जरूर लिखा बताते है कि साल 2025 में सूरज अपने सोलर मैक्सिमम यानी विशेष रूप से सक्रिय अवधि के चरम पर पहुंच जायेगा, जिसके लिए शायद डिजिटल दुनिया अभी तैयार नहीं है। ऐसे में आज चिंताएं इस बात की भी है कि आज समुद्र के नीचे भी संचार केबलें बिछी हैं और लंबी दूरी के संपर्क को नुकसान की संभावनाएं हैं। वास्तव में,इस संबंध में देश-दुनिया को यह चाहिए कि वे अतीत से सबक लेते हुए (अर्थात् 1859 की कैरिंगटन घटना और 1989 के सौर तूफान जैसी पिछली घटनाओं ने संचार नेटवर्क और बिजली ग्रिडों में महत्वपूर्ण व्यवधान) तैयारी की आवश्यकताओं पर विशेष बल दें।वैज्ञानिकों ने सौर अधिकतम(सौर मेक्सिम) चरण के दौरान सौर तूफानों और ज्वालाओं में वृद्धि के कारण इंटरनेट सहित वैश्विक संचार अवसंरचना में संभावित व्यवधान के बारे में चिंता जताई है। वास्तव में,इसकी उच्च चुंबकीय क्षेत्र गतिशीलता की विशेषता देखकर इस पर चिन्ता जायज ही है।
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।