गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी द्वारा राजस्थान के लिए गुरुवार को घोषित चुनाव प्रबंधन समिति और चुनाव घोषणा (मेनिफेस्टो) कमेटी में प्रदेश की क़द्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी, पार्टी इनचार्ज अरुण सिंह, गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पुनिया और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड आदि को शामिल नही किए जाने की चर्चा आज जयपुर से दिल्ली तक दिन भर चलती रही लेकिन राजस्थान के लिए बीजेपी द्वारा नियुक्त चुनाव प्रभारी और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने संकेत दिए है कि वसुन्धरा राजे को प्रदेश की चुनाव प्रचार समिति में शामिल किया जायेगा। प्रल्हाद जोशी ने कहा कि वसुंधरा राजे हमारी वरिष्ठ नेता हैं।हम हमेशा से उन्हें कई कार्यक्रमों में शामिल करते रहे हैं और आगे भी करेंगे।दूसरी ओर राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि वसुंधरा राजे चुनावी कैंपेन कमेटी का अहम हिस्सा रहेंगी। साथ ही दोनों नेताओं ने यह भी संकेत दिए कि वसुन्धरा राजे के साथ इन समितियों में शामिल नही हुए पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी चुनाव प्रचार समिति में शामिल किया जा सकता है लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि इस समिति का संयोजक कौन होगा क्योंकि इस कमेटी का संयोजक ही राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री और प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री का चेहरा होता है।
राजस्थान की राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार भाजपा में भी कई खेमें सक्रिय है।विशेष कर आरएसएस से जुड़े कई प्रादेशिक नेता लामबंध हो गए है और केन्द्रीय नेतृत्व भी उनकी राय को ही तव्वज्जों दे रहा है।
राजस्थान में विधान सभा चुनाव अब मात्र तीन चार महीने ही दूर है। इस वजह से प्रदेश में सभी दल चुनावी मोड में आ गए है।इस साल के अंत में होने वाले विधान सभा का चुनाव के लिए फ़िलहाल ओपचारिक रूप से चुनावी रणभेरी भले ही नहीं बजी हो,लेकिन राजनीतिक दलों की तैयारियाँ काफ़ी तेज हो गई है। इसी कड़ी में गुरुवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत नारायण नड्डा के निर्देशानुसार प्रदेश के लिए दो महत्वपूर्ण समितियों “प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति”और “प्रदेश संकल्प पत्र समिति”की घोषणा की हैं, लेकिन इन दोनों समितियों में राजस्थान की कद्दावर भाजपा नेता वसुंधरा राजे और अन्य वरिष्ठ नेताओं को शामिल नहीं करना आश्चर्य का विषय बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रही है और उन्होंने दस साल तक राजस्थान में बेधड़क राज किया है ।वे प्रदेश में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा रही हैं।
गुरुवार को घोषित ‘प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति’ में 21 और “प्रदेश संकल्प पत्र समिति” में 25 नेता शामिल किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को संकल्प पत्र समिति का और पूर्व सांसद नारायण पंचारिया को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया है। प्रदेश की राजनीति में अर्जुन राम मेघवाल को लगातार महत्व देना भी और चुनाव प्रबंधन समिति में एक संघ निष्ठ नेता को संयोजक बनाना एक नया सन्देश माना जा रहा है।
बीते दिनों 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी नई टीम बनाई थी।इस टीम में वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। उस समय भी राजे को राज्य से बाहर केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने चर्चा हो रही थी और उन्हें झारखण्ड भी भेजा गया था लेकिन राजे की रुचि सदैव राजस्थान में ही रही है।
केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को प्रदेश संकल्प पत्र समिति का संयोजक बनाया गया है। इसका मतलब यह है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणा पत्र की जिम्मेवारी अब मेघवाल संभालेंगे। इस काम में सह-संयोजक की भूमिका में राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी, डॉ किरोड़ीलाल मीणा, राष्ट्रीय मंत्री एवं पूर्व विधायक अल्का सिंह गुर्जर, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया, पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी और राखी राठौड़ आदि शामिल है। इसके अलावा सदस्य के रूप में अन्य कई भाजपा नेताओं का नाम शामिल है।
इसी तरह प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद नारायण पंचारिया को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया हैं।पूर्व प्रदेश महामंत्री ओकार सिंह लखावत, राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, दामोदर अग्रवाल, पूर्व आईएस सी.एम.मीणा, कन्हैयालाल बैरवाल को सह-संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है।दोनों कमेटियों में आरएसएस के संघ निष्ठ नेता अधिक संख्या में हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य विधान सभा के चुनाव तक वसुंधरा राजे का इस्तेमाल पार्टी कैसे करती है और क्या उन्हें इलेक्शन कम्पेन कमिटी का संयोजक भी बनाया जा सकता है?