जूनियर हॉकी विश्व कप में कांसा जीतना बहुत बड़ी उपलब्धि है: श्रीजेश

Winning bronze at the Junior Hockey World Cup is a huge achievement: Sreejesh

  • सुग्रीव जी ने जिस हनुमान जी को उनकी ताकत याद दिलाई, मुझे टीम को ताकत याद दिलाना पड़ी
  • ओलंपिक व विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में कामयाब होने के लिए दबाव से पार पाना जरूरी

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : भारत की जूनियर हॉकी टीम के चीफ कोच पीआर श्रीजेश अपनी टीम के अर्जेंटीना से बुधवार रात यहां 0-2 से पिछड़ने के बाद गजब की वापसी कर आईएफएच जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप में कांसा जीतने पर फूले नहीं समाए। भारत के 2021 में भुवनेश्वर व 2023 में क्वालालम्पुर के संस्करण अपनी टीम के जीवट की तारीफ करते हुए बतौर गोलरक्षक मुस्तैद प्रदर्शन कर देश को पिछले लगातार दो ओलंपिक में कांसा जिताने के बाद अब जूनियर टीम के चीफ कोच के रूप में जूनियर हॉकी विश्व कप में कांसा जिताने वाले पीआर श्रीजेश कहा, ‘मेरे लिए जूनियर विश्व कप में सबसे अच्छी बात यही रही कि 0-2 से पिछड़ने के बाद आखिरी क्वॉर्टर मे 4-2 से जीत हासिल कर कांसा अपने नाम किया।जूनियर हॉकी विश्व कप में कांसा जीतना बहुत बड़ी उपलब्धि है। मुझे खुशी है कि हमारी टीम जूनियर हॉकी विश्व कप में कांसा के रूप में पदक जीत इससे विदा ले रही है।‘
वह कहते हैं, ‘ आपको प्रोसेस यानी प्रकिया, अपनी ताकत ,अपने साथियों और अपने हॉकी कौशल पर भरोसा करना बेहद जरूरी है। टीम भले ही 0-1 से पिछड़ हो रही हो या 0-2 से टीम के लिए जरूरी है कि टीम और हमारे खिलाड़ी खुद पर भरोसा बनाए रखें। 0-2 से पिछड़ने के बाद हम मुकाबले से करीब करीब बाहर हो गए थे हमारे लड़कों ने खुद पर भरोसा कर मौके बनाने के साथ उन्हें भुनाया भी। इस जूनियर विश्व कप में हम पर बहुत दबाव था, लेकिन हमारे लड़कों ने इसका सामना कर चुनौती को पार कर लिया। मैंने अपने खिलाड़ियों से यही कहा कि आप अपनी ऊर्जा बनाए रखें। आप 0-2 से पीछे नहीं रह सकते। यह हॉकी है आपको मैदान पर अपनी पूरी शिद्दत से उतरना होगा। एक बार जब आप मैदान पर उतरतेकर वापस आते हौं तो फिर पछताने की कोई गुंजाइश नहीं बचती। आप जो करना चाहते हैं, आपको वहीं मैदान पर करना होता है। मैंने अपने खिलाड़ियों से बस यही कहा था। हमारे खिलाड़ियों ने अपनी क्षमता पर भरोसा किया और कभी भी हार नहीं मान कर अंतत: अर्जेंटीना से कांसे का यह मुकाबला जीता। हम यूरोपीय शैली से भी वाकिफ हैं और भारतीय शैली की हॉकी से भी। हमें भारतीय शैली की आक्रामक हॉकी ने अंतत: बुधवार को जीत के साथ कांसा दिलाया। कई बार ऐसे मौके भी आते हैं जब आपको अपने खिलाड़ियों को बताना पड़ता है वे कहां से आते हैं। सुग्रीव जी को जिस तरह हनुमान जी को भी बताना पड़ा था कि आप कितने बलशाली हैं मुझे अपनी भारतीय जूनियर टीम को बताना पडा कि उनकी ताकत क्या है।‘

श्रीजेश कहते हैं, ’ मुझे अपनी टीम की जूनियर हॉकी विश्व कप सेमीफाइनल न जीत पाने और फाइनल न खेल पाने का मलाल रहेगा। मुझे भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम के साथ बतौर चीफ कोच जुड़े बमुश्किल एक बरस ही हुआ है। मुझे बतौर चीफ कोच पहले कुछ सीखने दीजिए। एक जीत से कुछ भी हासिल नहीं होता। मैंने अपने युवा तुर्कों से बराबर यही कहा है कि आप यदि ओलंपिक और विश्व कप में पदक जीतना चाहते हैं तो आपको सेमीफाइनल जीतना होगा। मैं भारतीय सीनियर हॉकी टीम के गोलरक्षक में पिछले लगातार दो ओलंपिक में हार से दिल टूटने के दर्द को जानता हूं। मैने अपनी इस जूनियर भारतीय टीम के साथ ओलंपिक में खेलने का अनुभव साझा किया। मैंने अपनी इस जूनियर भारतीय टीम के खिलाड़ियों से कहा कि ओलंपिक हो चाहे विश्व कप हर बड़े टूर्नामेंट में आखिरी मिनट तक दबाव बना रहेगा। इसी दबाव में बतौर खिलाड़ी आपका इम्तिहान होता है। आपको इन बड़े टूर्नामेंट में कामयाब होना है तो राह में दबाव के रूप में आने वाली इन सभी बाधाओं को पार करना होगा। मैं भारत के जूनियर हॉकी विश्व कप में कांसा जीतने का श्रेय किसी एक खिलाड़ी को न देकर हर किसी के टीम के रूप में सामूहिक प्रयास को दूंगा। गोल चाहे पेनल्टी कॉर्नर पर ड्रैग फ्लिकर ड्रैगफ्लिक से करे इसमें पुशर से लेकर हर किसी का योगदान होता है। इसी तरह मैदानी गोल में गोल करने वाले के साथ उसके लिए पास देकर आगे गेंद बढ़ाने वाला का भी योगदान होता है।`