विनोद तकिया वाला
राजधानी दिल्ली का पारा भले सारे रिकाड तोड़ने का एक तरफ आतुर है वही दिल्ली नगर निगम के चुनावी मौसम में गर्मी का अहसास दिल्ली वालों को दिला रही है। परिणाम स्वरूप चारो ओर दिल्ली की गलीयों व चौक चौराहे पर दिल्ली एम सी डी के चुनाव की सरगर्मी देखने लायक है। इन दिनों दिल्ली के मतदाताओं के मध्य राजनीति दलों के दिन प्रति दिन गिरते नैतिकआचरण,नीजी लोलुपता व नीजी स्वार्थ सिद्धि के कर भारतीय राजनीति भविष्य अंधेरे के अधर में अटका हुई है।
केन्द्र व 15 वर्षों एम सी डी में सतारूढ़ भाजपा की सरकार की राजनीति व रणनीति केवल पार्टी की ऐन केन प्राकेरण सता के सिंघासन पर आसीन होना है। वही दुसरी ओर दिल्ली के चुनावी रणनीति का पर्दापास की एक झलक विवाद और विरोध के कारण नामांकन के अंतिम दिन भाजपा को घोषित प्रत्याशियों की सूची में बदलाव करना पड़ा है।नौ घोषित प्रत्याशियों की जगह नए लोगों को मैदान में उतारने का फैसला करना पड़ा। इस बदलाव का असर दूसरे वार्डों पर न पड़े इसलिए पार्टी के नेता इस संशोधन को छिपाने की कोशिश में लगे रहे।वहीं पार्टी का टिकट न मिलने से नाराज कई वार्डों में बगावत शुरू हो गई है।कई राजनीतिक दलो के नेताओं ने अपना निर्दलीय नामांकन भरकर भाजपा उम्मीदवार की राह विद्रोह का विगुल बजा कर उनकी राह में मुश्किल खडी कर दी है।सांसदों,पार्टी नेतृत्व और अन्य नेताओं के बीच गुटबाजी की वजह से न सिर्फ घोषित प्रत्याशियों के नाम बदलने पड़े बल्कि कार्यकारी जिला अध्यक्षों की घोषणा रद करनी पड़ी।भाजपा ने विगत शनिवार रात को 252 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करते ही विवाद शुरू हो गया था।कई सांसदों के करीबी नेता अपनी ही टिकट की उम्मीद लगाए थे ।परिणाम स्वरूप नेता भी अपनी नाराजगी जता रहे थे।ऐसी घटना का जीता जागता उदाहरण हर्ष विहार और सुंदर नगरी से ऐसे नेताओं को टिकट दे दिया गया जिनका दिल्ली के मतदाता सूची में नाम नहीं है ।
कई लोगों ने दिल्ली के एम सी डी चुनाव के टिकट बंटवारे पर प्रश्न उठाते हुए पार्टी नेतृत्व से इसकी शिकायत की थी, जिस कारण कई घंटे तक प्रत्याशियों की सूची पर रोक लगी रही थी।परिणाम स्वरूप रविवार देर रात नौ वार्डों में बदलाव का फैसला किया गया।दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के चार,पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के तीन और उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के दो वार्डों में प्रत्याशियों में बदलाव किया गया है।भाजपा ने चार जिला अध्यक्षों को निगम चुनाव में उतारा है।वहीं दो अध्यक्षों की पत्नी चुनाव मैदान में हैं। इनके चुनाव लड़ने से जिले में चुनाव प्रबंधन का काम बाधित न हो इसके लिए कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा की गई लेकिन कुछ घंटों में ही नियुक्ति पत्र रद कर दी गई।प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने रविवार मध्य रात्रि ट्वीट कर चांदनीचौक, नवीनशाहदरा, शाहदरा, महरौली, उत्तर पश्चिम और नजफगढ़ जिलों के कार्यकारी अध्यक्षों की घोषणा की। विवाद बढ़ने के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने रद की नियुक्ति बताते हैं सांसदों व अन्य नेताओं से चर्चा किए बिना जिला अध्यक्षों की घोषणा की गई जिससे विरोध शुरू हो गया।सबसे ज्यादा विरोध महरौली जिला से आजाद सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का हुआ।तीन वर्ष पहले इन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।कुछ दिनों पहले इनकी घर वापसी हुई है।इन्हें कार्यकारी जिला अध्यक्ष बनाने का सांसद रमेशबिधूड़ी ने विरोध किया।इसी तरह से अन्य कई नामों का विरोध था।विवाद बढ़ता देख प्रदेशअध्यक्ष ने सोमवार दोपहर लगभग डेढ़ बजे ट्वीट कर नियुक्ति रद करने की घोषणा कर दी।
पार्टी के द्वारा सोची गई रणनीति कार व राजनीतिक चाणक्य के सलाह पर इस बार दिल्ली नगर निगम चुनाव के टिकट बटँचारे दिल्ली में जाति समीकरण का विशेष बल दिया है । आप को बता दे कि इस पार्टी ने जाति समीकरण के अनुसार
ब्राम्हण 45,जाट 34, राजपूत 22, गुर्जर 17, पंजाबी 31,वैश्य 21और पिछडे वर्ग को पांच टिकट, ये आकंडे भाजपा के दिल्ली नगर निगम चुनाव उम्मीदवारों के सहारें एम सी डी चुनाव मेंअपना दाव लगाया हैं। दिल्ली की राजनीति पर गहरी पैठ रखने वाले राजनीतिक पंडितो का मानना है कि एक ओर आम आदमी (आप) अपनी चुनावी रणनीती में एम सी डी व्याप्त भष्टाचार ‘ दिल्ली की सफाई ‘ कुडा रूपी दल्याकार पहाड़ पर दिल्ली की जनता अपने पक्ष में मत देने के लिए मनाने के दिन रात कैम्प कर रही है वही भाजपा के शीर्ष नेता पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष केद्र सरकार व राज्य सरकार के मंत्री गण / सोसद / राज्यो के मुख्य / विधायक / पार्टी के समस्त कार्यक्रता ओ के दिल्ली के एम सी डी समर क्षेत्र में समस्त अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित कर उतार दिया है। वही जातिगत आधार के आंकड़ो के देखने के बाद यह प्रतीत होता है कि भाजपा जातिवाद की नफरत / धार्मिक भावनाओं को ज्वाला भड़का कर से अरविन्द केजरीवाल दिल्ली नगर के चुनाको पराजित कर पुनः दिल्ली एम सी डी के सता के सिंघासन पर आसीन ही होना चाहती है ‘ बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली पर वर्तमान स्वरूप मे मुल मुत परिवर्तित करने का दिवा स्वपन्न दिखने लगी । मुझे क्या ‘ मै तो अपने पाठकों से यह कहते हुए विदा लेते है कि-ना ही काहुँ से दोस्ती,ना ही काहुँ से बैर । खबरी लाल तो माँगे ‘ सबकी खैर । फिर मिलेगे – तीरक्षी नजर से तीखी खबर के संग ।
अलविदा ।