प्राकृतिक खेती से अब जल्द तैयार होगा सिरमौर में जिमीकंद

With natural farming, Jimikand in Sirmaur will now be ready soon

रविवार दिल्ली नेटवर्क

सिरमौर : जिमीकंद एक बहुवर्षीय भूमिगत सब्जी के लिए जाना जाता है। सिरमौर जिला में नाहन ,पोंटा ,संगड़ाह आदि क्षेत्रों में अधिकतर उगाया जाता है। जिमीकंद प्राय 2 से 3 वर्ष में तैयार होता है जोकि बाजारों में अच्छे दामों में बिकता है। लेकिन अब प्राकृतिक खेती के तहत आत्मा परियोजना ने गजेंद्र नामक जिमीकंद बीज का प्रयोग शुरू किया है जोकि 5 से 6 महीने में तैयार हो जाता है और इसके दाम भी बेहतर मिलते हैं। इस खेती में जीवामृत व् खट्टी लस्सी का प्रयोग छिड़काव हेतु किया जाता है।

नाहन के भेड़ी वाला ग्राम में सोमीनाथ किसान के यहां इसको लगाया गया है। जून में लगाए ये जिमीकंद बड़े अच्छे से विकसित हो रहे हैं और लगातार आत्मा परियोजना के अधिकारी इस खेती की निरीक्षण भी कर रहे हैं।

आत्मा परियोजना के परियोजना निदेशक डॉ साहेब सिंह ने बताया कि जिमीकंद सिरमौर में काफी मात्रा में उगाया जाता है लेकिन यह फसल इन्हे 2 से 3 वर्ष में मिलती है अब गजेंद्र किस्म को यहां पर प्राकृतिक खेती के तहत लगाया जा रहा है और यह फसल 5 से 6 महीनो में तैयार हो जाएगी और किसानो को अच्छे दाम भी मिल सकेंगे।

किसान सोमीनाथ ने बतायाकि इस बार वो प्राकृतिक खेती के तहत जिमीकंद की खेती कर रहे हैं और अच्छी फसल भी हो रही है। प्राकृतिक खेती में वो लोग इसमें जीवामृत इत्यादि का प्रयोग कर रहे हैं।

किसान रीता ने बतायाकि परियोजना के तहत इस बार वो प्राकृतिक खेती के अंतर्गत जिमीकंद लगा रहे हैं और इसमें कोई रासायनिक खाद नहीं बल्कि जीवामृत ,खट्टी लस्सी का किट रोधक के रूप में प्रयोग कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद हैकि फसल अच्छी होगी व् उनकी आमदनी बढ़ेगी।

आत्मा परियोजना की डिप्टी परियोजना अधिकारी ने बतायाकि जिमीकंद में अनेक औषधीय गन होते हैं ,इसमें ऑग्जेलिक एसिड कम होता है। इसके इलावा विटामिन सी ,बी 6 ,पोटाशियम ,मैग्नीशियम होता है जोकि कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। साथ ही इसका पाचन फाइबर भी लाभप्रद होता है। दूसरे इसके डंठल से लड्डू ,बड़ियाँ बनाये जा सकते हैं व् पत्तों से पतोड़े भी बनाये जाते हैं। दूसरे बंदर भी इस फसल से दूर रहते हैं। बाजारों में इसके डैम 100 से 150 प्रति किलो रहते हैं। जिससे लाभ किसान को मिलता है।

आत्मा परियोजना प्रोजेक्ट निदेशक डॉ साहेब सिंह ने बताया कि जिमीकंद सिरमौर के किसानो की आर्थिकी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है इसीलिए अब गजेंद्र जिमीकंद को यहां किसानो को दिया गया है ताकि वो इसको लगाकर अच्छी आमदनी कमा सकें।

पुराने जिमीकंद बीज जोकि 2 से 3 वर्ष में तैयार होते थे यह लगभग 6 महीने में तैयार हो जाता है व् मार्किट में दाम भी अच्छे मिलते हैं। इसक वेल्यू एडीशन भी किया जा सकता है व् इसके पत्तों ,डंठल इत्यादि से कई उत्पाद बनाये जा सकते हैं। जल्द ही इसके लिए भी इन्हे प्रशिक्षण दिया जायेगा। उल्लेखनीय हैकि सिरमौर में जिमीकंद बहुत मात्रा में पैदा होता है अब इस नई किसम व् प्राकृतिक खेती से तैयार होने वाले जिमीकंद से किसानो की आमदनी बढ़ेगी व् उनका आर्थिकविकास भी होगा।