- उतार चढ़ावों के बाद भी खुद पर भरोसा कायम रखा
 - द.अफ्रीकी कप्तान वुल्फर्ट के आउट होने पर पलड़ा हमारी ओर झुका
 - शैफाली से ओवर तो फिंकवाना फाइनल का निर्णायक मोड़ साबित हुआ
 
सत्ये्न्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : हरमनप्रीत कौर अपनी कप्तानी मे भारत को नवी मुंबई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ आईसीसी महिला वन डे क्रिकेट विश्व कप फाइनल जिता पहली बार खिताब जिताने के बाद बेहद भावुक हो गई। हरमनप्रीत कौर के लिए भारत को वन डे क्रिकेट विश्व कप जिताना वाकई एक सपने का सच होना है। चोट के चलते सेमीफाइनल और फाइनल हुई प्रतीका रावल व्हीलचेयर पर अपनी भारतीय टीम की खिताब जीत का जश्न मनाने मैदान पर आई।
भारत को वन डे विश्व कप खिताब जिताने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा, ‘मेरे पास अपनी भारतीय महिला क्रिकेट टीम को वन डे विश्व कप की खिताबी जीत को बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं। लगातार तीन मैच हारने के बाद भी हमने खुद पर भरोसा कायम रखा। हमें मालूम था कि हमारी पास कहानी पलटने के लिए कुछ खास है। हमने सकारात्मक सोच बरकरार रखी। हमें मालूम था कि हमें क्या करना है। हमने जिस शिद्दत से मेहनत की,उससे हमारी टीम महिला वन डे क्रिकेट खिताब जीतने की हकदार थी।हम बहुत उतार चढ़ावों से गुजरे लेकिन हमने खुद पर भरोसा कायम रखा। हमने ज्यादा समय तक बढ़िया क्रिकेट खेली। इधर उधर देखने की बजाय हमारा ध्यान पूरी तरह अपने मुख्य लक्ष्य पर रहा। हमारी टीम अपने पिछले मैच में जिस अंदाज में खेली उससे हमें खिताब जीतने का भरोसा था। बहुत चीजें बदली पर बावजूद इसके हमारा आत्मविश्वास कायम रहा। हम यह जानते थी कि बतौर टीम हम क्या कुछ कर सकते हैं। हमें फाइनल में मालूम था कि बल्लेबाजी के लिए स्थितियां मुश्किल होंगी पर स्मृति मंधाना और शैफाली वर्मा की सलामी जोड़ी शुरू को इसका श्रेय देना होगा कि दोनों ने ही शुरू के दस ओवरों में बहुत समझबूझ से बल्लेबाजी की। जहां तक मेरे नौ मैचों में से आठ में टॉस हारने की बात है कि तो फाइनल में पहली ही गेंद से मेरा यह विश्वास था यह कोई मायने नहीं रखता है क्योंकि हम अमूमन टॉस नहीं जीतते हैं तो हम यह जानते थे कि हमें पहले ही बल्लेबाजी करनी होगी।
सेंचुरी जड़ने के बाद दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लॉरा वुल्फर्ट 42 वें ओवर में आउट होते ही फाइनल में पलड़ा हमारी ओर झुका।’
भारत की कप्तान हरमनप्रीत ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य एकदम सीधा था।हम जानते थे कि हम यदि बड़े लक्ष्य की बाबत सोचते हैं तो हम दबाव में आ सकते हैं। मुख्य बात यह थी कि बल्लेबाजी करते हुए हमने अपना खेल खेलना हमने 300 रन बनाने की कोशिश की,लेकिन हम हम इससे एक रन ही दूर रह गए।इसके बाद हम मैदान पर एक इकाई के रूप में मैदान पर फील्डिंग करने उतरे।हम जब भी विकेट की जरूरत थी हम इसे हासिल करने में सफल रहे। कुल मिलाकर फाइनल हमारे लिए बहुत बढ़िया रहा। बेशक यह कहने में आसान में लगता है लेकिन जब दक्षिण अफ्रीकी टीम बल्लेबाजी कर रही थी और खासतौर पर उनकी कप्तान लॉरा वुल्फर्ट कोई मौका नहीं दे रही थी। मैं वन डे विश्व कप खिताब जीतने अपने भावों को बयां नहीं कर सकती हूं।’
जब हरमनप्रीत कौर से वन डे विश्व कप की खिताबी जीत के पलों को पूर्व खिलाड़ियों के साथ साझा करने के मायनों की बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘ जब में टीम में नई थी थी तो क्रिकेट की बाबत बहुत नहीं जानती थी। ऐसे में झूलन दी हमेशा मेरे साथ खड़ी रही। साथ ही अंजुम(चोपड़ा) दी भी हमेशा मेरे साथ दिया। झूलन और अंजुम दी, दोनों का मुझे बहुत समर्थन मिला। मैं खुशकिस्मत हूं कि इन दोनों के साथ इस खास क्षण को साझा कर रही हूं। चोट के चलते पहले यस्तिका भाटिया और फिर प्रतीका रावत के बाहर होने पर ड्रेसिंग रूम में हर कोई रो रहा था। हममें हर कोई सकारात्मक होकर हमारे वन डे विश्व कप खिताब जीतने की बाबत ही सोच रहा था।बीता एक महीना खासा रोचक रहा। ऐसा बहुत कम होता है जब चीजों आपकी योजना के मुताबिक न हों और फिर भी आप बेहद सकारात्मक बने रहें। इंग्लैंड के हाथों हार से हमारे लिए बहुत कुछ बदल गया। हम बार बार एक ही चीज को नहीं दोहरा सकते हैं।हमें जेहनी मजबूती दिखाने की जरूरत थी। इंग्लैंड के हाथों हार ने सब कुछ बदल दिया। इस हार का असर हर किसी पर हुआ। हम वन डे विश्व कप के लिए और ज्यादा तैयार थे हमने स्थिति को जेहन में रखकर कर आकलन करने के लिए योग और ध्यान लगाना शुरू कर दिया। इसने बताया कि हम यहां कुछ कर गुजरने आए हैं और यह इसे अमली जामा पहनाने का वक्त था। फाइनल में जब दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लॉरा वुल्फर्ट और लूज सुन बल्लेबाजी कर रही थी तो खासी बढ़िया दिख रही थी। मैंने तभी शैफाली को देखा और उन्होंने जिस विश्वास से बल्लेबाजी की थी मैं यह जानती थी कि रविवार का दिन हमारा है। मैंने तब यही सोचा की मुझे अपने मन की सुननी चाहिए। मेरे दिल ने कहा मुझे शैफाली से कम से कम एक ओवर तो फिंकवाना चाहिए और यह फाइनल का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। प्रतीका के चोट के चलते बाहर होने के बाद सेमीफाइनल और फाइनल के लिए आखिरी वक्त पर हमारी टीम में जगह पाने वाली शैफाली के टीम में आने पर हमने उनसे कहाकि आपको दो तीन ओवर गेंदबाजी करनी पड़ सकती है। तब शैफाली ने कहा था कि यदि आप मुझसे गेंदबाजी कराती हैं तो मैं दस ओवर फेंक सकती हूं। शेफाली की सकारात्मक सोच के लिए उनकी तारीफ करनी होगी कि वह हमेशा टीम के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। शैफाली ने भारत के लिए जिस तरह प्रदर्शन किया इसके लिए उन्हें सलाम। मुझे मालूम था कि हमारा 298 का स्कोर फाइनल के लिए पर्याप्त है क्योंकि इसका दबाव कुछ ज्यादा ही होता है। हमें दक्षिण अफ्रीका को शानदार बल्लेबाजी करने के लिए उन्हें श्रेय देना होगा। दक्षिण अफ्रीका की टीम पारी के अंत में कुछ बौखला गई और हमने इसका ही लाभ उठाया। दीप्ति ने ऐसे में सही समय पर आकर विकेट चटकाए। हर बार हर विश्व कप के बाद हम हर बार अंतिम बाधा को पार कर खिताब जीतने की चर्चा करते थे। बीते दो बरस से बतौर हेड कोच अमोल (मुजूमदार) हमारी भारतीय टीम के साथ है और वह हमेशा हमें कुछ खास करने और बड़े अवसर के लिए तैयारी करते रहने के लिए कहते थे। हमें सपोर्ट स्टाफ और बीसीसीआई को भी श्रेय देना होगा। हमने अपनी टीम में बहुत बदलाव नहीं किए और उन्होंने हम पर भरोसा किया और सभी की मेहनत और प्रयासों के चलते हम खिताब जीतने में कामयाब हो सके। यह तो आगाज है हम तो इस बाधा को लांघना चाहते थे। हमारी आगे की योजना इस खिताबी जीत को आदत बनाने की है। हम इसका इंतजार कर रहे हैं। अब यह क्षण आ गया है। आगे भी बहुत ऐसे बड़े मौके आ रहे हैं और हम निरंतर बेहतर करना चाहते हं। यह अंत नहीं बल्कि आगाज है
कप्तान हरमनप्रीत कौर ने दीप्ति शर्मा की गेंद पर नडाइन क्लार्क का कैच लपक कर दक्षिण अफ्रीका का फाइनल में आखिरी विकेट लेने के साथ भारत के वन डे विश्व कप जीतने के साथ मैदान का चक्कर लगाया और फिर अपनी भारतीय टीम की हर खिलाड़ी को गले लगाया। भारत के खिताब जीतने के बाद हरमनप्रीत अपनी उपकप्तान स्मृति मंधाना के गले से ससे ज्यादा लगी रही। इस पर हरमनप्रीत ने कहा, ‘मैंने स्मृति के साथ बहुत विश्व कप खेले है। जब भी हम हारे हम टूटे दिल से अपने अपने घरों को लौटी और कुछ दिन मौन रही। जब इसके बाद मैदान पर वापस लौटने के बाद हमने खुद से कहा कि हमें पहली गेंद से फिर से शुरुआत करनी है। यह इसलिए दिल तोड़ने वाला रहा क्योंकि हमने साथ बहुत से विश्व कप खेले और हम सेमीफाइनल और फाइनल में पहुंचे और कई बार तो यहां तक भी नहीं पहुंच पाए। हमने बराबर हर बार तब यही सोचा कि यह सिलसिला आखिर कब टूटेगा।
जो भी जिम्मेदारी दी जाती है मैं उसका लुत्फ उठाती हूं : दीप्ति
वन डे विश्व कप की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित की गई भारत की ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने कहा, ‘सच कहूं कि यह सपने का सा लग रहा है क्योंकि हम पर अभी भावनाएं हावी है। यह एक वाकई शानदार अहसास है कि मैं अपनी भारतीय टीम को महिला वन डे विश्व कप फाइनल जिताने में इस तरह योगदान कर सकी। हमने बराबर यही सोचा कि हम हर मैच से हासिल सबक का कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने प्रशंसकों के समर्थन के बिना यह मुमकिन नहीं था। बतौर टीम हम बहुत बहुत खुश हैं। जहां तक मेरी तैयारियों, जिम्मेदारियों और भूमिका की बात है तो मुझे जिस भी स्थिति में जो कुछ भी जिम्मेदारी दी जाती है मैं उसका लुत्फ उठाती हूं। मैं मैच की स्थिति के मुताबिक खेलना चाहती हूं। विश्व कप फाइनल जैसे बड़े मंच पर बतौर ऑलराउंडर बढ़िया प्रदर्शन से और ज्यादा रोचक और बेहतर कुछ अहसास नहीं हो सकता है। दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लॉरा वुल्फर्ट ने फाइनल में बेहतरीन पारी खेली। हम फाइनल में पूरे समय शांत रहे और एक दूसरे की हौसलाअफजाई करत रहे। गेंदबाजी इकाई के रूप फाइनल के आखिरी गेंद तक जाने अपनी सर्वश्रेष्ठ गेंद करने की बाबत बात कह रहे और हमें किया भी यही। 2017 से हालात बहुत बदल गए है। मैं उम्मीद करती हूं कि हमें और मैच खेलने को मिलेंगे। मै यह वन डे विश्व कप की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी की ट्रॉञी अपने माता-पिता को समर्पित करना चाहती हूं।’
खुश हूं योजना को अमली जामा पहनाने में कामयाब हो सकी : शेफाली वर्मा
फाइनल में मैच की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित की गई भारत की सलामी बल्लेबाज शैफाली वर्मा ने कहा, ‘ मैंने शुरू में ही कहा था कि भगवान ने मुझे वन डे विश्व कप के फाइनल में कुछ बढ़िया करने के लिए भेजा है और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रविवार को यही बात साफ दिखी। मैं अपनी भारतीय टीम के महिला वन डे विश्व कप जीतने पर बेहद खुश हूं और और इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। यह मुश्किल था लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था यदि मैं शांत रही तो मैं हर कुछ भी हासिल कर सकती हूं। मेरे माता पिता, मेरी दोस्त, मेरे भाई, हर किसी ने मेरा समर्थन किया और मुझे यह समझने में मेहनत की मुझे कैसे खेलना है। मेरे और मेरी टीम के लिए यह बहुत हम था और मैं बस अपनी टीम को जिताना चाहती थीं। मेरी सोच एकदम साफ थी और मैंने अपनी योजना पर काम किया। मैं खुश हूं कि मैं अपनी योजना को अमली जामा पहनाने में कामयाब हो सकी। स्मृति दी और हरमन दी हर कोई मेरे साथ खड़ी रही। मेरी सीनियर साथियों ने मुझसे बस मेरा अपना खेल खेलने को कहा। आपके जेहन में यह सभी कुछ साफ रखने की जरूरत होती है। यह बेहद यादगार क्षण है। जब मैंने सचिन तेंडुलकर को देखा तो मुझे गजब की उर्जा मिली। में खुद से बातें करती रहीं और वह मुझे विश्वास देते रहे। सचिन क्रिकेट के मास्टर है और हम बस उन्हें देख कर ही उनसे प्रेरित होते हैं।’
यकीन नहीं हो रहा की हम वनडे महिला विश्व कप जीत गईं हैं : मंधाना
भारत की उपकप्तान स्मृति मंधाना ने कहा,‘मैं नहीं जानती भारत के वन डे क्रिकेट विश्व कप जीतना पर क्या कहूं। अभी भी यकीन नहीं हो रहा की हम वनडे महिला विश्व कप जीत गई मैं क्रिकेट मैदान पर इतनी भावुक कभी नहीं हुई। एक ऐसा क्षण जिस पर यकीन नहीं हो रहा। अपने घर में विश्व कप और यह पढ़ना भारत वन डे विश्व कप चैंपियन , बस यकीन सा नहीं हो रहा। हम अब तक जितने भी विश्व कप में खेले सभी में हमारा दिल ही टूटा क्योंकि हम इसे अपने नाम नहीं कर पाए। हमने हमेशा से माना किमहिला क्रिकेट के प्रति हमारी जिम्मेदारी बड़ी है। हमें वाकई जो अपार समर्थन मिला, मैं नहीं जानती कि बीते 40 दिनों को कैसे बयां करूं। पिछला टी 20 विश्व कप हमारे लिए खासा मुश्किल रहा । हमारा फोकस अपनी फिटनेस पर था। वन डे विश्व कप में हमारी टीम हर कोई भी एक दूसरे के साथ पूरी तरह कदमताल कर खेली।हमारी टीम का माहौल वाकई जादू का साथ था।
				
					




