भारत में ऑनलाइन गेमिंग में महिलाओं और छोटे शहरों का बढ़ता रूझान

Women and small-town trends in online gaming in India

अजय कुमार

तकनीकी क्रांति के दौर में दुनिया तेजी से बदल रही है। इस परिवर्तन के साथ जहां अनगिनत फायदे सामने आए हैं, वहीं कुछ गंभीर चुनौतियां भी उभर कर आई हैं। हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद तकनीकी विकास को रोक पाना संभव नहीं है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस प्रगति के सकारात्मक पहलुओं को अपनाएं और नकारात्मक प्रभावों से बचें। यह बात न केवल रोजमर्रा की जिंदगी में लागू होती है, बल्कि भारत में तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर पर भी सटीक बैठती है।

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग भारत में तेजी से उभर रहा है, और इसका उदाहरण यह है कि इसे खेलने वाले लोगों में 41 प्रतिशत महिलाएं हैं, और 66 प्रतिशत से अधिक गेमर्स छोटे शहरों से हैं। भारत में लूडो की सबसे बड़ी ऑनलाइन गेमिंग कंपनी ‘जुपी’ के चीफ ऑफ पॉलिसी अश्विनी राणा के अनुसार, यह एक संकेत है कि ऑनलाइन गेमिंग की लोकप्रियता समाज के सभी वर्गों में फैल रही है। उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की सराहना की है, क्योंकि यह क्षेत्र भविष्य में मानव जीवन को बदलने वाले अनुसंधानों का केंद्र बन सकता है।

‘जुपी’ की स्थापना 2018 में आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र दिलशेर सिंह द्वारा की गई थी। इस कंपनी ने बहुत कम समय में भारतीय ऑनलाइन गेमिंग बाजार में एक प्रमुख स्थान हासिल कर लिया है। भारत का ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर अब चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। हालांकि, इस सेक्टर की तेज़ी से बढ़ती लोकप्रियता के साथ कुछ चिंताएं भी सामने आई हैं, विशेष रूप से गेम की लत के संदर्भ में। अश्विनी राणा ने इस मुद्दे पर कहा कि किसी भी चीज की लत हो सकती है, चाहे वह मोबाइल फोन हो, टीवी हो, सोशल मीडिया हो, या फिर शराब और तंबाकू। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी सीमाएं स्वयं तय करें और इन आदतों को नियंत्रण में रखें।

ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में अच्छी और बुरी दोनों तरह की कंपनियां हैं। विदेशी कंपनियां, जो जुआ खेलने के लिए लोगों को प्रेरित करती हैं, भारतीय बाजार में भी सक्रिय हैं। लेकिन ‘जुपी’ जैसी भारतीय कंपनियों का मुख्य फोकस ऑनलाइन खेलों पर है, जिसमें कई सुरक्षा उपाय और सीमाएं लगाई गई हैं। उदाहरण के लिए, दांव लगाने की सीमा तय है, और 18 वर्ष से कम उम्र के लोग इन खेलों में भाग नहीं ले सकते। इसके अलावा, लूडो जैसे खेलों की अवधि सीमित होती है, और अधिक समय तक खेलने पर गेमर को अलर्ट भी मिलता है।

ऑनलाइन जुआ और ऑनलाइन गेमिंग के बीच अंतर को समझना महत्वपूर्ण है। इस मुद्दे पर कई मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे हैं, जहां यह स्पष्ट किया गया है कि जिस खेल में दिमाग और कौशल का उपयोग होता है, वह जुआ नहीं है। वहीं, जहां केवल भाग्य का सहारा लिया जाता है, उसे जुआ कहा जाएगा। इस आधार पर लूडो, क्रिकेट टीम बनाना, घुड़दौड़, तीन पत्ती, और लॉटरी जैसे खेलों को जुआ की श्रेणी में रखा गया है।

‘जुपी’ के पास आज 300 से अधिक कर्मचारी हैं, जिसमें आधे से ज्यादा आईआईटियन हैं। इस कंपनी के प्लेटफार्म पर 10 करोड़ से अधिक लोग लूडो खेलते हैं। इस तेजी से बढ़ते हुए सेक्टर में तकनीकी प्रगति और नवाचारों का बड़ा योगदान है, और यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में यह क्षेत्र और भी बड़े पैमाने पर विकसित होगा। हालांकि, इसके साथ ही यह आवश्यक है कि हम इसके संभावित नुकसान को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदारी से आगे बढ़ें।