- दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में लगातार बढ़ोतरी
- साइबर क्राइम के मामलों में भी ईजाफा
- बच्चों के खिलाफ आपराधिक मामले भी बढ़े
- एनसीआरबी के आंकड़ों से सामने आई राजधानी दिल्ली की तस्वीर
- महानगरों में राजधानी की स्थिति सबसे खराब
प्रीति पांडे
देश की राजधानी दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। आलम ये है कि देश के महानगरों में राजधानी दिल्ली की स्थिती सबसे खराब है । NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी दिल्ली में 72.4 प्रतिशत की चार्जशीट दर के साथ महिलाओं के खिलाफ अपराध के 14158 मामले दर्ज किए गए। यानी हर एक घंटे पर 51 एफआईआर दर्ज की जाती हैं। वहीं राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 4 प्रतिशत का ईजाफा हुआ है। 2021 की तुलना में साल 2022 में 19 महानगरों में 12.3 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी।
दर्ज किए गए 14 हजार से अधिक मामले —–
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 20 लाख से अधिक आबादी वाले 19 महानगरों (अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोझिकोड, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे और सूरत) में 2022 के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 48,755 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (43,414 मामले) की तुलना में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
NCRBकी वार्षिक रिपोर्ट के 70 वें संस्करण के आंकड़ों के पर नजर डाले तो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में साल 2022 के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो साल 2021 (4,28,278 मामले) की तुलना में 4 प्रतिशत ज्यादा हैं।
वहीं अगर राजधानी दिल्ली में दर्ज मामलों पर गौर फरमाएं तो 72.4 प्रतिशत की चार्जशीट दर के साथ महिलाओं के खिलाफ अपराध के 14,158 मामले दर्ज किए गए।
दिल्ली में हर 1,00,000 महिलाओं पर लगभग 186.9 अपराध दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार इसमें 1,204 बलात्कार व यौन उत्पीड़न के मामले शामिल हैं। राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के अपहरण या अपहरण की 3,909 घटनाएं भी दर्ज की गईं। दिल्ली में दहेज हत्या से संबंधित कुल 129 मामले दर्ज किए गए।
हालांकि इसी रिपोर्ट को और बारिकी से देखा जाए तो तो पाएंगे कि घर में भी असुरक्षित हैं महिलाएं क्योंकि इन कुल दर्ज मामलों मे सबसे ज्यादा है पति या रिश्तेदारों की क्रूरता के मामले ।
दिल्ली में पतियों या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता की 4,847 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, आईपीसी के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के तहत ज्यादातर मामले ‘पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा की क्रूरता के तहत दर्ज किया गए थे जो 31.4 प्रतिशत हैं। इसके बाद अपहरण के मामले 19.2 प्रतिशत दर्ज किए गए। साथ ही महिलाओं पर उत्पीड़न के इरादे से हमला करने के मामले 18.7 प्रतिशत और दुष्कर्म के 7.1 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए।
NCRB रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति लाख महिलाओं के खिलाफ होने वाले आपराधिक मामले साल 2021 में 64.5 थे, लेकिन 2022 में यह बढ़कर 66.4 हो गए थे।
राष्ट्रीय राजधानी में साइबर अपराध के मामले 2022 में लगभग दोगुने हो गए।
एनसीआरबी के 2022 के व्यापक अपराध आंकड़ों साइबर क्राइम के 65893 मामले देश भर में दर्ज किए गए हैं. साल 2021 में 52974 मामले दर्ज किए गए थे. इस तरह एक साल के दौरान साइबर अपराध में 24.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इनमें करीब 65 फीसदी मामले धोखाधड़ी के हैं.
इन्हीं आकड़ो से पता चलता है कि राजधानी दिल्ली में साइबर क्राइम के मामलों की संख्या 2021 में 345 थी जो साल 2022 में बढ़कर 685 हो गई। जबकि साल 2020 में साइबर अपराध के केवल 166 मामले दर्ज किएगए थे ।
आंकड़ों के अनुसार, पूरे भारत में 2022 में हत्या की कुल 28,522 प्राथमिकियां दर्ज की गईं है। जो हर दिन औसतन 78 हत्याएं या हर घंटे तीन से अधिक हत्याएं हैं।
विवाद और दुश्मनी के मामले सबसे ज्यादा
हालांकि, NCRB के आंकड़ों की माने तो अपराध के मामलों में थोड़ी कमी आई है। 2021 में ये आंकड़ा 29272 और 2020 में 29,193 था। NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में हत्या के सबसे अधिक मामलों में 9962 मामलों में ‘मामूली विवाद’ कारण था, इसके बाद 3761 मामलों में ‘व्यक्तिगत प्रतिशोध या दुश्मनी’ और 1884 मामलों में ‘फायदा उठाना’ था। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा हत्या के मामले दर्ज । एनसीआरबी के अनुसार, 2022 में उत्तर प्रदेश में हत्या की सबसे अधिक 3491 एफआईआर दर्ज की गईं, उसके बाद बिहार 2930, महाराष्ट्र 2295, मध्य प्रदेश 1978 और राजस्थान 1834 रहीं। शीर्ष पांच राज्यों में हत्या के 43.92 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए।
सिक्किम में सबसे कम मामले दर्ज
एनसीआरबी के अनुसार, 2022 में सबसे कम हत्या के मामलों वाले शीर्ष पांच राज्य सिक्किम 9, नागालैंड 21, मिजोरम 31, गोवा 44 और मणिपुर 47 थे।
दिल्ली में हत्या के 509 मामले दर्ज
केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2022 में हत्या के 509 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद जम्मू-कश्मीर (99), पुडुचेरी (30), चंडीगढ़ (18), दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव (16), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (7), लद्दाख (5) और लक्षद्वीप में शून्य दर्ज किए गए।
पिछले साल हत्या के सदंर्भ में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 3,491 एफआईआर की गईं, उसके बाद बिहार (2,930), महाराष्ट्र (2,295), मध्य प्रदेश (1,978) और रा (1,834) राज्य रहे. इन शीर्ष पांच राज्यों में हत्या के 43.92 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए.
पूरे भारत की बात करें तो 2022 में हत्या की दर झारखंड (4) में सबसे अधिक थी. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (3.6), छत्तीसगढ़ और हरियाणा (दोनों 3.4), असम और ओडिशा (दोनों- 3) थे. जबकि, प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश (1.5), बिहार… बिहार (2.3), महाराष्ट्र (1.8), मध्य प्रदेश (2.3) और राजस्थान (2.3) का प्रदर्शन बेहतर रहा. वहीं, उम्र के संदर्भ में हत्या के 95.4 प्रतिशत पीड़ित वयस्क थे… NCRB के अनुसार, कुल हत्या पीड़ितों में से 8,125 महिलाएं और नौ तीसरे जेंडर के व्यक्ति थे. लगभग 70 प्रतिशत पीड़ित पुरुष थे.
बच्चों के खिलाफ भी बढ़े मामले
एनसीआरबी की इस रिपोर्ट में बच्चों के साथ होने वाले अपराध को लेकर भी चिंता जताई है।रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,62,449 मामले दर्ज किए गए जो 2021 की तुलना में 8.7 प्रतिशत 1,49,404 मामले की वृद्धि दिखाता है । इनमें अधिकांश मामले अपहरण 45.7 प्रतिशत और 39.7 प्रतिशत यौन अपराधों से संबंधित है । प्रति लाख बच्चों की आबादी पर दर्ज अपराध दर 36.6 थी जो 2021 की तुलना में 3 प्रतिशत अधिक थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में इसकी संख्या 33.6 प्रतिशत थी। वहीं राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो अकेले राजधानी दिल्ली में बच्चों के खिलाफ अपराध की 7,400 घटनाएं दर्ज की गईं।
नाबालिग अपराधियों की श्रेणी में भी दिल्ली नंबर वन पर
बीते दिनों दिल्ली के वेलकम इलाके से दिल दहलाने वाली हत्या की एक वारदात का सीसीटीवी सामने आया था, इस विडियों नें नाबालिग अपराधी ने एक अन्य नाबालिक की बड़ी ही बेरहमी से कई मर्तबा चाकूओं से वार कर हत्या कर दी थी । कत्ल के दौरान और बाद में उक्त नाबालिग नाचता , कत्ल करने के दौरान उसे एन्जॉय करता नजर आया था । अब आंकड़ो पर गौर फरमाएं तो पाएंगे की राजधानी दिल्ली में कत्ल करने वाले नाबालिगों की संख्या देश के 19 बड़े शहरो में नंबर 1 पर है । राजधानी में औसतल हर रोज 8 नाबालिगों पर एफआईआर दर्ज हुए है वहीं प्रतिदिन औसतन 10 नाबालिग आपराधिक वजहों से पकड़े जा रहे हैं । बाल अपराध में संलिप्त ऐसे नाबालिग अपराधियों का आंकड़ा 2022 में 2450 रहा ।
एनसीआरबी द्वारा देश में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या 2022 पर जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 13,000 से अधिक छात्रों ने अपनी जान ले ली। 2022 में आत्महत्या से होने वाली कुल मौतों में 7.6% छात्र थे।
रिपोर्ट से यह भी पता चला कि 18 वर्ष से कम उम्र के 1,123 छात्रों की आत्महत्या का कारण परीक्षा में असफलता थी। इनमें से 578 लड़कियां और 575 लड़के थे। विभिन्न आयु समूहों में, परीक्षाओं में असफल होने के बाद आत्महत्या करके 2,095 लोगों की मृत्यु हो गई। यह संख्या महाराष्ट्र (378) में सबसे अधिक थी, इसके बाद मध्य प्रदेश (277) और झारखंड (174) थे। कर्नाटक (162) और गुजरात (155) में भी परीक्षाओं में असफलता के कारण आत्महत्या से होने वाली मौतों की संख्या अधिक है।
कुल मिलाकर, 2022 में 18 वर्ष से कम उम्र के 10,295 बच्चों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई। लड़कों (4,616) की तुलना में लड़कियों (5,588) में आत्महत्या की संख्या थोड़ी अधिक थी। रिपोर्ट से यह भी पता चला कि मौतों का सबसे अधिक प्रतिशत माध्यमिक स्तर की शिक्षा वाले लोगों में देखा गया, जो 2022 में सभी आत्महत्याओं का 23.9% था।
दिल्ली में 35% बढ़े बुजुर्गों के साथ लूटपाट के मामले, इस साल 14 बुजुर्गों की हुई हत्या
दिल्ली में बुजुर्गों के साथ होने वाले अपराध के मामलों में पिछले साल के मुकाबले 35 प्रतिशत की बढोतरी हुई है. बुजुर्ग बदमाशों के लिए उनका सबसे आसान और सरल शिकार होते हैं.चाहे साइबर ठग हों या फिर रेकी करने के बाद घर में घुसकर लूटपाट करने वाले बदमाश, इन सबके निशाने पर बुजुर्ग ही होते हैं.
बुजुर्गों के साथ लूटपाट के दर्ज हुए 85 मामले । इस साल की बात करें तो बुजुर्गों के साथ लूटपाट के 85 से अधिक मामले दर्ज किए गये. पिछले साल जनवरी से सितंबर तक सिर्फ 63 मामले ही रजिस्टर किए गये थे, लेकिन इस साल ये आंकड़ा बढ़कर 85 हो गया है. जोकि पिछले साल की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक है. इन मामलों में बुजुर्गों के साथ हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, चोरी, साइबर अपराध और यौन उत्पीड़न जैसे मामलों को रेखांकित किया गया है.
इनके अलावा भी राजधानी दिल्ली में अलग अलग कैटेगरी में दर्ज किए गए आपराधिक मामलों में ईजाफा देखने को मिला है जिसके लिए एजेंसियां जहां लोगों के जागरुक होने और ज्यादा से ज्यादा एफआईआर दर्ज किए जाने को कारण मानते हैं तो वहीं जानकारों का मामला है आंकड़ो में वृद्धि पुलिस के प्रति अपराधियों के मन से खौफ समाप्त होना ज्यादा दर्शाता है ।