संदीप ठाकुर
नारी शक्ति वंदन अधिनियम …यह नाम दिया गया है महिला आरक्षण बिल 2023
काे। बिल लाेकसभा में पेश कर दिया गया। पास हाे जाएगा
इसमें काेई शक नहीं। लेकिन बिल की क्रोनोलॉजी समझिए। यह बिल आज पेश जरुर
हुआ लेकिन हमारे देश की महिलाओं को इसका फायदा तत्काल नहीं मिलेगा। पता
है क्यों? क्याेंकि इसके साथ नियम और शर्तें लागू हैं। शर्त नंबर एक, यह
बिल परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसिमन कब हाेगा,जनगणना के बाद। मालूम
हाे कि जनगणना 2021 में ही होनी थी, लेकिन काेराेना के कारण नहीं हाे
पाई। आगे यह जनगणना कब होगी इसकी भी कोई ऑफिसियल जानकारी नहीं है। जनगणना
जबभी हाेगा उसके बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण
होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा। बिल में यह प्रावधान है कि
आरक्षण शुरू होने के 15 साल बाद अपने आप खत्म हाे जाएगा।। विपक्ष का कहना
है कि चुनाव से पहले एक और जुमला बाजार में आ गया है।
प्रस्तावित बिल के मुताबिक लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं
के लिए 33% रिजर्वेंशन लागू किया जाएगा। इस फॉर्मूले के तहत लोकसभा की
543 सीटों में 181 महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। नए विधेयक में सबसे
बड़ा पेंच यह है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। ये
परिसीमन इस विधेयक के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर ही होगा। 2024 में
होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन असंभव है। यानी
विधानसभा और लोकसभा के चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू
नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा
चुनावों से लागू हो सकता है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जन
प्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान
परिषदों पर लागू नहीं होगा।कई सालों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत
चर्चा हुई। काफी वाद-विवाद हुए। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी
कुछ प्रयास हुए हैं। 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ। अटल
जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन
आंकड़े के अभाव के चलते यह पास नहीं हाे पाया।
वर्ष 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण
बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते
हुए तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके
बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया था। अब जाकर बिल काे पेश किया
गया है। आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा समय में लोकसभा में 82 महिला सांसद
हैं, जोकि कुल सांसदों का मात्र 14 प्रतिशत है। वहीं राज्यसभा में मात्र
32 महिला सांसद हैं, जोकि कुल राज्यसभा सांसदों का 11 प्रतिशत है। जबकि
देश में महलाओं की आबादी कराब करीब आधी है। इसके अलावा अगर राज्यों की
बात करें तो आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल
प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा,
सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना सहित कई राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का
प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है। दिसंबर 2022 के सरकारी आंकड़ों के
अनुसार, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और
दिल्ली में 10-12 प्रतिशत महिला विधायक थीं।