कर्नाटक में कांग्रेस यदि क्लीन स्वीप कर जाए तो आश्चर्य नहीं !

संदीप ठाकुर

राजनीतिक तौर पर जागरूक लोग इनदिनों एक दूसरे से यही पूछ रहे हैं कि
कर्नाटक का चुनाव परिणाम क्या होगा ? कर्नाटक की राजनीति में मची भगदड़
से यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि कर्नाटक की राजनीति किस दिशा
में गई और परिणाम क्या आने वाले हैं। भाजपा के स्टार प्रचारक प्रचार के
दौरान चाहे जो भी बोलें लेकिन अंदरूनी हालात बता रहे हैं कि भाजपा की
हालत इस बार के चुनाव में खास्ता है। उसके पास राज्य स्तर का न ताे काेई
कद्दावर नेता है और न ही मुद्दे। भाजपा ने चुनाव की दिशा भगवान की तरफ
मोड़ दी है। पार्टी का कोई नेता रोटी,कपड़ा,मकान और नौकरी की बात नहीं कर
रहा है। पार्टी नेताओं के आपसी खुसुर पुसुर में यह कहा जा रहा है कि
पार्टी का हारना तय है। कांग्रेस यदि क्लीन स्वीप कर जाए तो आश्चर्य नहीं
होना चाहिए।
सनद रहे कि आमतौर पर हर राज्य के चुनाव में पार्टी नेता जीत की भारी भरकम
लक्ष्य तय करते हैं। ये लक्ष्य तय करते हैं रणनीतिकार व गृह मंत्री अमित
शाह। लक्ष्य दाे तिहाई सीट से अधिक का होता है। लेकिन इस बार अमित शाह ने
कर्नाटक के लिए कोई लक्ष्य नहीं तय किया है। इसका क्या मतलब निकाला जाए।
मतलब साफ है कि पार्टी सीटों काे लेकर आश्वस्त नहीं है कि उसे इस बार
कितनी सीटें मिलेंगी। वैसे बिना बहुमत मिले भी भाजपा ने कर्नाटक में जोड़
तोड़ कर दो बार सरकार बनाई है, लेकिन कभी भी चुनाव में उसे बहुमत नहीं
मिला है। इस बार तो भाजपा की हालत और भी खराब है। क्योंकि टिकट बंटवारे
के बाद ही पार्टी में मची भगदड़ ने सारे समीकरण बदल कर रख दिए। राज्य के
पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार,पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण संगप्पा
सावदी समेत दो दर्जन से अधिक बड़े नेताओं ने न सिर्फ पार्टी छाेड़ी बल्कि
इनमें से कई कांग्रेस में शामिल हाे गए हैं। जगदीश शेट्टार जैसे खानदानी
संधी नेता तक कांग्रेस में शामिल हाे गए हैं। जगदीश शेट्टार के पिता एसएस
शेट्टार जनसंघ के नेता थे। उनके चाचा सदाशिव शेट्टार भी दक्षिण भारत के
जनसंघ के नेता थे। इसी तरह पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी मजबूत
लिंगायत नेता हैं।टिकट काटे जाने से नाराज होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी
है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी चुनाव मैदान में नहीं हैं।
भाजपा के स्टार प्रचारक दावे चाहे जो भी करें लेकिन इन कद्दावर नेताओं के
मैदान में नहीं रहने का खामियाजा काे भाजपा काे हर हाल में भुगतना हाेगा।
कर्नाटक में गरीब तबके,निम्न मध्यम व मध्यम वर्ग में भी भाजपा काे लेकर
जबरदस्त नाराजगी है। राज्य में आगामी 10 मई काे चुनाव है। कर्नाटक में
2011 की जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 6.11 करोड़ है। इनमें सबसे अधिक
हिंदू 5.13 कराेड़ यानी 84 प्रतिशत है। इसके बाद मुसलमान हैं जिनकी
जनसंख्या 79 लाख यानी करीब 12.91 प्रतिशत है। ईसाई की आबादी 11 लाख
यानी 1.87 प्रतिशत और जैन आबादी 4 लाख यानी 0.72 प्रतिशत है। राज्य में
लिंगायत सबसे बड़ा समुदाय है जिसकी आबादी 17 प्रतिशत है। इसके बाद दूसरा
सबसे बड़ा समुदाय वोक्कालिगा है जिसकी आबादी करीब 14 प्रतिशत है। राज्य
में कुरुबा जाति की आबादी 8 प्रतिशत,अनुसूचित जातियां 17 प्रतिशत और
अनूसूचित जनजाती 7 प्रतिशत है। इनलाेगाे का वाेट ही कर्नाटक का भविष्य़ तय
करेगा