- भारतीय हॉकी का पेरिस ओलंपिक का यह कांसा श्रीजेश को समर्पित
- मैं आज हॉकी में जो कुछ भी हूं अशोक सर के गुरुमंत्र के कारण ही हूं
- -हर किसी का एक दूसरे पर भरोसा हमारी टीमकी सबसे बड़ी ताकत है
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : 24 बरस की उम्र में हॉकी में ओलंपिक में लगातार दो कांस्य ,निश्चित रूप से ऐसी उपलब्धि है जिस पर भारत के डिफेंसिव मिडफील्डर विवेक सागर बेशक फख्र कर सकते हैं। विवेक सागर सबसे ज्यादा आठ बार की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भारत की मनप्रीत सिंह की अगुआई में 2020 में चार दशक से भी ज्यादा के बाद कांसे के रूप में अपना पहला जीतने वाली हॉकी टीम के सबसे कम उम्र के सदस्य थे। अब 2024 में हरमनप्रीत सिंह की अगुआई में पेरिस ओलंपिक में स्पेन को 2-1से को हरा कांसा बरकरार रखने वाली भारतीय हॉकी टीम के स्ट्राइकर अभिषेक के बाद दूसरे सबसे कम उम्र के सदस्य हैं। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 1968 में मैक्सिको और 1972 में म्युनिख ओलंपिक के बाद दूसरी बार ओलंपिक में कांसा जीता है। भारत की 1975 में अब तक एक बार हॉकी विश्व कप और 1972 में म्युनिख ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य रहे दद्दा ध्यानचंद के सबसे कामयाब रहे हॉकी खिलाड़ी अशोक कुमार सिंह के शार्गिद विवेक सागर प्रसाद अपने हॉकी सफर की कामयाबी का पूरा श्रेय अपने उस्ताद अशोक भाई को देते हैं।1968 में मैक्सिको ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली वाली टीम के सदस्य रहे इनाम उर रहमान के बाद विवेक सागर मध्यप्रदेश के ऐसे दूसरे भारतीय हॉकी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने भारत को ओलंपिक में कांसा दिलाया। अशोक भाई इनाम उर रहमान को अपना आदर्श और गुरू मानते हैं। लगातार दो ओलंपिक में कांसा जीत विवेक सागर ने इस लिहाज से अपने गुरु के साथ उनके गुरु को भी एक कदम पीछे छोड़ दिया। मध्य प्रदेश पुलिस में डीएसपी के पद पर तैनात विवेक सागर प्रसाद के रविवार देर रात भोपाल पहुंचने पर मध्यप्रदेश के खेल मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने उनका हवाईअड्डे पर स्वागत किया। मध्यप्रदेश सरकार ने विवेक सागर प्रसाद को भारत को 2024 के पेरिस ओलंपिक में भारत को कांसा जिताने में अहम भूमिका निभाने पर एक करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की। विवेक सागर भारत की हांगजू एशियाई खेलों में स्वर्ण, ब्रेडा में चैंपियंस ट्रॉफी में रजत तथा बीते बरस चेन्नै में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के भी सदस्य रहे।इटारसी , मध्यप्रदेश के बाशिंदे भारतीय हॉकी के डिफेंसिव मिडफील्डर विवेक सागर प्रसाद के भोपाल पहुंचने पर ravivardelhi.com ने उनसे फोन पर खास बातचीत की।
24 बरस की उम्र में भारतीय हॉकी टीम को लगातार दो ओलंपिक में कांस्य जिताने में अहम योगदान? इस उपलब्धि का श्रेय किसे देना चाहेंगे?
मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मैं अपनी भारतीय पुरुष हॉकी टीम को ओलंपिक में लगातार दूसरा कांस्य जिताने में अहम योगदान कर पाया। मैं इसके लिए भगवान का आभार व्यक्त करता हूं। यह मेरे परिवार द्वारा बराबर दिए समर्थन से ही मुमकिन हो पाया। मेरे हॉकी के इस सफर में मध्य प्रदेश खेल विभाग और मध्य प्रदेश हॉकी अकादमी के सहयोग का अहम योगदान हैं। मैं इस मौके पर अपने उस्ताद भारत के महान हॉकी खिलाड़ी अशोक (कुमार सिंह) सर का उनके मार्गदर्शन के लिए आभार जताना चाहूंगा। मैं आज हॉकी में जो कुछ भी हूं अशोक सर के गुरुमंत्र के कारण ही हूं।‘
2024 के पेरिस ओलंपिक में भारतीय टीम अपने कांसे का रंग और चमकदार करने से कहां चूक गई?
आज नए जमाने की हॉकी और खासतौर पर ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर जरा सी ढील की गुंजाइश नहीं है।आज की हॉकी सही सांप सीढ़ी के खेल सी हो गई है कि एक गलती हुई नहीं की आप अर्श से फर्श पर। पेरिस ओलंपिक में खासतौर पुरुष हॉकी में बेहद कड़ी प्रतिद्वंद्विता दिखी। आज दुनिया की सभी टीमों का हॉकी स्तर बहुत उंचा हो गया है। ढील की जरा भी गुंजाइश नहीं है। हम पेरिस ओलंपिक में इस बार अपने कांसे का रंग बेहतर करने ही नहीं बल्कि स्वर्ण पदक जीतने के संकल्प से आए थे और हमारी तैयारी भी इसके अनुरुप थी। हमारे स्ट्राइकरों ने गोल करने के मौके बनाए भी भुनाए भी। हमने मिले मौकों को और बेहतर ढंग से भुनाया होता ओलंपिक में हमारे पदक का रंग कांसे से भी चमकदार होता है। हमारी भारतीय हॉकी का पेरिस ओलंपिक का यह कांसा देश के लिए करीब दो दशक से खेल रहे अपना चौथा आखिरी ओलंपिक खेलने वाले सदाबहार गोलरक्षक पीआर श्रीजेश को समर्पित है।
भारत के लिए 2020 के टोक्यो ओलंपिक और 2024 के पेरिस ओलंपिक के कांसे में कौन सा ज्यादा अहम है?
हमारी भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए 2020 टोक्यो और 2024 के पेरिस ओलंपिक , दोनों में ही कांसा जीतना बड़ी उपलब्धि है। फिर भी मेरा मानना है कि हमारी भारतीय टीम के लिए 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीतना ज्यादा बड़ी उपलब्धि है क्योंकि हमने ओलंपिक में आठ बार स्वर्ण पदक जीतने के चार दशक से ज्यादा के बाद यह कामयाबी हासिल की। टोक्यो ओलंपिक जीते कांसे ने हमारी भारतीय हॉकी टीम में यह विश्वास भरा कि हम किसी से कम नहीं। हमने इस भरोसे को पेरिस ओलंपिक में जारी रखा और 2020 की कांसे की कामयाबी को दोहराने में कामयाब रहे।
भारतीय हॉकी टीम के लिए आप हरेन्द्र सिंह, ग्राहम रीड के मार्गदर्शन में खेले और अब क्रेग फुल्टन के मार्गदर्शन में खेले। कितना मुश्किल होता है अलग अलग शैलियों के मुताबिक खुद को ढालना?
आज नए जमाने की हॉकी में हर टीम के चीफ कोच और उसके सपोर्ट स्टाफ का टीम की कामयाबी में अहम योगदान होता है। मैच के बाहर बैठ कर वह टीम की जरूरत के लिहाज से प्रतिद्वंद्वी की हर रणनीति की बिसात पर मात देने के लिए रणनीति बनाते हैं। मैं इस लिहाज से अपनी भारतीय हॉकी टीम के चीफ कोच क्रेग फुल्टन की तारीफ करना चाहूंगा कि ब्रिटेन के खिलाफ पेरिस ओलंपिक में अहम क्वॉर्टर फाइनल के शुरू में ही अमित रोहिदास को लाल कार्ड दिखाए जाने के कारण मैदान से बाहर भेजे जाने पर हमारे चीफ कोच फुल्टन ने एकदम शांत और संयमित दिखे और हमें शांत रह हुए दस खिलाड़ियों से अपना सर्वश्रेष्ठ देने को प्रेरित किया और हम जीत के साथ सेमीफाइनल में स्थान बनाने में सफल रहे। मैं अपनी भारतीय टीम चीफ कोच फुल्टन के धैर्य का कायल हूं। हर किसी का एक दूसरे पर भरोसा हमारी टीमकी सबसे बड़ी ताकत है।
भारतीय टीम के 2024 के पेरिस ओलंपिक के सफर के आगाज और समापन को कैसे आंकेंगे?
पेरिस ओलंपिक में हमारा पहला मैच पूल बी में न्यूजीलैंड के खिलाफ था। ओलंपिक और हॉकी विश्व कप जैसे बड़े मंच पर आपके सामने पहले मैच में चाहे जो टीम हो इसमें जीत के साथ आगाज बेहद जरूरी है। बेशक हम न्यूजीलैंड के खिलाफ थोड़े संघर्ष के बाद 3-2से जीते लेकिन इससे हमें अपने आगे के मैचों में बेहतर करने का भरोसा मिला। हम अपने पूल में बस अकेला मैच पिछले चैंपियन बेल्जियम से 1-2 से हारे जबकि हमने अर्जेंटीना को एक-एक की बराबरी पर रोका, आयरलैंड को 2-0 से और ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हराया। हम जर्मनी से सेमीफाइनल में बढ़त लेने के बाद बेहद कड़े संघर्ष में रेड कार्ड के चलते अपने फर्स्ट रशर अमित रोहिदास के बाहर रहने 1-2 से हारे लेकिन स्पेन को इसी अंतर से हरा अपना ओलंपिक का कांसा बरकरार रखने में कामयाब रहे। हमारे ओलंपिक अभियान में कांसे के सफर में हमारी ’दीवार‘ सदाबहार गोलरक्षक पीआर श्रीजेश की मुस्तैदी और सबसे ज्यादा दस गोल करने वाले हमारे कप्तान ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह का अहम योगदान रहा। अमित रोहिदास के ब्रिटेन के खिलाफ क्वॉर्टर फाइनल में दूसरे क्वॉर्टर के शुरू में बाहर होने के बाद सेमीफाइनल से बाहर रहने के बाद भारत के लिए फर्स्ट रशर का दायित्व मनप्रीत सिंह ने मुस्तैदी से निभाया। हमारी टीम के कांसे के सफर में सही मायनों में हमारे चीफ कोच के सही हौसले और सभी की एक दूसरे के साथ जुगलबंदी अहम रही।‘