गोविन्द ठाकुर
”आम आदमी पार्टी के एक के बाद एक नेता मंत्री जेल जा चुके हैं, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह सहित कई दुसरे नेता या तो जेल जा चुके हैं या फिर केन्द्रीय ऐजेंसी के घेरे में हैं..ऐसे में अगर मुख्यमंत्री अरवींद केजरीवाल गिरफ्तार हो जाते हैं तो फिर क्या होगा .. क्या आप की साख बचेगी…बड़ा सवाल है..”
सुप्रीम कोर्ट मनीष सिसोदिया के बेल को खारीज कर दिया और रुपयों के लेनदेन की टेल को आरोप को बहस का मुददा माना ऐसे में अब मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए मुश्किल पैदा हो गया है। इडी ने वैसे ही केजरीवाल को नोटीस जारी कर चुका है। वैसे भी पुलिस या कोई भी कानून प्रवर्तन एजेंसी चाहे तो किसी भी व्यक्ति को किसी मामले में फंसा सकती है। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने इसका मौका भी दिया है। उन्होंने ऐसे ऐसे लोगों को चुन कर विधायक, मंत्री या राज्यसभा सांसद बनाया है, जिनके खिलाफ किसी भी समय एजेंसी कार्रवाई कर सकती है। नया नाम दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद का है, जिनके यहां प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने छापा मारा है। राजकुमार आनंद कुछ दिन पहले ही मंत्री बने हैं। राजेंद्र पाल गौतम के हिंदू देवी-देवताओं के बारे में दिए गए विवादित बयान के बाद उनको हटाया गया था और उनकी राजकुमार आनंद मंत्री बने।
पिछले साल अक्टूबर में राजेंद्र पाल गौतम हटाए गए थे और उसके बाद राजकुमार आनंद मंत्री बने थे। सो, उनके खिलाफ कार्रवाई एक साल में बतौर मंत्री किए किसी काम की वजह से नहीं हुई है। उनके ऊपर पुराने मामले में कार्रवाई हुई है। असल में डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस यानी डीआरआई ने उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने कस्टम को गलत जानकारी देकर सात करोड़ रुपए बचाए थे। उस मामले में उनके खिलाफ धन शोधन निरोधक कानून यानी पीएमएलए के तहत मुकदमा करके ईडी ने कार्रवाई शुरू की है। आम आदमी पार्टी के अब तक एक दर्जन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हुई है, जिनमें से ज्यादातर भ्रष्टाचार, हवाला और धन शोधन के मामले में हुई है।
यह सही है कि केजरीवाल ने चुन चुन कर ऐसे लोगों को विधायक, मंत्री और राज्यसभा सांसद बनाया है, जिनमें से अनेक कारोबारी हैं और पहले से किसी न किसी विवाद में घिरे रहे हैं। ऐसे लोगों पर एजेंसियों के लिए कार्रवाई आसान हो जाती है। लेकिन ऐसे लोगों के अलावा सामाजिक या राजनीतिक कार्यकर्ता रहे दिल्ली व पंजाब के नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है। सवाल है कि आप नेताओं के ऊपर इतनी कार्रवाई क्यों हो रही है? इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि केजरीवाल ईमानदारी का ढोल बहुत पीटते हैं। उन्होंने विवादित लोगों और कारोबारियों को पार्टी में आगे बढ़ाया है और विवादित फैसले भी किए हैं लेकिन अपने को सबसे ईमानदारी साबित करते रहते हैं।
अभी देश में ईमानदार और राष्ट्रभक्त नेता होने का विशेषाधिकार सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। उनके उस विशेषाधिकार को अरविंद केजरीवाल चुनौती देते हैं। वे अपने को और अपनी पार्टी को कट्टर ईमानदार और कट्टर देशभक्त बताते हैं। दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी, उनकी सरकार और पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं। चूंकि अभी तक केजरीवाल की पढ़े-लिखे और ईमानदार नेता की छवि बनी हुई है इसलिए उनके आरोपों से भाजपा को खतरा लगता है। तभी सबसे ज्यादा फोकस उनके ऊपर है कि उनको भी बाकी पार्टियों की तरह भ्रष्टाचारी पार्टी के तौर पर स्थापित किया जाए। उनकी साख बिगड़ेगी तो अपने आप उनके आरोपों पर लोग ध्यान देना बंद कर देंगे।