तुम मत आना बस्तर

you don't come to bastar

प्रभुनाथ शुक्ल

मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ?
बस्तर तुम्हारे लिए रो रहा है
तुम्हें खोने के बाद जंगल सो रहा है
झरने, नदिया, पहाड़ और गुफाएं
तुम्हें भूला नहीं पाएंगे

मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ?
तुम अब बस्तर की पीड़ा मत लिखना
आदिवासियों की भूख मत लिखना
जंगल की लुट मत लिखना
भ्र्ष्टाचार पर तुम चुप रहना

मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ?
पत्रकार बनकर मत आना
सच लिखने की हिम्मत मत लाना
नक्सल की पीड़ा पर चुप रहना
लेकिन, बिकना हो तो बस्तर आना

मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ?
सच लिखोगे तो मारे जाओगे
सेफ्टीटैंक में चुन दिए जाओगे
जिंदगी के सपने यूँ लुटा जाओगे
दोस्त ! अपनों को बिलखता छोड़ जाओगे

मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ?
मरकर भी इतिहास नहीं बन पाओगे
पत्रकार हो तो कोई सम्मान नहीं पाओगे
मौत देने वालों को क्या मौत दे पाओगे
खबर लिखने वालों खबर बन जाओगे

मुकेश ! तुम लौटकर मत आना बस्तर ?
तुम शहीद नहीं कहलाओगे
शौर्य और परमवीर चक्र नहीं पाओगे
तुम्हारे नाम पर बस्तर की वह सड़क न होगी
चौराहे पर ख़डी तुम्हारी कोई मूरत न होगी