नीलम महाजन सिंह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को पुनः ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे के साथ ‘सबका प्रयास’ का आह्वान किया है। युवाओं में बेरोज़गारी एक जटिल समस्या है। इषके भयावह आर्थिक व मानसिक प्रभाव हैं। यह पीएम के नारे का दूसरी बार विस्तार है। पहली बार ‘सबका साथ सबका विकास का नारा’ गढ़ा गया था। अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने के लिए नारे में ‘सबका विश्वास’ जोड़ा गया था। इस बार पीएम मोदी अपनी सरकार के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को व्यापक बनाने के लिए ‘सबका प्रयास’ भी जोड़ रहे हैं। इस नारे का सकारात्मक पहलू यह है कि सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में सबके प्रयास की अहम भुमिका है और इसका नकारात्मक पहलू यह है कि सरकार राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने के अपने संकल्प के प्रति खुद की ज़िम्मेदारी को प्रमुख केंद्र में नहीं रखना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का निष्पक्ष विश्लेषण करना जरूरी है। पीएम ने शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला-सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं, किसान, उद्योग, टेक्नोलॉजी, आतंकवाद, पड़ोस, विस्तारवाद, आंतरिक व बाह्य सुरक्षा, विकास समेत सभी विषयों पर अपने विचार रखे हैं। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात आत्मनिर्भर भारत को संकल्पबद्ध बनाने की है। हमें अगले 25 वर्षों के लिए नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ना है। क्या इसका तात्पर्य यह है कि भाजपा अगले 25 वर्षों तक सत्ता मे रहेगी? यह भविष्यात्मक है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जब हम भारत की जश्न-ऐ-आज़ादी के सौ साल को मनाएं तो हम आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लक्ष्य को पूरा करें। नरेंद्र मोदी ने यह आह्वान किया कि हमें एक ‘नये भारत’ का निर्माण करना है। परंत प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले आठ वर्षों में नये भारत को कितना आत्मनिर्भर बनाया है? इसका ईमानदार विश्लेषण आवश्यक है। 1947 के विभाजन के दौरान लोगों के दर्द और पीड़ा का सम्मान करने के लिए, प्रधान मंत्री ने कहा है कि 14 अगस्त को अब ‘विभाजन भयावह स्मृति दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। मेरे माता-पिता, जसवंत राय और लज्जया देवी जी, इस भयानक रक्तपात के साथ, मीरपुर से विभाजित जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे। मीरपुर अब पीओके का हिस्सा है। मेरा मानना है कि इन ज़ख्मों को कुरेदने का कोई लाभ नहीं है। तीन पीढ़ियां आगे निकल चुके हैं हम सभी ! आजकल सरकारी योजनाओं ने रफ़्तार पकड़ ली है और अपने लक्ष्य तक पहुंच रही हैं। ‘उज्ज्वला’ से लेकर ‘आयुष्मान भारत’ तक, देश के गरीब इन योजनाओं के प्रभाव को जानते हैं। मोदी सरकार कटौतियां और सब्सिडी दे रही है। परन्त ये सब्सिडीज़ पहले की सरकारें भी तो देती रही थीं। इनमें नया कुछ नहीं है। ‘जल जीवन मिशन ’ के दो वर्षों के भीतर 4.5 करोड़ से अधिक नए घरों को पाइप से जलापूर्ति मिली है। 21वीं सदी में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उसकी क्षमताओं का पूरा उपयोग करना ज़रूरी है। इसके लिए पिछड़े वर्ग व अनुसूचित जनजातियों को सशक्त करना आवश्यक है। गांवों और शहरों के जीवन के बीच की खाई को पाटना होगा। वंचित समुदायों तक सरकारी सुविधाएं पहुंचने के लिये सही कदम उठाने होंगे। इसके लिए दलितों, एस.सी, एस.टी. पिछड़ों, सामान्य वर्ग के गरीबों का आरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। पूर्वोत्तर क्षेत्रों, हिमालय क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, तटीय क्षेत्र और आदिवासी क्षेत्र भविष्य में भारत के विकास की नींव बनेंगें। इसके लिए पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों को जल्द ही रेलवे लाइन से जोड़ा जाएगा। इन क्षेत्रों को बेहतर अवसरों के लिए, बांग्लादेश, म्यांमार, दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ा जाएगा। विकास समावेशी होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर-लद्दाख, के संदर्भ में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकास ज़मीन पर दिखाई दे रहा है। परिसीमन की कवायद भी पूरी हो चुकी है। यू.टी. में विधानसभा चुनावों की तैयारी चल रही है। जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के विभाजन से आर्थिक स्वावलंबन पर प्रभाव पड़ेगा। यह गहन अध्ययन का विषय है। क्या गांवों में तेजी से बदलाव दिखायी दे रहा है? पिछले कुछ वर्षों में सड़क और बिजली जैसी सुविधाएं गांवों तक पहुंची हैं। आज ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क गांवों को डेटा-शक्ति प्रदान कर, इंटरनेट पहुंचा रहा है। गांवों में भी डिजिटल उद्यमी तैयार हो रहे हैं। देश की आत्मनिर्भरता के लिए ग्रामीण डिजिटल प्लेटफॉर्म्स अनिवार्य हैं। छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम ज़मीन है, उन्हें देश का गौरव बनना चाहिए। आने वाले वर्षों में छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को बढ़ाकर, उन्हें नई सुविधाएं दी जायेंगी। प्रधान मंत्री को कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों से सीधा संपर्क करना चाहिए। अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे, विश्व स्तरीय निर्माण, अत्याधुनिक नवाचारों और नए ज़माने की तकनीक के लिए मिलजुल कर काम करना होगा। भारत को बुनियादी ढांचे के निर्माण में समग्र दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है। भारत 100 लाख करोड़ का राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा मास्टर प्लान ‘प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ लॉन्च करेगा। नरेंद्र मोदी सरकार को अर्थव्यवस्था-एकीकृत मार्ग प्रदान करना चाहिए। गतिशक्ति स्थानीय निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने और भविष्य के नए आर्थिक क्षेत्रों की संभावनाओं को विकसित करने में मदद करेगी। इससे युवाओं को रोज़गार के अवसर मिलेंगे। परन्तु आज बेरोज़गारी की समस्या, युवाओं को निस्सहाय कर रही है। यह नया नहीं है, सरकार बजट में भी एक लाख करोड़ रुपये से अधिक बुनियादी ढांचे पर खर्च का ऐलान किया है। दुनिया देख रही है कि भारत में ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ की कोई कमी नहीं है। सुधार लाने के लिए सुशासन और ‘स्मार्ट-शासन’ की जरूरत है। दुनिया इस बात की गवाह है कि भारत किस तरह शासन का एक नया अध्याय लिख रहा है। राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए लोगों के जीवन में सरकार और सरकारी प्रक्रियाओं के अनावश्यक हस्तक्षेप को समाप्त करना आवश्यक है। 75 ‘वंदे भारत ट्रेनें’ आज़ादी के अमृत महोत्सव के 75 सप्ताह में भारत के हर कोने को जोड़ेगी। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का यह ऐलान स्वागत योग्य है परंतु वर्तमानकालिक भी होना चाहिए। वंदे भारत ट्रेन के बहाने सरकार अगर रेलवे के निजीकरण की दिशा में बढ़ रही है तो इस पर व्यापक बहस होनी चाहिए। लोगों को अनावश्यक कानूनों और प्रक्रियाओं से मुक्त करने के लिए पिछले 07 वर्षों में क्या प्रयास बढ़े हैं? अब तक कई अनावश्यक कानूनों को खत्म कर, सरकार को न्यायालयों में, आम जन-मानस को शीघ्र राहत मिले, इस पर विचार-वमर्श करना चाहिए। सरकार की नई शिक्षा नीति, गरीबी से लड़ने का साधन है। यह क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित होनी चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में भारत अभी बहुत पीछे है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बने। करोना महामारी के दौरान, भारत अपने विदेशी मुद्रा भंडार के सर्वकालिक उच्च स्तर पर होने के साथ अपना उच्चतम विदेशी निवेश प्राप्त कर रहा है? प्रधान मंत्री के इस ब्यान पर अध्ययन की ज़रूरत है। भारत आतंकवाद और विस्तारवाद की चुनौतियों से लड़ और निपट भी रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भविष्यातमक योजनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, जबकि देश कोरोना काल के चलते वर्तमान में सुस्त विकास की समस्याओं से जूझ रहा है। सारांश में यह कहना उचित होगा कि काल्पनिक न होकर नरेंद्र मोदी सरकार को वर्तमान आत्म-निर्भरता, कृषि, रोज़गर, आर्थिक विकास, सामाजिक उत्थान एवं राजनैतिक समन्वय, संवाद, वाद-विवाद तथा समन्जसय को धरातल पर उतारना आवश्यक है। “हम भारत के लोग …”
(लेखिक वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक समीक्षक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, मानवाधिकार संरक्षण सॉलिसिटर व परोपकारक हैं)