रविवार दिल्ली नेटवर्क
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन, टिमिट कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन और कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स की ओर से एजुकेशन 5.0ः ए न्यू पैराडाइम इन ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन पर दो दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस का शुभारम्भ
बरेली : मुरादाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के एमएलसी डॉ. हरि सिंह ढिल्लो ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव मूल्यों के बिना अधूरी है, इसीलिए हमें मावन मूल्यों के संग एआई को जोड़ना है। विशेषकर शिक्षण के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए जुनून, कर्मठता के साथ-साथ आध्यात्मिक ऊर्जा भी जरूरी है। शिक्षा जीवन का प्राण तत्त्व है। आज का तकनीकी युग केवल उच्च डिग्रियों का नहीं, बल्कि प्रत्येक हाथ में कौशल और प्रत्येक मस्तिष्क में सृजनात्मक विचारों की मांग करता है। आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य मात्र ज्ञान-संप्रेषण नहीं, बल्कि जीवन में नैतिक आचरण, मानवीय संवेदना और चरित्र-निर्माण का संस्कार स्थापित करना है, ताकि प्रत्येक व्यक्ति नई सभ्यता और नवोन्मेष की उड़ान का वाहक बन सके। डॉ. ढिल्लो तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के तीन कॉलेजों- फैकल्टी ऑफ एजुकेशन, टिमिट कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन और कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स की ओर से एजुकेशन 5.0ः ए न्यू पैराडाइम इन ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन पर आयोजित दो दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस के शुभारम्भ मौके पर बोल रहे थे। इससे पूर्व एमएलसी डॉ. हरि सिंह ढिल्लो, डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन, डीन स्टुडेंट वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह, फैकल्टी ऑफ एजुकेशन के प्राचार्य डॉ. विनोद कुमार जैन, कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन के प्राचार्य प्रो. मनु मिश्रा, फाइन आर्टस के प्राचार्य श्री रविन्द्र देव आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके नेशनल कॉन्फ्रेंस का शंखनाद किया। इस मौके पर सभी अतिथियों का बुके देकर स्वागत किया गया। कॉन्फ्रेंस के तकनीकी सत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम, केरल, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि के शिक्षाविदों, शोधार्थियों ने शिक्षा 5.0, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का शिक्षण में प्रयोग, भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेशन, डिजिटल साक्षरता, इमोशनल इंटेलिजेंस, नवाचार एवम् मूल्य-शिक्षा जैसे विषयों पर करीब 70 रिसर्च पेपर्स प्रस्तुत किए। नर्सिंग कॉलेज की डीन प्रो. एसपी सुभाषिनी, एग्रीकल्चर कॉलेज के डीन प्रो. प्रवीन कुमार जैन, डॉ. शिवानी एम. कौल, डॉ. ज्योति पुरी, डॉ. अमित कंसल आदि की विशेष मौजूदगी रही। कॉन्फ्रेंस में पुस्तक- एजुकेशन 5.0 का भी विमोचन किया गया।
डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन ने कहा, एजुकेशन 5.0 केवल शिक्षा का एक मॉडल नहीं, बल्कि यह एक बौद्धिक पुनर्जागरण का प्रतीक है, जहां ज्ञान, कौशल और संवेदना की त्रिवेणी मानवता के नए क्षितिज का निर्माण करती है। इसका आरम्भ एवम् उत्तरोत्तर विकास इंडस्ट्रीयल डेवल्यूशन से ही हुआ है और हो रहा है। प्रो. जैन बोलीं टीएमयू एनईपी-2020 को अपनाते हुए आगे बढ़ रही है। उन्होंने अकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, स्किल डवलपमेंट आदि विभिन्न सन्दर्भों पर चर्चा करते हुए स्टुडेंट्स को ज्ञान की विविधावली से जोड़ने का प्रयास किया। उन्होने कहा, यह संगोष्ठी शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और ललित कला इन तीनों धाराओं को जोड़ने का एक अभिनव प्रयास है, जो व्यक्ति के सर्वांगीण विकास की दिशा में सार्थक कदम सिद्ध होगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस में सोबन सिंह जीना यूनिवर्सिटी, अल्मोड़ा के प्रो. शेखर चंद्र जोशी ने कहा कि शिक्षा 5.0 का मूल भाव सतत विकास में नैतिक प्रौद्योगिकी का समावेश है। तकनीक तभी सार्थक है जब वह संवेदना और उत्तरदायित्व से जुड़ी हो। साथ ही उन्होंने भारतीय विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे इंडियन नॉलेज सिस्टम के सिद्धांतों को नयी शिक्षा नीतियों से जोड़ें, ताकि भारत पुनः ज्ञान की धरती के रूप में प्रतिष्ठित हो सके। इससे पूर्व स्वागत भाषण में डीन स्टुडेंट वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह ने कहा, टीएमयू सदैव ज्ञान, अनुसंधान और मानवीय मूल्यों के त्रिवेणी का प्रतीक रहा है। आज की यह संगोष्ठी शिक्षा के नवयुग का उद्घोष है, जो हमें एजुकेशन 5.0 की ओर अग्रसर करेगी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी में फैकल्टी ऑफ एजुकेशन के प्रो. रजनी राजन सिंह ने कहा, एजुकेशन 5.0 वस्तुतः सह-अस्तित्व, करुणा और मूल्याधारित चेतना का पुनरागमन है। उन्होंने कहा कि, वर्तमान जगत को यदि विनाश से बचाना है तो एआई के साथ मानवीयता की जड़ों को जोड़ना होगा। वेदान्त दर्शन के आनन्दमयकोश आदि के भाव को आत्मसात करना होगा और क्लासेस को विज्ञान मय आदि कोशों से संपृक्त कर आज आध्यात्मिक जड़ों से स्नात कराना होगा वास्तविक उन्नति का मूल स्व को जानना है; अपनी भाषा, संस्कृति एवं विरासत के सौंदर्य पर गर्व करना है। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक डॉ. ओमप्रकाश ने कहा कि एजुकेशन 5.0 इक्विटी, इम्पैथी और एक्सीलेंस का संगम है। जब शिक्षा में समान अवसर, संवेदनशीलता और उत्कृष्टता का समन्वय होगा, तभी सच्चे अर्थों में परिवर्तन संभव होगा। हमें ज्ञान को थोपना नहीं है वरन् हमें शिक्षा का सुन्दर वातावरण अपने इस नई पौध को देना है, तभी जिस भारत की कल्पना हम करते हैं वह साकार हो पायेगा। कॉन्फ्रेंस में डॉ. सुगन्धा जैन, डॉ. अगम प्रताप, श्री तोहिद अख्तर, श्री कुशाग्र दीक्षित, श्री मुकेश कुमार, डॉ. फरहा दीबा, श्री अंकुर देव, श्री वैभव झा, श्री प्रवेश चंद्र वर्मा, श्री प्रदीप सैनी, श्री राजेश कुमार, मिस सना तबस्सुम, डॉ. रंजीत सिंह, डॉ. शिवानी यादव, डॉ. हर्षवर्धन, डॉ. रवि प्रकाश, डॉ. सुनील पांडे, डॉ. अर्पिता त्रिपाठी, डॉ. नाहिद बी., डॉ.रूबी शर्मा, डॉ. पूनम चौहान, डॉ. शेफाली जैन, श्री धर्मेंद्र सिंह, श्री महेश कुमार, मिस शिवांकी राजपूत आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ. पूनम चौहान, डॉ. पवन बिष्ट ने संयुक्त रूप से किया।





