कठोर परिश्रम और सफलता की कहानी है “क्रेज ऑफ़ जिम्मी”

नृपेन्द्र अभिषेक नृप

हमारे आम जीवन में ऐसे भी लोग होते हैं जो अपने जीवन की घटनाओं को अपने सपनों में पहले ही भविष्यवाणी के रूप में देख लेते हैं। ऐसी अद्भुत विशेषताओं वाली एक जीवंत कहानी को बहुत ही बेहतरीन उपन्यास का रूप दिया है सोशल साइट पर काफ़ी लोकप्रिय, ब्लॉगर एवं युवा उपन्यासकार अहाना अर्चना पाण्डेय ने। कहानी में संघर्ष के साथ साथ समाज के पुरानी और नई सभ्यता के बीच के अंतरद्वंद को भी बखूबी दिखाया गया है।

अहाना ने अपने पहले उपन्यास ‘क्रेज ऑफ़ जिम्मी’ में एक ऐसी लड़की की कहानी को लिखा है जो को अपने भविष्य में होने वाली घटनाओं को सपनों में देख लेती हैं। यह कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसके भीतर बचपन से एक जिद है जुनून है, कुछ बनने का, कुछ करने का और अंत में वह बेहद संघर्ष व कठिन परिश्रम के पश्चात विश्व प्रसिद्ध युवती बनकर दुनिया को चौंका देती है।

उपन्यास की शुरुआत होती हैं चिर निंद्रा में सो रही अनन्या के सपनों में आये जे जे की कहानियों से। अनन्या और जेसीका पत्रकार हैं और दोनों एक ही साथ एक फ्लैट में रह रही होती हैं। नींद में सपने देखने वाली अनन्या की अपने भी सपने हैं जिन्हें पूरा करने के लिए उसे हर मुश्किल को आसान करने का जुनून सवार है। अनन्या पुराने ख्यालातों की एक लड़की है जो पश्चिमी सभ्यता से कोसों दूर है।

अनन्या डायरी के रूप में एक उपन्यास लिख रही होती है जिसकी कहानी जिम्मी के जीवन से मिलती है। अपने पुस्तक के लिए जिम्मी से मिलने अनन्या को पुणे जाना होता है। जहां पर कहानी आगे बढ़ती है। पूरी कहानी दिल्ली , पुणे और राजस्थान में घूमती है। पुणे में वह जिम्मी के साथ रहने लगती है। फिर सूरज के द्वारा अनन्या की आलोचना के बाद ही अनन्या का फिर से सपना पूरा करने का हठ होता है जिसके बाद वापस दिल्ली आ कर एक निजी नौकरी कर अपने सपनों को पूरा करने में लग जाती है। अनन्या का उपन्यास बेस्ट सेलर में जाता है और उसे इसके लिए अवार्ड भी मिलता है। अनन्या एक लेखक के रूप में खुद को स्थापित कर लेती है।

कहानी में आधुनिक समाज और पुराने ख्यालातों को भी दर्शाया गया है । जब अनन्या दिल्ली में जॉब के लिए इंटरव्यू देने जाती है तो बहुत जगह से इसलिए रिजेक्ट कर दी जाती है क्योंकि पुराने ख्यालातों और पहनावे की है। हमारा समाज किस दौर में है जहां अब काबिलियत से ज्यादा पहनावा देखा जाने लगा है। इन सबसे जूझते हुए अनन्या को जॉब मिलती है, जिसके बाद वह अपने सपनों को पूरा करने में लग जाती है।

उपन्यास में उद्योगपति और पैसों का धौंस दिखाने वाले के रूप में सूरज को दिखाया गया है। जो कहानी में नकारात्मक भूमिका में है। अनन्या को एक बार काफ़ी भला बुरा कहता है, उसकी औकात दिखाता है जिसके बाद से ही अनन्या खुद के सपनों को पूरा करने को प्रण ले लेती है। समाज में ऐसे भी लोग होते है जो करना तो बुरा चाहते हैं लेकिन सामने वाले के लिए अच्छा हो जाता है। सूरज अगर अनन्या की आलोचना नहीं करता तो शायद अनन्या का सपना पुणे में ही रह जाता है लेकिन उसने इस घटना से सीख ले कर सपनों को पूरा करने निकल पड़ती है।

इस उपन्यास की पूरी कहानी अनन्या और जिम्मी के इर्द गिर्द घूम रहा है जिसमें एक साधारण घर की लड़की का बेस्ट सेलर लेखिका तक के सफर को दिखाया गया है, जिसने हर मुश्किल का सामना कर के अपने सपनों को पूरा कर लिया है।

पुस्तक : क्रेज ऑफ़ जिम्मी
लेखक : अहाना अर्चना पांडेय
प्रकाशक : पेन पॉकेट बुक्स प्रकाशन
मूल्य : 240 रूपये