
अशोक भाटिया
बिहार में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होंगे और चुनाव को लेकर राज्य में सियासी सरगर्मी भी तेज है। महागठबंधन में शामिल सभी दल चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं। हालांकि, महागठबंधन में अभी सीट बंटवारे को लेकर कुछ भी तय नहीं हुआ है। इस बीच महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी ने बड़ा ऐलान कर दिया है। मुकेश सहनी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर ऐलान करते हुए बता दिया है कि उनकी पार्टी बिहार चुनाव में कितनी सीटों पर लड़ेगी।विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश सहनी ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में 60 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। VIP चीफ ने एक्स पर लिखा, विकासशील इंसान पार्टी, 2025 में 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, शेष सभी सीटों पर हमारे सहयोगी दलों के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे।’
मुकेश सहनी ने हाल ही फूलन देवी की स्मृति में आयोजित समारोह में तेजस्वी यादव के समक्ष कहा था कि 2025 में हमारी सरकार बनेगी और बिहार के अगले मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव होंगे। इसमें उपमुख्यमंत्री बिहार के अतिपिछड़ा समाज से मल्लाह का बेटा होगा। आपको बता दें कि मुकेश सहनी पहले भी कई बार विधानसभा चुनाव में 60 सीटों पर दावा करते आए हैं।
हालांकि, एक्स अकाउंट पर इस तरह से 60 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान उन्होंने पहली बार किया है। यह कहा जा रहा है कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। वहीं भाकपा-माले इस चुनाव में 45 सीटों पर उतरने की ख्वाहिश रखती है। अभी महागठबंधन में सीट शेयरिंग का औपचारिक तौर से ऐलान नहीं हुआ है।
बताया जाता है कि बिहार विधानसभा चुनाव में 60 सीट मांग रही विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी पटना में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के आवास पर बुधवार को बुलाई गई महागठबंधन की बैठक छोड़कर दिल्ली पहुंच गए हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बालगोविंद बिंद महागठबंधन की कोर्डिनेशन कमिटी की बैठक में शामिल हुए । मुकेश सहनी लगातार 60 सीट मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि थोड़ा-बहुत कम सीट मिलेगा तो भी चलेगा। महागठबंधन में मुकेश सहनी के लिए थोड़ा-बहुत कम सीट निकालना मुश्किल है। सहनी ने मीडिया को दिल्ली में आज इंटरव्यू के दौरान बताया कि मीटिंग की सूचना रात में आई और तब तक वो दिल्ली के लिए निकल चुके थे, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष गए हैं।दो दिन पहले ही मुकेश सहनी ने सोशल मीडिया पर पार्टी का दो एजेंडा शेयर किया था। पहले एजेंडा में सहनी ने लिखा- “विकासशील इंसान पार्टी 60 सीटों पर लड़ेगी, शेष सीटों पर सहयोगी दलों के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे।” दूसरे एजेंडा में सहनी ने कहा- “पार्टी ने विधानसभा चुनावों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए घोषणा की है कि 50% सीटों पर अति पिछड़ा वर्ग और एससी-एसटी समाज के उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। … दशकों से जिन समुदायों को सत्ता में भागीदारी से वंचित रखा गया, VIP उन्हें नेतृत्व देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
ज्ञात हो कि बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में भी मुकेश सहनी सीट बंटवारे के मसले पर महागठबंधन से आखिरी मौके पर नाराज होकर बाहर आ गए थे। तेजस्वी यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस से उठकर गए सहनी ने बाद में एनडीए का दामन थामा, जहां बीजेपी कोटे से उन्हें 11 सीटें मिलीं। सहनी के 4 विधायक जीते और वो मंत्री भी बने। लेकिन यूपी में कई सीटों पर भाजपा के खिलाफ 2022 का चुनाव लड़ना उन्हें महंगा पड़ा। सीएम नीतीश कुमार ने सहनी को सरकार से बर्खास्त कर दिया। भाजपा ने उनके तीन विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। तब से सहनी विपक्षी दलों के साथ चल रहे हैं।
अब बिहार में मुकेश सहनी को लेकर रोचक राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है। एनडीए के नेता उन्हें वापस बुलाने में जुट गए हैं। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बेटे और नीतीश सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन ने आज ही कहा है कि सहनी को तेजस्वी 60 सीट नहीं देंगे इसलिए बेहतर है कि वो एनडीए में लौट आएं। संतोष सुमन ने कहा है कि सहनी समाज भी एनडीए के साथ है।
ज्ञात हो कि सन ऑफ मल्लाह के नाम से राजनीति में आए मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की स्थापना 4 नवंबर 2018 को हुई थी। राज्य में निषाद (मल्लाह ) समाज को अनुसूचित जाति में शामिल कराने की मांग पर पार्टी मुखर है। महज सात साल पुरानी इस पार्टी ने अब तक तीन चुनाव में उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव शामिल हैं। खास बात यह है कि वीआईपी ने बारी-बारी से सवारी दोनों नावों (गठबंधनों) की की है, लेकिन किनारा भी दूर है। 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में यह महागठबंधन का हिस्सा रही। जबकि, 2020 का विधानसभा चुनाव एनडीए के साथ लड़ी। अब एक बार फिर वीआईपी महागठबंधन के खेमे में ताल ठोक रही है।वीआईपी की राजनीति पर गौर करें तो मछुआरा, मल्लाह, केवट सहित इस समूह के मतदाता इसके लक्ष्य रहे हैं। बॉलीवुड फिल्मों के कामयाब सेट डिजाइनर रहे मुकेश सहनी ने 2015 में निषाद विकास संघ की स्थापना की थी। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के लिए प्रचार भी किया था।
पहली बार वीआईपी 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरी थी तब बिहार में राजद और कांगेस के महागठबधंन में वीआईपी को मुजफ्फरपुर, खगड़िया और मधुबनी सीट मिली थी। लेकिन तीनों सीटों पर इसके उम्मीदवारों की हार हुई। खुद मुकेश सहनी खगड़िया से चुनाव हार गए। मुजफ्फरपुर से 2019 में राजभूषण चौधरी वीआईपी के उम्मीदवार थे। अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में उतरे और जीतने के बाद राजभूषण केंद्र सरकार में राज्य मंत्री हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन से वीआईपी को फिर तीन सीटें मिलीं। राजद के हिस्से की तीनों सीटों झंझारपुर से सुमन कुमार महासेठ, गोपालगंज से चंचल पासवान और मोतिहारी से डॉ. राजेश कुशवाहा बतौर वीआईपी उम्मीदवार उतरे, लेकिन तीनों ही चुनाव हार गए।
वीआईपी के संस्थापक मुकेश सहनी कभी हेलीकॉप्टर तो कभी रथ को लेकर भी चर्चा में रहे। मुकेश सहनी ने 2014-15 में हेलिकॉप्टर से बिहार के विभिन्न जिलों में ताबड़तोड़ यात्रा की थी। जिला और क्षेत्र ऐसा चुना, जहां मल्लाह-निषादों की आबादी अधिक थी। खुद को सन ऑफ मल्लाह घोषित किया। इसे खूब प्रचारित किया। इसके बाद करोड़ों की लक्जरी गाड़ी को रथ के रूप में तैयार कर यात्रा की थी। छोटी सीसी में गंगा जल भर लोगों को गंगा जल के साथ शपथ दिलाने के लिए कई सभाएं कीं।
हाल ही में जब उनसे पूछा गया था कि अगर मोदी जी निषाद समाज को आरक्षण दे देते हैं तो महागठबंधन छोड़कर उनके साथ चले जाएंगे तो मुकेश सहनी ने जोर देते हुए कहा कि मोदी जी के लिए प्राण तक दे देंगे। अगर चुनाव से पहले मोदी आरक्षण लागू कर दें तो हमसे प्राण मांगेंगे तो दे देंगे। हमारी लड़ाई निषाद समाज के रिजर्वेशन के लिए है।
मुकेश सहनी के इस बयान से कांग्रेस पार्टी ने गहरी नाराजगी और आपत्ति जताई है। पार्टी नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा है कि गठबंधन के साथियों को कोई भी बात बैठक में रखना चाहिए ना कि मीडिया में। सीटों के बंटवारे पर अभी कोई बात नहीं हुई है। मुकेश सहनी का बयान प्री मैच्योर है। उन्होंने तेजस्वी यादव से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। वे महागठबंधन में शामिल हैं और बीजेपी-जेडीयू पर कुछ कहने के बजाए कांग्रेस पर आधारहीन आरोप लगाते हैं। यह स्वीकार नहीं है।
अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार