मध्यप्रदेश बजट : अग्रसोची सरकार… अब बीस महीनें विकास के…!

-ओमप्रकाश मेहता-

मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव बीस महीनें बाद अर्थात् अगले वर्ष (2023) नवम्बर माह में होना है, किंतु राज्य की शिवराज सरकार ने उसकी तैयारी के संकेत अभी से शुरू कर दिये है, शिवराज जी ने शायद यह तय कर लिया है कि 2023 के विधानसभा चुनाव वे राजनीति ’लफेबाजी‘ से नहीं बल्कि अपने कार्यों से प्रदेश के आम वोटर को प्रभावित कर जीतना चाहेगें और चूंकि प्रदेश नेतृत्व के सभी मन चाहे जनहित के कार्य सीमित अर्थव्यवस्था के चलते एक साल या एक बजट की समयसीमा में संभव नहीं है, इसलिए शिवराज सरकार इसी साल (2022-23) के बजट से विकास कार्यों के सम्पाद की शुरूआत करेगी और इसी साल के बजट में आर्थिक प्रावधान भी रखे जा रहे है। जिससे कि इस साल के बजट और अगले साल के चुनावी बजट के माध्यम से प्रदेश के जरूरी विकास कार्यों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जा सके, अर्थात् आर्थिक दृष्टि से चुनावी तैयारियाँ इसी वर्ष से शुरू की जा रही है, इस कहते है ’अग्रसोची‘ सरकारी पहल।

 

मध्यप्रदेश में पिछले उन्नीस सालों से भाजपा की सरकार है, यद्यपि 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बहुमत मिला था और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी किंतु वह सिर्फ पन्द्रह महीने ही चल पाई और युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत ने कांग्रेस सरकार को धराशायी कर दिया और प्रदेश में शिवराज जी की फिर सरकार बन गई। शिवराज जी 2005 से मुख्यमंत्री है, अर्थात् कमलनाथ सरकार के पन्द्रह महीनों को छोड़ शेष समय से अभी तक शिवराज जी ही मुख्यमंत्री है, किंतु अपने लगभग साढ़े सोलह साल के शासनकाल में शायद पहली बार शिवराज जी ने पूरे योजनाबद्ध तरीके से अगले साल का विधानसभा चुनाव लड़ने और फिर से भाजपा की सरकार बनाने का निश्चय किया है और यह इस साल का राज्य का भावी बजट इसी ’अग्रसोची सोच‘ का परिणाम है, जबकि प्रदेश की विकास योजनाओं को वास्तविक रूप से मूर्तरूप देने की कार्य योजना तैयार की जा रही है और इस बजट में उसके प्रावधान भी संभावित है।

 

इस बार का बजट राज्य की जनसंख्या, किसान, मजदूर, बच्चें, महिला और यहां तक कि ’थर्ड जेण्डर‘ को भी दृष्टिगत रख तैयार किया गया है। वैसे बजट सरकार का एक गोपनीय दस्तावेज होता है, वह विधानसभा में प्रस्तुत होने के बाद ही उजागर होता है, किंतु जैसे कि कई स्तरों पर अनुमान लगाए जा रहे है, इस बजट में राज्य की अद्योसंरचना विकास पर खासा जोर दिया गया है, जिससे कि विकास को गति मिल सकेगी और इसके लिए लगभग चंवालिस हजार करोड़ का विशेष प्रावधान किया जा रहा है। सरकार आवास, पेयजल तथा गरीबी रेखा के नीचे के लोगों पर विशेष ध्यान देना चाहती है। इसके साथ ही सिंचाई व कृषि क्षेत्र से सम्बंधित परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देने का प्रयास किया जा रहा है तथा इसके लिए अभी से बजट प्रावधान रखे जा रहे है। गांवों को सड़कों से जोड़ने तथा पुल-पुलियाओं के लिए भी विशेष राशि आवंटित की जाने वाली है।

 

वैसे इस बजट से प्रदेश की जनता की आम उम्मीदें भी जुड़ी है, विशेष कर पेट्रोल-डीजल के टेक्स में कमी, सरकारी खाली पदों की पूर्ति, स्वरोजार के पर्याप्त प्रावधान, पानी-बिजली, सम्पत्ति सहित अन्यों की प्रचलित करों में कमी, सामाजिक पेंशन में वृद्धि तथा कर्मचारी वेतनवृद्धि भी जन उम्मीदों में शामिल है। यद्यपि सरकार के सामने पांच बड़ी चुनौतियां भी है जिनमें कोरोना बीमारी, सरकार का कर्ज, निवेश वृद्धि, स्वास्थ्य परियोजनाएं और अधोसंरचना ये पांच चुनौतियां भी है, जिनसे सरकार को मौजूदा दायरें में ही निपटना है। इस प्रकार इस अग्रसोच के लिए जहां शिवराज सरकार को बधाई दी जानी चाहिये, वहीं उनके साहस की प्रशंसा भी की जानी चाहिये, क्योंकि देश में शायद पहली बार किसी राज्य की सरकार में सत्तारूढ़ राजनीति दल इतने योजनाबद्ध तरीके से चुनाव फतह करने का प्रयास कर रहा है।