दिल्ली में 95 गैंग, जनता का क्या होगा?

95 gangs in Delhi, what will happen to the public?

मधुरेन्द्र सिन्हा

खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई है कि देश की राजधानी में इतने सारे गैंग यानी गिरोह हैं और उन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। पिछले दिनों एक अपराधी की जमानत याचिका पर विचार करते हुए जजों ने यह चिंता जताई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि खूंखार अपराधी न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं और लंबी सुनवाई के आधार पर जमानत पाने के लिए मुकदमे में देरी का फायदा उठा रहे हैं। यानी तारीख पे तारीख के फॉर्मूले का इस्तेमाल करके मामले टालते जा रहे हैं। उनके पास इतना पैसा होता है कि वे बड़े वकीलों की सहायता से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाते हैं जबकि आम आदमी हाई कोर्ट तक भी पहुंच नहीं पाता। पीठ ने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसडी संजय से कहा, ”अगर आप मुकदमे को लंबित रखेंगे, उन्हें जमानत मिल जाएगी। इस देश में जहां गवाहों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है, आप अच्छी तरह जानते हैं कि उन गवाहों के साथ क्या होने जा रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर एक गैंगस्टर पर कई-कई मामले दर्ज होते हैं और उनकी सुनवाई अलग-अलग अदालतों में होती है। ऐसे में बहुत समय बर्बाद होता है और सजा मिलने में काफी साल लग जाते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों के लिए विशेष अदालतें बनाई जानी चाहिए। पीठ ने गवाहों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “अगर आप मुकदमे को लंबित रखते हैं, तो अपराधियों को जमानत मिल जाती है और जिस देश में गवाहों को सुरक्षा नहीं है वहां उनका क्या हश्र होता है, यह बात सभी जानते हैं।

यानी हालात इतने बुरे हैं कि उच्चतम अदालत को भी बोलना पड़ा कि दिल्ली की हालत खराब है और गिरोह यहां अपनी चला रहे हैं। अब यहां की हालत मुंबई से भी खराब है जहां कभी अंडरवर्ल्ड का राज चलता था। आज उसी की तर्ज पर कई गिरोह काम कर रहे हैं। लॉरेंस बिश्नोई, हिमांशु भाऊ, नीरज बवाना जैसे बड़े गिरोह खुले आम अपना काम कर रहे हैं। इनके गुर्गे दिल्ली-एनसीआर में चारों ओर फैले हुए हैं। वे जब चाहते हैं कारोबारियों को डरा-धमका देते हैं और वसूली करते हैं। दिल्ली पुलिस उनके सामने लाचार दिखती है। दरअसल पुलिस दिल्ली सरकार के प्रति जिम्मेदार नहीं है बल्कि केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय के समक्ष है। उसके कमिश्नर की नियुक्ति वहां से ही होती है और जाहिर है कि वह देश के गृह मंत्री के गुड बुक्स में होना चाहिए। उसने बेशक दिल्ली में कभी काम नहीं किया हो लेकिन उसे कमिश्नर बना दिया जाता है। दूसरी ओर दिल्ली पुलिस में ज्यादातर या यूं कहें कि अधिकतम जवान, एसआई, दारोगा वगैरह हरियाणा तथा यूपी से आते हैं। दिल्ली के प्रति इनकी वफादारी कम दिखती है और उनका ध्यान अपने गांव-शहर के प्रति होता है। कई साल पहले एक समाचार पत्र ने खबर छापी थी कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में जो पक्के मकान बने हुए हैं उनमें से कई दिल्ली पुलिस वालों के हैं। ऐसे में जनता इनसे क्या उम्मीद कर सकती है। इस समय दिल्ली में नई सरकार आई है। नई सीएम रेखा गुप्ता को अगर अपना नाम ऊंचा करना है तो उन्हें अणित शाह की भारी सहायता चाहिए जो दिल्ली पुलिस को कस सकते हैं। यहां इस समय चाक-चौबंद पुलिस चाहिए जो लॉ ऐंड ऑर्डर को संभाले रखे। यह बहुत जरूरी है। दिल्ली वाले उत्तर प्रदेश को देख रहे हैं जहां योगी जी की सरकार ने अपराधियों का जीना हराम कर दिया है और कई तो दिल्ली भाग आये हैं।