दिल्ली में पहला ट्रांसजेंडर रोजगार मेला..35 को नौकरी भी मिली

संदीप ठाकुर

आने वाले दिनों में यदि आप किसी कॉरपोरेट ऑफिस में जॉब के चक्कर में जाएं
और आपका सामना वहां बॉस की कुर्सी पर बैठे किसी ट्रांसजेंडर अधिकारी से
हाे जाए ताे चौंकिएगा नहीं। क्योंकि बड़ी बड़ी कंपनियां ने ट्रांसजेंडर
को उनकी योग्यतानुसार उंचे पदाें पर नियुक्त कर रही हैं। विगत 10 मार्च
को देश की राजधानी दिल्‍ली में आयोजित पहले नेशनल ट्रांसजेंडर रोजगार
मेले में कई नामचीन कंपनियों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और करीब 35
ट्रांसजेंडर को नियुक्ति पत्र साैंपे। ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के मेंबर्स
मसलन गे,लेस्बियन आदि ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ मेले में शिरकत किया।
उनमें न तो अपनी पहचान को लेकर कोई झिझक थी और न यह बताने में कि वे
ट्रांसजेंडर हैं। उन्हें नियुक्त करने वाली कंपनियों के अधिकारियों में
भी उन्हें बहाल करने या फिर उनका इंटरव्यू लेने में कोई झिझक नहीं थी।
कुछ कंपनी के रिप्रजेन्टेटिव भी ट्रांसजेंडर समुदाय से थे। अपने आप में
पहली दफा किए गए इस अनूठे पहल को मेन स्ट्रीम मीडिया में जगह नहीं मिलना
चौंकाता है।

मेले में हिस्सा लेने वाली कंपनियों में टाटा स्टील, गोदरेज प्रॉपर्टीज,
एक्‍सेंचर, एमेक्‍स, ईवाई फाउंडेशन के अलावा महिंद्रा
लॉजिस्टिक्स,पब्लिसिस सेपियंट, थॉम्पसन रॉयटर्स भी मेले में पहुंची थीं।
घिसी-पिटी रिवायतों को तोड़ने वाले इस रोजगार मेले में आई 23 साल की
प्रकृति सोनी बिंदास थी। उसके हाथों में सीवी था। एक जानी-मानी
यूनिवर्सिटी से इंग्लिश, साइकोलॉजी और थियेटर में ग्रेजुएट साेनी का कहना
था कि अपनी तरह के पहले ‘नेशनल ट्रांसजेंडर एम्‍प्‍लॉयमेंट मेला 2023’
में ह‍िस्‍सा लेने को बेंगलुरु से दिल्ली आई हैं। । फर्राटेदार अंग्रेजी
बोलने वाली प्रकृति को पूरी उम्मीद थी कि वह मेले से जॉब लेकर निकलेंगी।
उनके जैसे कई अन्य ने भी अलग-अलग कंपनियों को इंटरव्यू दिया। कंपनियों
में भी उन्हें रिक्रूट करने में पूरा उत्साह दिखा। 27 साल के ट्रांसमैन
रोमिल ठाकुर दिल्‍ली में रहते हैं। उन्हें एमेक्‍स स्टॉल पर इंटरव्यू
देते हुए देखा गया। वह पोस्‍ट ग्रेजुएट हैं। उन्हें एक इंश्‍योरेंस कंपनी
से जॉब छोड़नी पड़ी थी। ऐसा तब हुआ जब उन्होंने फैसला किया वह फीमेल से
मेल बनने के लिए जेंडर रीअसाइनमेंट ट्रीटमेंट लेंगे। उनका यह ट्रीटमेंट
पूरा हो चुका है। वह एक सेल्स कंपनी में जॉब करते हैं। वह बेहतर जॉब
अपॉर्चुनिटी के लिए रोजगार मेले में पहुंचे थे। एक अन्य ट्रांसजेंडर
अश्विन मेहरा भी जॉब मिलने काे लेकर बेहद आश्वस्त थे। उनका कहना था कि
समय और साेच बदल रहा है। समाज उन जैसे लाेगाें काे अपने बीच स्पेस देने
लगा है।

इस मेले को मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट के सहयाेग से
ट्वीट फाउंडेशन और इन हारमनी ने आयोजित किया था। ये कंसल्टेंसी सर्विसेज
मुहैया कराती हैं। मेले के आयोजकों का कहना था कि ऐसे मेले देश के अलग
अलग हिस्सों में नियमित तौर पर आयोजित कराए जाने की योजना पर विचार चल
रहा है। ऐसे मेले का मकसद ट्रांसपर्सन को वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाना
है। । इस मेले में ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के करीब 500 मेंबर ने हिस्सा
लिया। इन्होंने अपने रेज्‍यूमे सब्मिट किए। इसमें करीब 35 लोगों को नौकरी
भी मिली। इस पहल को साधारण नहीं कहा जा सकता है। अधिकांश
ट्रांसजेंडर को आज भी गुजर-बसर करने के लिए भीख मांगना पड़ता है। दूसरा
रास्ता वेश्यावृत्ति का बचता है। समाज में सम्मानजनक तरह से जीने के लिए
ट्रांसजेंडर समुदाय के काबिल लाेगाें काे मुख्यधारा में लाना जरूरी है।