- प्रधानमंत्री के साथ रेडियो बना इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का नायक
- चरैवेति…चरैवेति की भावना से आगे बढ़ने का संकल्प
गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम मन की बात की 100 वीं कड़ी पूरी करएक और इतिहास रच दिया है। देश-विदेश के चार लाख से भी अधिक स्थानों पर करोड़ों लोगों ने 22 भारतीयभाषाओं और 29 बोलियों के साथ ही 11 विदेशी भाषाओं में भी यह कार्यक्रम सुना और इसे एक ऐतिहासिकउत्सव के रुप में मनाया। संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क स्थित यूएन हेडक्वार्टर सहित अन्य देशों में भी मन की बात का100 वाँ एपिसोड सुना गया।
टीवी और सोशल मीडिया के इस युग में एक समय दोयम दर्जे के स्थान पर खिसक कर गुमनामी और अँधेरे मेंखो जाने वाला रेडियो आज पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ इस ऐतिहासिक पल का नायक बना।रविवार तीस अप्रैलको इस प्रोग्राम का 100वां एपिसोड टीवी चैनलों, निजी रेडियो स्टेशनों और सामुदायिक रेडियो सहित एकहजार से अधिक प्लेटफॉर्म पर ब्रॉडकास्ट किया गया।
इस शानदार और यादगार अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने अत्यन्त भावुक होते हुए कहाकि आज से करीब साढ़ेआठ वर्ष पूर्व 3 अक्टूबर 2014 को विजया दशमी से शुरू हुआ यह त्योहार हम हर महीने मनाते हैं।विजयादशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व।
मोदी बे कहा कि मन की बात एक कार्यक्रम नहीं, यह मेरे लिए आस्था, पूजा और व्रत जैसा है। जैसे लोग ईश्वरकी पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। इसी तरह मन की बात मेरे लिए ईश्वर रूपी जनता जनार्दनके चरणों में प्रसाद की थाल है।
मुझे इस कार्यक्रम से जुड़ी हजारों चिट्ठियां और संदेश मिलते हैं।कई बार उन्हें पढ़ते वक्त मैं बहुत भावुक होगया, भावनाओं में बह गया और अपने आप को बमुश्किल संभाला। देश-विदेश के कोने-कोने से हर आयु वर्गके लोग मन की बात कार्यक्रम से जुड़े हैं ।अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जब इससे जुड़ें तो इसकी चर्चासारी दुनिया में हुई थी। मन की बात कार्यक्रम जिस विषय से भी जुड़ा वो जन आंदोलन बन गया।
मोदी ने बताया कि मेरे मार्गदर्शक थे लक्ष्मण राव, वो कहते थे कि हमें दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए।उनकी इस बात से मुझे प्रेरणा मिली और यह कार्यक्रम मैरे लिए दूसरों से सीखने की प्रेरणा बन गया तथा इसनेमुझे आम अवाम से कभी दूर नहीं होने दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने भावनाओं में बहते हुए कहा कि जब मैं गुजरात का सीएम था, तब सामान्य तौर पर लोगों सेमिलना-जुलना हो जाता था लेकिन 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां सुरक्षा का तामझाम, समयकी सीमा, जीवन और काम का स्वरूप सब कुछ अलग है। उन्होने कहा कि शुरुआती दिनों में मैं यहाँ खाली-खाली सा महसूस करता था। मैंने 50 साल पहले अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि अपने ही देशवासियों सेसंपर्क नहीं हो पाएगा। मैं उनसे कटकर नहीं रह सकता था लेकिन मन की बात ने मुझे एक सुनहरा मौका दियाफिर पदभार और प्रोटोकॉल एक व्यवस्था तक सीमित रहा और यह जनभाव मेरा अटूट अंग और एकअध्यात्मिक अहम से वयम की यात्रा बन गया है। यह मेरे लिए एक संस्कार साधना भी है।
पीएम ने कहा मैंने हर क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वालों को इस कार्यक्रम में याद किया।कल्पना करिए कि कोईदेशवासी 40-40 साल से निर्जन जमीन पर पेड़ लगा रहा है। कोई 30 साल से जल संरक्षण के लिए बावड़ीबना रहा है। कोई निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है। कोई गरीबों की इलाज में मदद कर रहा है। कितनी ही बार मनकी बात में इनका जिक्र करते वक्त मैं बहुत भावुक हों गया और आकाशवाणी के साथियों को उसे दोबारारिकॉर्ड करना पड़ा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मन की बात में जिन लोगों का हमने जिक्र किया हैं, वे सब हमारे हीरोज हैं। उहोंने इसकार्यक्रम को जीवंत बनाया है। मुझे संतोष है कि मन की बात में हमने नारी शक्ति की प्रेरणादायी गाथाओं काजिक्र किया है। छत्तीसगढ़ के गांव की महिलाओं के स्वच्छता अभियान चलाने वाले स्वसहायता समूह के बारे मेंबात की है। तमिलनाडु की आदिवासी समुदाय की टेराकोटा कप बनाने वाली महिलाओं की बात की है । वहीं20 हजार महिलाओं ने वेल्लोर में नाग नदी को पुनर्जीवित किया उसका ज़िक्र करना नहीं भुला हूँ ।
हमारे देश में ऐसे कितने ही प्रतिभाशाली लोग हैं, जो मेहनत के बलबूते ही सफलता के शिखर तक पहुंचे हैं।विशाखापत्तनम के बैंकर मुरलीजी ने आत्मनिर्भर भारत का चार्ट शेयर किया था। बेतिया के प्रमोदजी ने एलईडीबल्ब का काम शुरू किया। मुझे ख़ुशी है कि मन की बात इनके उत्पादों को सामने लाने का माध्यम बना। हमनेमेक इन इंडिया के अनेक उदाहरणों से स्पेस स्टार्टअप की चर्चा भी इस कार्यक्रम में की।
मन की बात से कई जन आंदोलनों ने भी जन्म लिया और इन अभियानों ने गति पकड़ी। टॉय इंडस्ट्री को फिर सेस्थापित करने का मिशन यहीं से शुरू हुआ था। स्वान और देसी डॉग्स की मुहिम शुरू की गई । गरीब छोटेदुकानदारों से मोलभाव ना करने की मुहिम भी शुरू की गई । हर घर तिरंगा मुहिम को भी मन की बात ने अपनेसंकल्प से जोड़ा। ऐसे कई उदाहरण समाज में बदलाव का कारण बने। पीएम ने कहा आज देश में टूरिज्म बढ़रहा है। नदियां, पहाड़ या फिर तीर्थ स्थल, उन्हें साफ रखना जरूरी है। इससे टूरिज्म इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने मेंमदद मिलती है। हमने इनक्रेडिबल इंडिया मूवमेंट की चर्चा की। लोगों को पहली बार ऐसी जगहों के बारे में पताचला, जो आसपास थी, पर वे जानते नहीं थे। हमने लोगों से विदेश जाने से पहले देश के कम से कम 15 टूरिस्टडेस्टिनेशन में जाने की अपील भी की।
मोदी ने बताया कि हमने मन की बात में स्वच्छ सियाचिन, सिंगल यूज प्लास्टिक आदि पर लगातार बात की।आज पूरी दुनिया पर्यावरण को लेकर परेशान है। उसमें सुधार के लिए हमारे देश का प्रयास अहम है।
मन की बात में हमने लोगों के बेजोड़ प्रयासों को हाईलाइट किया। एक बार हमने ओडिशा में ठेले पर चायबेचने वाले स्वर्गीय डी प्रकाश राव के बारे में बात की, जो गरीब बच्चों को पढ़ाते थे। झारखंड के संजय कश्यप, हेमलता जी के उदाहरण हमने दिए। लक्षद्वीप का क्लब, कर्नाटक का कला चेतना मंच… देश के कोने-कोने सेमुझे उदाहरण भेजे गए। देशभक्ति पर गीत, लोरी और रंगोली के कम्पटीशन शुरू किए गए । स्टोरी टेलिंग परभी मैंने बात की।
प्रधान मंत्री ने मन की बात के 100वें एपिसोड के ऐतिहासिक पड़ाव पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदानदेने वाले तथा अलग-अलग एपिसोड में उनसे विभिन्न विषयों पर बात करने वाले अननोन हीरोंज को एक बारफिर से याद किया और उनसे बात की। प्रधानमंत्री ने हरियाणा के सुनील जगलान (सेल्फी विद डॉटर),जम्मू-कश्मीर में पेंसिल स्लेट बनाने वाले मंजूर अहमद, कमल के रेशों से कपड़े बनाने वाली मणिपुर की विजयशांति, हिमालय क्षेत्र से कचरा उठाने का कैंपेन हीलिंग हिमालय शुरू करने वाले प्रदीप आदि से बातचीत की और उन्हेंउनके बेजोड़ कार्यों के लिए पुनः बधाई एवं शुभ कामनाएँ दी।
हरियाणा के सुनील जगलान से बात करते हुए पीएम ने कहा कि आपके आइडिया पर मैंने बेटी बचाओअभियान हरियाणा से ही शुरू किया था,ये अभियान पूरी दुनिया में फैल गया। साथ ही जीवन में बेटी का स्थानकितना बड़ा होता है, इस कैंपेन से यह साबित हुआ।आज हरियाणा में लड़कों और लड़कियों के लिंग अनुपातमें काफी सुधार आया है।
जम्मू-कश्मीर के मंजूर अहमद का पेंसिल स्लेट का काम बढ़ने और इससे बहुत लोगों को रोजगार मिलने तथाकिसानों को भी इसका फायदा मिलने पर ख़ुशी व्यक्त करते हुए पीएम ने कहा कि मंजूरजी आपने तों लोकलफॉर वोकल को जमीन पर उतार दिया है।
बातचीत की कड़ी में कमल के रेशों से कपड़े बनाने वाली मणिपुर की विजयशांति ने पीएम को बताया कि मनकी बात में मेरे उत्पादों का जिक्र होने के बाद यह उत्पाद काफी लोकप्रिय हुए हैं और अब इनका मार्केट भी बढ़गया है। साथ ही अब अमेरिका में भी यह प्रोडक्टस निर्यात किए जा रहें है। इस पर पीएम मोदी ने चुटकी लेतेहुए कहा कि मैंने वोकल फॉर लोकल कहा था, विजयशांति जी आप तों लोकल से ग्लोबल हो रही हैं।
इसी तरह प्रधानमंत्री ने हिमालय में कचरा उठाने का अभियान शुरू करने वाले प्रदीप से भी बात की और कहाकि आप सच्चे अर्थों में हिमालय की चोटियों पर साधना कर रहे हैं। आज आपके नाम से लोगों को आपकाअभियान याद आ जाता है। आपके प्रयासों से कितने ही पर्वतारोही स्वच्छता से जुड़े फोटो पोस्ट भी करने लगेहैं।
प्रधानमंत्री की बातचीत यहीं नहीं रुकी वरण यूनेस्को की डीजी भी लाइव कार्यक्रम से जुड़ी और उन्होंने मोदी सेपूछा कि हम 2030 तक हर जगह अच्छी शिक्षा पहुंचाना चाहते हैं। साथ ही संस्कृति को भी बचाना चाहते हैं।एजुकेशन और कल्चर के लिए आपकी क्या योजना है और इसमें भारत की क्या भूमिका रहेंगी बताइए?
इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये दोनों विषय मन की बात के पसंदीदा विषय रहे हैं। भारत में नेशनलएजुकेशन पॉलिसी या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का विकल्प जैसे प्रयास हुए हैं। हमने गुजरात में गुणोत्सव औरशाला प्रवेश उत्सव शुरू किए थे।मोदी ने बताया कि कल्चरल प्रिजर्वेशन के प्रयासों को भी हमने प्रमुखता सेअपने एजेंडे में जगह दी है । इस साल हम जी-20 की अध्यक्षता कर रहे हैं। यही वजह है कि एजुकेशन केसाथ डायवर्स ग्लोबल कल्चर को समृद्ध करने के लिए प्रयास और तेज हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना 100वां एपिसोड पूरा करते हुए कहा कि उपनिषदों में कहा गया है- चलते रहो, चलते रहो, चलते रहो। आज हम इसी चरैवेति…चरैवेति …चरैवेति की भावना के साथ उस बार की मन की बातको पूरा कर रहे हैं। भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूती देने में मन की बात माला के धागे की तरह है।हर एपिसोड में देशवासियों की सेवा और सामर्थ्य ने हमें एक नई प्रेरणा दी है। एक तरह से मन की बात का हरएपिसोड अगले एपिसोड की जमीन तैयार करता है। यह कार्यक्रम हमेशा सद्भावना,सेवा भावना से आगे बढ़ा है।
मन की बात से जो शुरुआत हुई, वह देश की नई परंपरा भी बन रही है। ऐसी परंपरा, जिसमें सबका प्रयास कीभावना दिखती है।
प्रधानमंत्री कार्यक्रम के सूत्रधार आकाशवाणी के साथियों को भी धन्यवाद देना नहीं भूले, उन्होंने कहा किआकाशवाणी के साथी गण धैर्य के साथ इसे रिकॉर्ड करते हैं, ट्रांसलेटर जो विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करते हैं, दूरदर्शन और माई गांव, इलेक्ट्रॉनिक चैनल्स और जो मन की बात की कमान संभाले हुए है आदि सभी का भी मैआभार व्यक्त करता हूं।
हैं।आज समय और शब्द दोनों कम पड़ रहे हैं, मुझे भरोसा है कि आप मेरे भाव और भावनाओं को समझेंगे।अगले महीने फिर मिलेंगे….