डॉ. संजय कुमार श्रीवास्तव
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से 2000 रूपए नोटों को चलन से बाहर करने का फैसले से बाजारों में अफरा तफरी का माहौल बन गया है। लोगों के पास जमा नोट अब बाहर निकलने लगे हैं। ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने ये मान लिया था कि 2000 के बंडल बनाकर उसे ब्लैक मनी के रूप में कहीं पर भी चला सकते हैं अब वो सकते में हैं। उनके समझ में नहीं आ रहा है कि करें तो क्या करें। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नोट बन्दी से अगर बाज़ार में मौजूद कुल 2000 रुपये के नोटों का एक तिहाई भी बैंकों में वापस जाता है तो इससे बैंको की जमा राशि और बाज़ार में नक़दी बढ़ सकती है, इतना ही नहीं, अघोषित आय पर टैक्स से बचने के लिए जितने लोगों ने दो हज़ार रुपये के नोटों की जमाखोरी की, उन्हें अब सोने और चांदी को खरीदने, रियल एस्टेट सेक्टर में पैसा लगाने, गाड़ियों को खरीदने और अलग-अलग जगहों पर घूमने में लगायेंगे ।
राजनीतिज्ञों का मानना है कि ये तुगलकी फरमान है परन्तु अगर देखा जाये तो ये दूरदृष्टि से लिया गया फैसला है। विपक्ष हमेशा कहता रहता है कि प्रधानमंत्री द्वारा लिये गये नोट बन्दी के आदेश से ब्लैकमनी खत्म नहीं हुआ। गरीबी आ गयी है और बेरोगारी बढ़ गयी है। आरबीआई के फैसले से जो 2000 रूपये के नोट बाजार से बिल्कुल गायब हो चुके थे बाजारों में 2000 रूपये की आवक बढ़ गयी है। लोग पेट्रोल और डीजल अब 500 रूपये के बजाय 2000 रूपये के भरवा रहें हैं। सोने चांदी के बाजारों में रौनक आ गयी है। लोग सोने के गहनों को ऐसे खरीद रहे हैं मानों मुफ्त में गहने मिल रहें हों।
अब अगर विश्लेषण करें तो आरबीआई द्वारा लिया गया फैसला सही साबित होगा। एक तो बैंकों में जमा राशि बढ़ेगी तो दूसरी ओर इन्कमटैक्स विभाग को लोगों को चिन्हित करने में आसानी होगा। अब सवाल उठता है कैसे। सबसे पहले हम सर्राफा बाज़ार की ओर रूख करते हैं। लोगों द्वारा 2000 रूपये के नोटबन्दी के डर से विभिन्न आभूषणाों की खरीददारी की जा रही है। ऐसे में हो सकता है कि आने वाले समय में इन्कम टैक्स द्वारा मॉनिटरिंग की जाये और 2000 रूपये के नोटबन्दी के ऐलान के बाद जिन लोगों ने स्वर्णाभूषणों की खरीददारी की गई है उनसे पूछताछ हो और पता लगाने की कोशिश की जाये कि आखिर ये पैसे उनके पास कहां से आये। दूसरी तरफ बाजार में 2000 रूपये की बाढ़ ने साबित कर दिया है कि लोगों ने काली कमाई दबा कर रखी हुयी है वो चाहे सरकारी बाबू हों या अफसर या फिर किसी प्रकार का व्यवसाय कर रहे हैं। इससे ये भी साबित हो रहा है जिन लोगों के पास 2000 रूपये के नोट हैं वो ब्लैक को व्हाइट में परिवर्तित करना चाहते है वो भी इन्कम टैक्स विभाग के टार्गेट पर हो सकते हैं। आने वाले समय में सरकार के पास डाटा पहुंचने वाला है कि कितने लोगों ने बैंक में 2000 रूपये के नोट जमा करवाये और कितने लोगों ने दूसरे कामों के लिए इन रूपयों का उपयोग किया।
अब सवाल ये है कि जब बाजार में 2000 रूपये के नोट बाजार में बहुत कम दिखाई देते थे साथ ही बैंकों में भी 2000 रूपये के नोट नहीं जमा किये जाते थे और कमाल की बात ये कि एटीएम मशीन द्वारा भी 2000 रूपये के नोट नहीं निकलते थे ऐसी दशा में बैंको में 2000 रूपये के नोटों की गड्डियों का जमा होना चौकांने वाला है। अब सवाल उठता है कि इन्होंने 2000 रूपये के नोट अबतक दबाकर क्यूं रखा था। आरबीआई का ये फैसला काली कमाई करने वाला एक ऐसा सर्जिकल स्ट्राइक है जो ब्लैक मनी को अपने आप बाहर निकालेगा।
2000 रूपये को लेकर आरबीआई द्वारा किये गये सर्जिकल स्ट्राइक आने वाले लोक सभा चुनाव में बहुत प्रभाव डालने वाला है। जिन विपक्षी पार्टियों ने 2000 रूपये के नोटों को तह लगाकर रखा था कि आने वाले चुनाव वो इसका उपयोग करेंगे अब उनके कदम कंगाली की तरफ बढ़ चुके हैं। विपक्षी पार्टियों ने चाहे वो घोटाले करके रूपये जमा किये हों या किसी के द्वारा उन्हें घूस के माध्यम से मिला हो, वो अब 2000 रूपये के नोटों का प्रयोग नहीं कर पायेंगे साथ ही उनकी परेशानी ये भी होगी कि अब लाखों, करोड़ों रूपयों को किस तरह 500 रूपयों में परिवर्तित करें। क्योंकि 2000 रूपयों को परिवर्तित किये बिना इसका उपयोग नहीं कर पायेंगे। विपक्षी पार्टियां इसे तुकलकी फरमान मानती हैं लेकिन मेरे ख्याल से इस तरह के कड़े फैसले लेना जरूरी हो गया था। क्यूंकि इधर बीच ईडी के द्वारा जिस तरह छापे मारी की गई और लोगों की काली कमाई पकड़ी गयी उससे यही निष्कर्ष निकलता है कि लोगों ने सरकारी धन किस तरह दुरपयोंग किया है। विपक्षी पाटियां इसलिए हो हल्ल कर रहीं है उनके पास 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मजबूत आधार नहीं बचेगा। विपक्ष सरकार पर हमालावर है लेकिन इसके उलट जनता की राय बिल्कुल अलग है। लोग इस फैसले के साथ सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। लोगों का कहना है जो विपक्षी पार्टियां कह रहीं है कि आम लोगों को परेशानियों को सामना करना पड़ेगा। लेकिन लोगों का कहना है कि आम लोगों को नहीं बल्कि विपक्षी राजनीतिक पार्टियों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पडे़गा। इस तरह कहा जा सकता है कि सर्जिकल स्ट्राइक “ऑपरेशन ब्लैक मनी आउट 2023’’ देशहित के लिए जरूरी था और साथ ही काली कमाई करने वालों की कमर तोड़ना जरूरी था।