सभी धर्मों के गुरुओं ने संसद भवन के उद्घाटन समारोह में अपनी वाणी प्रस्तुत की
नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार के ऐतिहासिक दिन नए विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के नए संसद भवन को देश को समर्पित किया।
इस मौके पर अपने ट्वीट में पी एम मोदी ने कहा कि “आज का दिन हम सभी देशवासियों के लिए अविस्मरणीय है। संसद का नया भवन हम सभी को गर्व और उम्मीदों से भर देने वाला है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह दिव्य और भव्य इमारत जन-जन के सशक्तिकरण के साथ ही, राष्ट्र की समृद्धि और सामर्थ्य को नई गति और शक्ति प्रदान करेगी।”
नई संसद भवन के आज 28 मई रविवार को हो रहें उद्घाटन समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने सभी तैयारियां की थी। उद्घाटन समारोह के पहले चरण की शुरुआत सुबह सात बजे से पूजा पाठ के साथ हुई। सबसे पहले वैदिक परम्पराओं के साथ हवन हुआ । तामिलनाडु से आए 20 धर्मों के आचार्यों ने शैव परंपरा के अनुसार खास पूजा की और प्रधानमंत्री को भेंट की गई सेन्गोंल राजदण्ड सुनहरी छड़ी की भी पूजा की जिसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की उपस्थिति में संसद में स्थापित किया। प्रधानमंत्री ने इससे पूर्व छड़ी को दण्डवत प्रणाम किया ।इस पूरे आयोजन में कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य की खास भूमिका रही। इसके बाद भारत के सभी प्रमुख धर्मों के प्रतिनिधि गण अपने-अपने धर्म की प्रार्थना पेश की। जिसमें जैन धर्म की ओर से अहिंसा विश्व भारती एवंविश्व शांति केन्द्र के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेश जैन प्रार्थना, नवकार मंत्र, भगवान महावीर की वाणी प्रस्तुतकी । सुबह सात से आठ बजे तक के बीच दो धार्मिक आयोजन हुए और उसके बाद सर्व धर्म प्रार्थना हुई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मौके पर सर्वधर्म के सभी प्रतिनिधियों और भवन बनाने वाले श्रमिकों का शालओढ़ा कर स्वागत और अभिनंदन किया।
लोकतंत्र के इस नए मंदिर में सभी धर्मों की जगह बनी रहे इस भावना के साथ केन्द्र सरकार के निर्देश पर इन्दिरा गाँधी नेशनल सेंटर फ़ॉर आर्ट्स (IGNCA ) ने नई दिल्ली में सर्वधर्म के गुरुओं और प्रतिनिधियों की एक बैठक की थी , जिसमें सुबह के कार्यक्रम की तैयारियों पर चर्चा की गई थी । जैन आचार्य लोकेश सहित सभी धर्मगुरुओं ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की तैयारियों की बैठक में भाग लेकर सम सामयिक सुझाव दिए थे ।